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राजस्थान में चांदीपुरा वायरस की एंट्री हो गई है। यह खतरनाक वायरस है जिसकी एंटी वायरल दवा अब तक नहीं बनी है। उदयपुर के खेरवाड़ा इलाके के बलीचा गांव के संक्रमित बच्चे ने 27 जून को हिम्मतनगर (गुजरात) के सिविल हॉस्पिटल में दम तोड़ दिया था। इसके बाद अब बलीचा गांव के 3 साल के बच्चे और बावलवाड़ा गांव की 4 साल की बच्ची में चांदीपुरा वायरस के लक्षण मिले हैं। इसके बाद उदयपुर जिला चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग अलर्ट हो गया है। जिले के खेरवाड़ा थाना इलाके के बलीचा और बावलवाड़ा में मिले दोनों संक्रमित बच्चों का इलाज खेरवाड़ा सरकारी हॉस्पिटल में चल रहा है। दोनों बच्चों को तेज बुखार और उल्टी होने की शिकायत है। सोमवार सुबह ही सीएमएचओ डॉ शंकर बामणिया टीम के साथ खेरवाड़ा रवाना हो गए। सीएमएचओ डॉ बामणिया ने बताया- बलीचा गांव के बच्चे की गुजरात के हिम्मतनगर में इलाज के दौरान चांदीपुरा वायरस से मौत हो गई थी। इसके बाद से सावधानी बरत रहे हैं। बीमार दोनों बच्चों में चांदीपुरा वायरस के लक्षण हैं। इनके सैंपल पुणे स्थित लैब में भेजे हैं। 4-5 दिन में रिपोर्ट आने पर वायरस की पुष्टि होगी। मौके पर एक डिप्टी CMHO, एक फिजिशियन, पीडिट्रिशियन और एपीडर्मोलॉजिस्ट को तैनात किया है। ये वायरस आसपास के बच्चों में न फैले, इसको लेकर एंट्री लार्वा एक्टिवि​टी जारी है। बीमार बच्चों के आसपास घर-घर सर्वे कराया जा रहा है। सभी सीएचओ और एएनएम को इस संबंधी निर्देश जारी करते हुए बुखार और उल्टी-दस्त से पीड़ित बच्चों पर विशेष ध्यान देने को कहा है। खेरवाड़ा से लगते हैं गुजरात के दो जिले, दोनों में 2 बच्चों की हो चुकी है मौत सीएमएचओ ने बताया- गुजरात के हिम्मतनगर सिविल हॉस्पिटल में 27 जून को 4 साल के बच्चे की मौत हुई। इसके बाद 5 जुलाई को गुजरात के अरावली जिले के भिलोड़ा में 6 साल की बच्ची की भी इसी वायरस से मौत हो गई। हिम्मतनगर और अरावली दोनों ही जिलों की सीमा उदयपुर के खेरवाड़ा से लगती है। ऐसे में संभावना है कि खेरवाड़ा में जिन बच्चों में वायरस के लक्षण मिले हैं वे वायरस संक्रमित के सम्पर्क में आए हों। वर्ष 1966 में महाराष्ट्र के चांदीपुरा में हुई थी इस वायरस की पहचान वर्ष 1966 में महाराष्ट्र के नागपुर स्थित चांदीपुरा गांव में चांदीपुरा वायरस की पहचान हुई थी। इसके बाद इस वायरस को वर्ष 2004-06 और 2019 में आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र और गुजरात में रिपोर्ट किया गया था। चांदीपुरा वायरस एक RNA वायरस है। यह वायरस सबसे अधिक मादा फ्लेबोटोमाइन मक्खी से ही फैलता है। मच्छर में एडीज ही इसके पीछे ज्यादातर जिम्मेदार है। 15 साल से कम उम्र के बच्चे सबसे ज्यादा इसका शिकार होते हैं। उन्हीं में मृत्यु दर भी सबसे ज्यादा रहती है। चांदीपुरा के इलाज के लिए आज तक कोई एंटी वायरल दवा नहीं बनी है। इस मैकेनिज्म में य​दि दवा या वैक्सीन ईजाद की जाए तो चांदीपुरा वायरस फैलाने वाले रोग सोर्सेज पर कंट्रोल रखा जा सकता है।

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