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किड़नी ट्रांसप्लांट मामले में आरोपी जयपुर के फोर्टिस अस्पताल के डॉ. ज्योति बंसल को सुप्रीम कोर्ट ने अग्रिम जमानत देने से इनकार कर दिया। जस्टिस सीटी रविकुमार और जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने डॉ. ज्योति बंसल की एसएलपी को खारिज करते हुए कहा कि हम गिरफ्तारी का आदेश नहीं दे रहे, लेकिन आंखें बंद नहीं कर सकते। अस्पताल में भर्ती कुछ मरीजों की किडनी निकाल लेने का आरोप है। क्या कोई मरीज घर लौट कर जान पाएगा कि उसकी किडनी अभी है या नहीं। यह गंभीर मामला है, जिसमें जांच की आवश्यकता है। सहमति के बाद ऑपरेशन कर रहे है
याचिकाकर्ता का वकील ने बहस करते हुए कहा कि किडनी लेने वाले और देने वाले की सहमति के बाद जारी एनओसी के आधार पर ऑपरेशन कर रहे हैं। सरकारी अधिकारियों द्वारा एनओसी अस्पताल प्रबंधन को दी जाती है। प्रबंधन के लोगों को जमानत मिल चुकी हैं। इस पर अदालत ने कहा कि हम मामले को अनदेखा नहीं कर सकते। यह ऐसे लोगों की ज़िंदगी से जुड़ा है, जो अस्पतालों पर भरोसा करते हैं। मामले की जांच होनी चाहिए। सरकार ने कहा-जांच प्रभावित होगी
डॉ ज्योति बंसल की अग्रिम जमानत याचिका 30 अगस्त को हाई कोर्ट से खारिज़ होने के बाद सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर की गई थी। मामले में राज्य सरकार ने शपथ पत्र पेश कर याचिका का विरोध किया। अतिरिक्त महाधिवक्ता शिवमंगल शर्मा ने कहा कि जमानत दिए जाने से जांच प्रभावित होगी। याचिकाकर्ता ने मामले में सक्रिय भूमिका निभाई है। मार्च में एसीबी ने कार्रवाई की थी
एसीबी ने एसएमएस हॉस्पिटल में 31 मार्च 2024 को सहायक प्रशासनिक अधिकारी गौरव सिंह और ईएचसीसी हॉस्पिटल के ऑर्गन ट्रांसप्लांट को-ऑर्डिनेटर अनिल जोशी को लेनदेन करते रंगे हाथों पकड़ा था। टीम ने मौके से 70 हजार रुपए और 3 फर्जी एनओसी भी जब्त की थी। कार्रवाई के बाद एसीबी ने आरोपियों के घर और अन्य ठिकानों पर भी सर्च किया था। इनकी गिरफ्तारी से खुलासा हुआ था कि फोर्टिस हॉस्पिटल का को-ऑडिनेटर विनोद सिंह भी कुछ समय पहले पैसा देकर फर्जी सर्टिफिकेट लेकर गया था। एसीबी ने उसे भी गिरफ्तार कर लिया था। बाद में जयपुर पुलिस ने इस केस में जांच शुरू कर दी थी। अंग प्रत्यारोपण के मामले में एमओयू की गई कंपनी मैड सफर के डायरेक्टर सुमन जाना और दलाल सुखमय नंदी को गिरफ्तार कर लिया गया। उनसे पूछताछ में फोर्टिस हॉस्पिटल के नर्सिंग स्टाफ भानू लववंशी की भूमिका मिली थी। पूछताछ में सामने आया था कि भानू रोजाना दलालों के संपर्क में रहकर उन्हें अवैध ट्रांसप्लांट के लिए मदद करता था। मामले की जांच के एसआईटी का गठन कर दिया गया था। नर्सिंग स्टाफ के बाद हुई थी दोनों डॉक्टरों की गिरफ्तारी
10 मई को भानू लववंशी को गिरफ्तार किया गया था। भानू ने पूछताछ में बताया कि कौन-कौन डॉक्टर इस पूरे खेल में लगे हुए हैं। इसके बाद 11 मई को फोर्टिस हॉस्पिटल के डॉक्टर जितेंद्र गोस्वामी और डॉ. संदीप गुप्ता को एसआईटी ने गिरफ्तार किया गया था। डॉक्टर जितेंद्र गोस्वामी फोर्टिस से पहले मणिपाल हॉस्पिटल में काम करते थे। मणिपाल का लाइसेंस रिन्यू नहीं होने पर सितंबर 2023 में जितेंद्र गोस्वामी ने फोर्टिस जॉइन कर लिया था। डॉक्टर जितेंद्र और संदीप गुप्ता ही फोर्टिस में ऑर्गन ट्रांसप्लांट किया करते थे। पुलिस ने इस मामले में फरार चल रहे मैड सफर के अन्य डायरेक्टर राज कमल और दलाल मोहम्मद मुर्तजा अंसारी को पकड़ने के लिए पश्चिम बंगाल के अलग-अलग ठिकानों पर छापेमारी भी की थी। मामले में डॉ. संदीप गुप्ता, डॉ. जितेंद्र गोस्वामी और नर्सिंग स्टाफ भानू लववंशी को हाई कोर्ट दो महीने पहले जमानत मिल चुकी हैं। यह भी पढ़ें ऑर्गन ट्रांसप्लांट मामले में 2 डॉक्टर और नर्सिंगकर्मी को जमानत:हाईकोर्ट ने कहा-ये फर्जी NOC लेने में शामिल थे, यह स्पष्ट नहीं; 5 की खारिज की फर्जी एनओसी से ऑर्गन ट्रांसप्लांट करने के मामले में गिरफ्तार दो डॉक्टरों और एक नर्सिंग स्टाफ को गुरुवार को हाईकोर्ट से जमानत मिल गई। हाईकोर्ट ने आदेश में कहा- डॉक्टरों ने अस्पताल प्रशासन को एनओसी प्रस्तुत किए जाने के बाद ऑपरेशन किए थे। ऐसे में अभी यह नहीं कहा जा सकता है कि दोनों फर्जी एनओसी लेने में शामिल थे या नहीं। यह भी स्पष्ट नहीं है कि उन्हें फर्जी एनओसी के बारे में मालूम था या नहीं। पढ़ें पूरी खबर

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