भास्कर न्यूज | पाली उपप्रवर्तनी मंजुलज्योति महाराज आदि ढाणा 5 का मंगल प्रवेश रविवार को हुआ। जैन चिह्न, अष्ट मंगल, पांच पद, 14 स्वप्न के चिह्न लेकर नेमीचंद, विनीत कुमार, मोक्षिल छाजेड़ परिवार के निवास से रवाना होकर मुख्य मार्ग से होते हुए आचार्य श्री रघुनाथ स्मृति जैन भवन में चातुर्मासिक मंगल प्रवेश किया। महासती मंजुलज्योति महाराज ने कहा कि चातुर्मास अध्यात्म की आराधना को आधार देता है। आत्मपाद की साधना को संस्कार देता है। संस्कारों को जगाने के लिए, सदाचारों को उच्च बनाने, जीव रक्षा, जीभ रक्षा, अहिंसा की आराधना व साधना, करुणा मैत्री, सुपात्र दान, संत सतियों की सेवा, प्रार्थना प्रवचन की गंगा व सरिता का लाभ चातुर्मास में मिलता है। आत्म चिंतन और आत्म मनन से आत्मा निर्मल बनती है। मंगल प्रवेश के दौरान नवयुवक मंडल, महिला मंडल के सदस्य उपस्थित रहे। संघ मंत्री पदमचंद ललवाणी व अध्यक्ष गौतमचंद कवाड़ ने अंत में आभार जताया। प्रभावना देवीचंद पारसमल भंसाली परिवार द्वारा दी गई। सुमतिकुमार, देवायमुनि व अंगममुनि का प्रवेश आज : तेरापंथ समाज के आचार्य महाश्रमणजी के शिष्य मुनि सुमति कुमार, देवायमुनि, अंगममुनि सोमवार को भिक्षु साधना केंद्र से सुबह 9.15 बजे विहार करके आगामी 4 महीने के होने वाले चातुर्मास के लिए महावीर नगर, तिलक नगर, नेहरू नगर होते हुए मंडिया रोड स्थित तेरापंथ सभा भवन में मंगल प्रवेश करेंगे।