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प्रदेश के कई बांध, झीलों व नदियों के भराव व बहाव क्षेत्र में होटल, रिसॉर्ट, रेस्टोरेंट, बिल्डिंग व कॉलोनियों के अतिक्रमण व अवैध निर्माण की वजह से बारिश का पानी नहीं पहुंच पाता है। मानसून की अच्छी बारिश के बावजूद 100 से ज्यादा बांधों में पानी कई सालों से नहीं पहुंच पा रहा है। वहीं जल संसाधन विभाग इन बांध व झीलों में पानी का रास्ता साफ करने के बजाए जिम्मेदारों को बचाने की मुहिम में जुटा है। विधानसभा में पिछले दिनों विधायक जुबेर खान की ओर से जल संसाधन मंत्री सुरेश सिंह रावत के जवाब को गलत बताते हुए खुली चेतावनी दी थी, इसके बावजूद विभाग ने रामगढ़ बांध के बहाव व भराव क्षेत्र में किसी तरह का अतिक्रमण होने से साफ इनकार कर दिया है। जबकि हालात यह है कि पानी का राहों में रुकावटों की वजह से पिछले करीब 20 साल से बांध खाली पड़ा है। प्रदेश में मानसून छाया है, लेकिन 58 फीसदी बांध बिल्कुल खाली पड़े है। राज्य के 681 में से 405 बांध सूखे हुए हैं। बड़े 22 बांधों में से 6 बांधों में से कई सालों से पानी ही नहीं आया। विभाग का दावा- चार तहसीलों के सभी 640 अतिक्रमण हटा दिए रामगढ़ बांध में अतिक्रमण को लेकर जमवारामगढ़ के विधायक महेंद्र पाल मीणा ने सदन में सवाल लगाया था। जल संसाधन विभाग ने जवाब दिया है कि रामगढ़ बांध के बहाव क्षेत्र में वर्तमान में कोई अतिक्रमण चिन्हित नहीं है। चार तहसीलों की 323.30 हेक्टेयर बहाव क्षेत्र की जमीन पर 640 अतिक्रमणों को हटा दिया है। विभाग का तर्क है कि हाईकोर्ट के निर्देशों की पालना में प्रशासनिक सुधार विभाग ने जुलाई 2012 में कलेक्टर की अध्यक्षता में कमेटी बनाई थी। कमेटी के द्वारा ही नदी-नालों व जल स्रोतों में अतिक्रमण हटाने पर कार्यवाही की जाती है। इससे पहले आरएलपी अध्यक्ष हनुमान बेनीवाल भी रामगढ़ बांध का मामला सदन में उठा चुके हैं। दो सप्ताह पहले मॉनिटरिंग कमेटी का दौरा रामगढ़ बांध के भराव क्षेत्र में अतिक्रमण देखने के लिए दो सप्ताह पहले हाईकोर्ट द्वारा गठित मॉनिटरिंग कमेटी भी पहुंची थी। मॉनिटरिंग कमेटी के सदस्य अधिवक्ता वीरेंद्र डांगी ने कई किमी बहाव क्षेत्र की रुकावटों को देखा। कमेटी रिपोर्ट हाईकोर्ट में पेश करेगी। बांध तक पानी पहुंचाने के लिए 10 साल पहले लाखों रुपए खर्च कर ताला से रामगढ़ तक बनाई 17 किमी लंबी नहर (ड्रेंच) अब बंद हो गई। कांग्रेसी विधायक घेर चुके है विभाग को जल संसाधन विभाग के जवाब पर कांग्रेस विधायक ने कहा था कि मंत्री ने जयसमंद बांध के भराव क्षेत्र व वेस्ट वेयर के बहाव क्षेत्र में अतिक्रमण नहीं बताया है। जबकि जिला प्रशासन की जांच में लिवारी में 200, अलापुर माचड़ी में 50 अतिक्रमण सामने आए। ये अतिक्रमण हटा दिए हैं। मंत्री का उत्तर असत्य है। अगर होटल भराव क्षेत्र में नहीं हो तो विधानसभा से इस्तीफा दे दूंगा।

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