राज्य बजट घोषणा में इस बार जिला मुख्यालय दौसा क्षेत्रवासियों को निराशा ही हाथ लगी है। केंद्र व राज्य की डबल इंजन वाली भजनलाल सरकार के पहले पूर्ण बजट में यहां भाजपा के चारों विधायकों की सौगातों से झोली भरी गई है। जबकि दौसा से कांग्रेस विधायक मुरारीलाल के सांसद बनने से रिक्त हुई सीट पर आगामी दिनों में उपचुनाव होने के बावजूद भी उम्मीद की झोली खाली रही है। यहां सबसे प्रमुख व दशक से लंबित सीवरेज वाली मांग उठाई गई, वह भी घोषणा में नजर नहीं आई। ऐसे में दौसा में उपचुनाव में भाग्य आजमाने की तैयारी कर रहे भाजपा नेताओं को निराशा हाथ लगी है। दरअसल विधानसभा चुनाव में जिले से लालसोट, महवा, सिकराय व बांदीकुई से भाजपा के विधायक बने, सिर्फ दौसा सीट पर करारी हार मिली। इसके बाद लोकसभा चुनाव में भी भाजपा प्रत्याशी की हार ने जिला संगठन के कर्ता-धर्ताओं को कटघरे में खड़ा कर दिया। अब दौसा से मुरारीलाल मीणा के सांसद बनने से रिक्त हुई सामान्य सीट पर प्रदेश के 5 सीटों के साथ उपचुनाव होना है। ऐसे में इस बजट से क्षेत्रवासियों को ज्यादा सौगातें मिलने की उम्मीद थी, मगर प्रमुख मांग सीवरेज की भी आस अधूरी रह गई। बजट में दौसा सीट पर विशेषकर कोई सौगात नहीं दी गई। यहां उन्हीं घोषणाओं का फायदा मिलेगा, जो अन्य जिला मुख्यालय पर कॉमन हैं। मसलन दूरस्थ ग्रामीण क्षेत्रों में यात्रियों की सुविधा के लिए लोक परिवहन सेवा शुरू होगी। एक जिला-एक उत्पाद के लिए पीएम के लोकल फॉर वोकल के तहत दौसा की दरियों के लिए एक्सपर्ट हब, खेलों को बढ़ावा देने के लिए स्कीम, जनसहभागिता से मातृ वन, विशेष नस्ल की पौध, वन मित्र लगाने जैसी सामान्य घोषणाएं हैं। किसानों को सॉइल टेस्टिंग फसलों के संबंध में जिला मुख्यालय पर एग्री क्लीनिक की स्थापना, जिला स्तर पर अन्य चयनित निकायों में वाई-फाई की सुविधा, लाइब्रेरी की स्थापना, बायो पिंक टॉयलेट कॉम्पलेक्स महिलाओं की सुविधा देना है। राजनीतिक दृष्टि से दौसा में डॉ. किरोडीलाल मीणा और सचिन पायलट का खासा प्रभाव रहा है। यहां इन दोनों की प्रतिष्ठा भी दाव पर रहती है। लोकसभा चुनाव में हार से हताश होकर कृषि मंत्री किरोड़ीलाल मीणा ने इस्तीफा तक दे दिया है। इसके बावजूद भाजपा की सरकार ने इस बजट में दौसा क्षेत्र को कतई तवज्जो नहीं दी। इससे सत्ता के विपरीत परिणाम का खामियाजा भुगतने या विकास की झोली सूनी रहने का सियासी संदेश भी हो सकता है। या फिर संगठनात्मक स्तर पर अन्य कोई रणनीति का पहलू भी। बहरहाल बजट घोषणा में दौसावासियों को निराशा मिलने से कुछ महीने बाद होने वाले उपचुनाव में भी व्यापक असर पड़ेगा। इससे विपक्षियों को दौसा के साथ पक्षपात करने पर हार की टीस माने जाने का मौका भी मिलेगा।