तलवाड़ा| अष्टाह्निका पर्व के पहले दिन नंदीश्वर द्वीप के अर्ध चढ़ाए। आचार्य विद्या सागर जी व अभिनव आचार्य समय सागर जी के परम प्रभावक शिष्य मुनि अजीत सागर जी ससंघ पावन वर्षा योग में विराजमान हैं। अष्टांहिका महापर्व प्रारंभ होने से मुनि के सानिध्य में सुबह अभिषेक शांतिधारा की गई जिसका पुनर्जन संदीप जैन, विपिन दोसी ने प्राप्त कियाऔर नदीश्वर महाद्वीप अक्रतिम चैत्यलय की पूजन के अर्ध चढ़ाए,तत्पशात स्वाध्याय भवन में विद्या सागर महा मुनिराज की पूजन कर द्रव्य चढ़ाया, पाद प्रक्षालन व आचार्य श्री के चित्र व द्वीप प्रज्वलन का जैन पाठशाला के बालक बालिका शांति धारा पुण्यार्जक परिवार ने किया मंगलाचरण यश भैया उदयपुर ने किया। ऐलक विवेकानंद सागर जी ने अपने धर्म देशना में बताया कि आप श्रावकों को धर्म ध्यान कर आत्मा का कल्याण करने चातुर्य मास मिला है, जिसमें स्वभाव, सत्संगति, संयम का पालन करें। मुनि निराग सागर जी ने कहा कि शास्त्रों का अध्ययन प्रकाश के समान है। इसका लाभ अवश्य लेवे। मुनि अजीत सागर जी ने अपने व्याख्यान में बताया आप धर्म के लिए जैसे रास्ते पर चलोगे वैसा ही ध्यान होगा। उबड़ खाबड़ रास्ते चलोगे वैसा ज्ञान होगा व सीधे व सही रास्ते चलोगे तो वैसा ज्ञान प्राप्त होगा। अतः आप विचार कर लो की आपको कैसे रास्ते जाना है, आप पुरुषार्थ करते जाओ आपके अच्छे कर्म होंगे व भाग्य भी बदल जाएगा, किसी मंजिल को पाने के लिए पुरुषार्थ करना आवश्यक है। दोपहर स्वाध्याय में काभी लोग उपस्थित हुए।