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जयपुर मेट्रो कोर्ट ने सेंट्रल पार्क स्थित लिलीपूल से जुड़े मामले में पूर्व राजपरिवार सदस्य देवराज व लालित्या को पाबंद किया है कि वे इसे ना तो किसी को गिरवी रखें, ना बेचें और ना ही किसी भी तरह अंतरित करें और इस बारे में यथास्थिति बनाए रखें। कोर्ट ने यह निदेश मैसर्स रामबाग पैलेस होटल के अस्थाई निषेधाज्ञा प्रार्थना पत्र पर दिया। मामले से जुड़े अधिवक्ता रामजी लाल गुप्ता ने बताया कि लिलीपूल परिसर रामबाग पैलेस होटल प्रा.लि. का है और उसे ही इस संपत्ति का स्वामित्व लाइसेंस डीड के जरिए मिला हुआ है। कोर्ट ने किया पाबंद, यथास्थिति के आदेश
पूर्व राजमाता गायत्री देवी भी इस संपत्ति के उपयोग के बदले प्रतिमाह 3000 रुपए का भुगतान लाइसेंस फीस के तौर पर करती थी। बाद में गायत्री देवी की मृत्यु होने पर अप्रार्थी देवराज व लालित्या ने लिलीपूल की संपत्ति पर कब्जा कर लिया। अब वे दोनों इस संपत्ति को बिना किसी स्वामित्व के किसी अन्य तीसरे पक्षकार को बेचने चाहते हैं। इसलिए जब तक इस मामले से जुड़े मूल दावे को निस्तारित नहीं कर दिया जाता तब तक लिलीपूल की इस संपत्ति को किसी अन्य पक्ष को हस्तांतरित नहीं किया जा सकता। इसलिए अप्रार्थियों को इस संपत्ति पर यथास्थिति बनाए रखने का निर्देश दिया जाए। कोर्ट ने मामले में सुनवाई करते हुए अप्रार्थी देवराज व लालित्या को निर्देश दिया कि वह मूल दावे का निस्तारण होने तक इस संपत्ति के स्वामित्व के संबंध में यथास्थिति बनाए रखें। पर यथा स्थिति बनाए रखे। गायत्री देवी के पोते देवराज के पास है ये घर
पूर्व राजमाता गायत्री देवी 5 स्टार होटल रामबाग पैलेस के एक हिस्से में बने लिलिपूल में रहती थीं। यही उनका घर था। यह घर अब उनके पोते देवराज सिंह के पास है। लिलिपूल रामबाग पैलेस का ही हिस्सा है। दरअसल, लिलिपूल से पहले गायत्री देवी जयपुर में मोती डूंगरी किले पर रहती थीं। परिवार के सदस्यों के आग्रह पर उन्होंने मोती डूंगरी छोड़कर लिलिपूल को अपना निवास बनाया था। इसके बाद मोती डूंगरी की देखरेख उनके सौतेले बेटे और विजित सिंह के पिता पृथ्वी सिंह करने लगे थे।

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