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राजस्थान सरकार ने बजट में खेलों से जुड़ी कई बड़ी घोषणाएं की हैं। महाराणा प्रताप स्पोर्ट्स यूनिवर्सिटी और हर जिले में खेल एकेडमी की घोषणा की है। इसके अलावा भी कई घोषणाएं हैं, जिसका खिलाड़ियों ने स्वागत किया है। लेकिन बजट से इतर कई मुद्दे हैं, जिसे लेकर प्रदेशभर के खिलाड़ियों में नाराजगी है। देश में 37 नेशनल गेम्स हो चुके हैं, लेकिन राजस्थान में एक भी आयोजन नहीं हुआ है। कोच के 248 में से 182 पद खाली हैं। खेल अधिकारियों के पद भी खाली पड़े हैं। खिलाड़ियों ने पिछले 7 दिनाें में राजस्थान सरकार के नाम से 31 जिलों में कलेक्टर को संसाधन उपलब्ध कराने के साथ-साथ निर्धारित महंगाई भत्ता देने की मांग की है। पढ़िए पूरी रिपोर्ट… राजस्थान को नहीं मिला मेजबानी का मौका भारत में 37 नेशनल गेम्स हो चुके हैं। साथ ही 7 खेलों इंडिया नेशनल गेम्स हो चुके हैं, लेकिन हैरानी की बात है कि राजस्थान में आज तक एक भी नेशनल गेम्स नहीं हुए हैं। ज्यादातर बार दिल्ली, गुजरात, गोवा, असम व गोवाहाटी में ये आयोजन हुए। इसके अलावा भी कई राज्यों को नेशनल गेम्स की मेजबानी का मौका मिल चुका है। बास्केटबॉल के पूर्व कप्तान दानवीर सिंह भाटी ने बताया कि राजस्थान में नेशनल गेम्स न होने की वजह ये है कि यहां बेसिक इंफ्रास्टक्चर ही नहीं है। जयपुर को छोड़ कर दूसरे जिलों में खेल मैदानों की ऐसी हालत है कि खिलाड़ी प्रैक्टिस ही नहीं कर सकते। ग्रामीण क्षेत्र में तो मैदान ही नहीं हैं, ऐसे में बच्चों को जिला स्टेडियम आना पड़ता है, लेकिन यहां भी बेसिक सुविधाएं नहीं मिलतीं। कोच के 248 स्वीकृत पद, 182 खाली राजस्थान में खिलाड़ियों को ट्रेनिंग देने के लिए कोच ही नहीं है। 248 में से 182 पद रिक्त पड़े हैं। केवल 66 खेलों पर ही कोच लगे हुए हैं। प्रशिक्षक ग्रेड-प्रथम में 25 पद स्वीकृत हैं, जिनमें से 17 खाली है। इसी तरह प्रशिक्षक ग्रेड सेकंड में 37 पद स्वीकृत हैं, जिनमें से 25 खाली हैं। प्रशिक्षक ग्रेड थर्ड में 186 पदों में से 140 खाली पड़े हैं। 41 गेम्स के हिसाब से चाहिए 1353 कोच राजस्थान में 41 गेम्स रजिस्टर्ड हैं। इस हिसाब से पद काफी कम हैं। पुराने जिलों के हिसाब से एक जिले में 41 गेम्स के लिए 41 कोच लगाएं तो 33 जिलों के लिए 1353 कोच के पद होने चाहिए। लेकिन यहां तो 248 में से भी 182 पद खाली हैं। जिन पर 10 साल से भी ज्यादा समय से भर्ती नहीं हो सकी है। पिछली बार 2011 में कोच के पद पर नियुक्ति की गई थी। पूरे राजस्थान में केवल 5 खेल अधिकारी राजस्थान में खेल अधिकारियों की भी कमी है। पूरे राजस्थान में 5 ही खेल अधिकारी है। जिलों में किसी न किसी खेल के प्रशिक्षक को ही प्रभारी अधिकारी लगा रखा है। ऐसे में खेल अधिकारी नहीं होने से इंफ्रास्टक्चर और खिलाड़ियों पर फोकस ही नहीं हो पा रहा है। जयपुर के चौगान स्टेडियम, एसएमएस स्टेडियम सहित अन्य जिलों में कम से कम 60 खेल अधिकारियों की जरूरत है। 15 साल में केवल दो बार ही मिला महाराणा प्रताप अवार्ड अर्जुन अवार्ड की तर्ज पर राजस्थान में भी 1983 में महाराणा प्रताप अवार्ड शुरू करने की प्लानिंग हुई थी। अवॉर्ड राजस्थान के उन खिलाड़ियों को दिया जाता है, जिन्होंने खेल में उत्कृष्ट योगदान दिया हो या फिर नेशनल या स्टेट लेवल पर अवॉर्ड जीता हो। पिछले 15 साल में केवल दो बार ही महाराणा प्रताप अवार्ड दिया गया है। 2008 के बाद से 2017 में दिया गया था। उसके बाद से राजस्थान में किसी भी खिलाड़ी को महाराणा प्रताप अवार्ड से सम्मानित नहीं किया गया है। स्टेट लेवल पर खेलने पर दो विभागों के अलग-अलग नियम राजस्थान में खेलों को लेकर भी डीए के भी अलग-अलग नियम बने हुए हैं। शिक्षा विभाग की ओर से अंडर-10 स्कूल में 150 रुपए और स्पोर्ट्स काउंसिल में 600 रुपए का डीए दिया जा रहा है। इसे इस तरह समझ सकते हैं कि अगर एक बच्चा स्कूल में पढ़ रहा है और स्कूल की तरफ से प्रतियोगिता में खेलता है तो स्टेट लेवल टूर्नामेंट के लिए 150 रुपए मिलते हैं। वहीं अगर वही बच्चा जिला खेल परिषद की ओर से स्टेट टूर्नामेंट खेलता है तो उसे 600 रुपए दिए जाते हैं। दोनों ही टूर्नामेंट राज्य सरकार की ओर से कराए जाते हैं। 12 साल बाद भी स्पोर्ट्स यूनिवर्सिटी नहीं, गुजरात में 2 साल में बन गई थी बाड़मेर-जैसलमेर से निर्दलीय लोकसभा चुनाव लड़ने वाले रविंद्र भाटी ने बताया कि गुजरात और राजस्थान में एक साथ 2012 में स्पोर्ट्स यूनिवर्सिटी की घोषणा की गई थी। गुजरात में तो 2014 में ही स्पोट्‌र्स यूनिवर्सिटी बन कर तैयार हो गई थी। वहां पर खिलाड़ियों को ट्रेनिंग दी जा रही है। नए-नए गेम्स के बारे में एजुकेट किया जा रहा है। यही वजह है कि पिछले कई सालों में गुजरात से कई अच्छे खिलाड़ी निकले हैं। वहीं राजस्थान में सरकार ने झुंझुनूं में स्पोर्ट्स यूनिवर्सिटी बनाने के लिए 600 करोड़ रुपए का बजट घोषित किया था, आज तक न तो जगह देखी गई और एक ईंट भी स्पोर्ट्स यूनिवर्सिटी के नाम पर लगाई गई। खिलाड़ियों का दर्द ये भी पढ़ें- बजट में घोषणाओं की छड़ी पुरानी, सितारे नए:गुजरात की जगह अब एमपी मॉडल, 4 लाख नौकरियां कैसे देगी सरकार, 10 सवालों में पूरा एनालिसिस राजस्थान में पिछले कई सालों से राज्य बजट में छाया ‘घोषणाओं का मानसून’ इस बार भी खूब बरसा। विधानसभा में लहरिया साड़ी पहने वित्त मंत्री दीया कुमारी ने एक के बाद एक 188 बड़ी घोषणाएं कर दीं। (पूरी खबर पढ़ें)

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