नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने कहा है कि बीजेपी सरकार में चार पावर सेंटर बन गए हैं। पता नहीं लग रहा कि किसकी चल रही है। सीएम-मंत्रियों को अनुभव नहीं है, ब्यूरोक्रेसी हावी है। जब तक पता लगेगा, तब तक लुटिया डूब जाएगी। बीजेपी के मंत्री विधानसभा में विपक्षी विधायक की तरह हंगामा करते हैं। इन्हें ट्रेनिंग की जरूरत है। जूली ने खुद की पीसीसी चीफ गोविंद सिंह डोटासरा से प्रतिस्पर्धा की बातों से इनकार करते हुए कहा कि उनके विधानसभा में रहने से तो मैं कंफर्ट महसूस करता हूं। बीजेपी वाले फालतू की बातें फैलाते हैं। दैनिक भास्कर को दिए खास इंटरव्यू में टीकाराम जूली ने विधानसभा में हंगामे, कांग्रेस की आपसी खींचतान, सदन में प्रदेशाध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष का प्रभाव, शैडो कैबिनेट, माइक बंद करने और खुद की अगले सीएम पद पर दावेदारी सहित कई मुद्दों पर बातचीत की। पढ़िए- नेता प्रतिपक्ष टीकाराम का पूरा इंटरव्यू भास्कर : आपने विधानसभा में माइक बंद करने की बात कही, क्या अब भी आपका माइक बंद कर दिया जाता है? टीकाराम जूली : मेरा कई बार पहले माइक बंद कर दिया था, लेकिन अब पिछले तीन दिन से समस्या नहीं आई है। इससे पहले मैं जब बोला तो मेरा बाइक बंद किया गया था। उस समय की बात है, मैं अपनी बात रख रहा था। बात पूरी होने से पहले माइक बंद कर दिया, लगातार तीन-चार बार हुआ। मुझे महसूस हुआ तो सदन में बात उठाई, लेकिन अब सब ठीक हो गया है। भास्कर : विधानसभा चल तो रही है, लेकिन पुराने नेता कह रहे हैं वो बात नहीं है। करंट गायब है। राजनीति चमकाने वाले मुद्दे हावी हैं? टीकाराम जूली : विपक्ष तो पहले दिन से ही जनहित के मुद्दे उठा रहा है। हम कानून व्यवस्था को लेकर रोज सवाल उठा रहे हैं। राज्य में कानून व्यवस्था के हालात ये बन गए हैं कि मुख्यमंत्री जी के क्षेत्र में एक दलित दूल्हे की निकासी पुलिस सुरक्षा में निकालनी पड़ी। बिजली-पानी की खराब हालत पर भी लगातार सवाल लगा रहे हैं। सरकार के पास सदन में जवाब नहीं होता और मंत्री सदन को गुमराह करते हैं। भास्कर : मंत्री और बीजेपी विधायक आरोप लगाते हैं कि प्रदेशाध्यक्ष डोटासरा ज्यादा हावी रहते हैं, विधायक आपकी मानते नहीं हैं। कंफ्यूजन है कि प्रदेशाध्यक्ष का इशारा मानें या नेता प्रतिपक्ष का? टीकाराम जूली : ऐसा बिल्कुल नहीं है। जब सदन में मुद्दा उठाना होता है सब एक साथ मिलकर उठाते हैं। कई जगह नेता प्रतिपक्ष खुद इशारा नहीं करता, साथी इशारा कर देते हैं। कई बार हालात के हिसाब से मौके पर फैसला लिया जाता है। यह कहना कि किसका इशारा मानेंगे, ऐसी तो कोई बात ही नहीं है, सबको पता है। इसके उलट मंत्रियों से हमारे सवालों के जवाब देते नहीं बन रहे। ये घबराए हुए हैं, इसलिए आपने देखा होगा दो-तीन दिन से जो जवाब हाउस में देने चाहिए, उनके जवाब वहां न देकर ऊल-जलूल बातें फैलाते हैं। भास्कर : कहा जा रहा है कि प्रदेशाध्यक्ष डोटासरा विधानसभा में होते हैं तो आपको अनकंफर्टेबल फील होता है, वो ही छाए रहते हैं, इसलिए उन्होंने आना कम कर दिया? टीकाराम जूली : ऐसी कोई बात है ही नहीं। शुक्रवार को अध्यक्ष जी भीलवाड़ा चले गए थे, इसलिए नहीं आ पाए थे। मुझे तो अध्यक्ष जी के सदन में रहने से कंफर्ट महसूस होता है। वो मेरे से अनुभवी हैं। उनसे सलाह-मशविरा कर सकते हैं। पिछले दिनों सचिन पायलट भी आए थे। गहलोत जी की तबीयत खराब है, सब लोग आ रहे हैं। अब जो बड़े नेता हैं उनके पास दूसरी जिम्मेदारियां भी हैं, इसलिए पूरे समय विधानसभा नहीं रह सकते। प्रदेशाध्यक्ष डोटासरा जी के पास संगठन की जिम्मेदारी है। उन्हें दौरों पर भी जाना होता है। पार्टी के भी कई काम करने होते हैं, बाकी तो वो सदन में ही रहते हैं। भास्कर : चीफ व्हिप जोगेश्वर गर्ग ने समुदाय विशेष को अशांति का कारण बताया। सीएम ने भी तंज कसा। दो बच्चों का कानून लाने की बातें हो रही हैं, इस पर कांग्रेस का स्टैंड क्या होगा? टीकाराम जूली : ये जानबूझकर ऐसी बातें करते हैं ताकि धर्म और जाति के आधार पर लोग लड़ें और असली मुद्दे भूल जाएं। विरोध की रणनीति हम मिलकर तय करेंगे, लेकिन मैं कहना चाहता हूं आज जो परिस्थितियां हैं उसमें लोगों की धारणा बदली है। धर्म या जाति नहीं, सबके एक या दो बच्चे ही हैं। बीजेपी वाले जिस समुदाय की तरफ इशारा करते हैं, वहां भी पढ़े-लिखे लोग हैं। वो भी परिस्थितियों को समझते हुए दो बच्चे ही पैदा कर रहे हैं। पहले जहां अशिक्षा थी, वहां बड़े-बड़े परिवार होते थे। लेकिन, ये गुमराह करके फायदा उठाने कोशिश करते हैं, यह गलत तरीका है। भास्कर : सरकार के बजट को विपक्ष किस रूप में देखता है? टीकाराम जूली : बजट में ऐसा कुछ है नहीं, जिसमें राजस्थान का विजन दिखे। प्रदेश बिजली संकट से जूझ रहा है। इन्होंने बिजली का बजट हमारे मुकाबले 3% कम कर दिया। डिमांड कैसे पूरी करेंगे? इन्होंने 9 ग्रीन फील्ड हाईवे की घोषणा की, लेकिन जितना बजट दिया, उसमें तो जमीन का अधिग्रहण भी पूरा नहीं होगा। फरवरी में लेखानुदान में हजारों नौकरियों की घोषणा कर दी, अब बजट में एक लाख की घोषणा कर दी। बजट का प्रावधान कर नहीं रहे, तो नौकरियां देंगे कहां से। मेरी नजर में धेले का बजट नहीं है। हमारी सरकार की जनहित की योजना बंद कर दी। चिंरजीवी जैसी योजना से गरीब आदमी को 25 लाख का इलाज मिल रहा था। महंगाई राहत किट बंद कर दिए। 6 महीने से न बुजुर्ग पेंशन मिल रही है न बेरोजगारों को भत्ता। हजारों युवा मित्रों और प्रेरकों को हटा दिया। भास्कर : आने वाले उपचुनाव पर बजट का क्या असर पड़ेगा, आपकी क्या तैयारी है? टीकाराम जूली : पांचों सीट हम जीतेंगे। हमारी कमेटियां बन गई हैं। संगठन के लोग तैयारी कर रहे हैं। सब लोग तैयार हैं। भास्कर : कांग्रेस में खींचतान की चर्चाएं अब भी हैं, एक जाजम पर बैठाने की कोशिश कितनी सफल हुई है? टीकाराम जूली : हम सब एक जाजम पर ही हैं। अभी विधायक दल की बैठक में सब बैठे, अच्छी चर्चा हुई। ये तो बीजेपी हमारे खिलाफ परसेप्शन बनाना चाहती है। असली लड़ाइयां तो बीजेपी के अंदर हैं। पहले एक पावर सेंटर था, अब तीन से चार पावर सेंटर बन गए हैं। पता ही नहीं चल रहा है सरकार चला कौन रहा है? ब्यूरोक्रेसी का चौथा पावर सेंटर अलग चल रहा है, यह पता ही नहीं चल रहा सरकार चला कौन रहा है? मुख्यमंत्री, मंत्री, ब्यूरोक्रेसी या दिल्ली में बैठे राजस्थान वाले नेता। भास्कर : विधानसभा के भीतर हंगामा, टोका-टाकी ज्यादा ही हो रही है। दोनों ही तरफ से विधायकों के आचरण पर क्या कहेंगे? टीकाराम जूली : विधानसभा में बहुत से विधायकों को बेसिक नियमों और आचरण तक का ध्यान नहीं रहता। ऐसा माहौल बन जाता है जैसे गांव की चौपाल पर बहस कर रहे हों, इसलिए मैंने स्पीकर साहब से आग्रह किया है कि नए विधायकों के लिए ट्रेनिंग सेशन रखा जाए। सदन में सरकार के मंत्रियों का ही आचरण बेहद आपत्तिजनक है। मंत्री खुद उकसाते हैं, नारेबाजी करते हैं। स्पीकर खड़े होकर कुछ कह रहे होते हैं और मंत्री बीच में बोलते रहते हैं। कई विधायक और मंत्री तो रील बनाकर फेमस होना चाहते हैं। ऐसे-ऐसे शब्द बोल जाते हैं जिन्हें दिल पर लें तो झगड़ा हो जाए। मैं कहता हूं विधायकों को ही नहीं सरकार के मंत्रियों तक को ट्रेनिंग की आवश्यकता है। भास्कर : हंगामा करने में तो आपके विधायक भी कहां पीछे हैं, वो तो मंत्री मदन दिलावर की सीट तक चले गए थे, उस दिन तो मारपीट हो सकती थी, क्या कसर रह गई थी? टीकाराम जूली : हमारे विधायकों का मंत्री मदन दिलावर की टेबल पर जाना गलत था। उन्हें इतना आगे तक नहीं जाना चाहिए था। हालांकि मारपीट के मकसद से नहीं गए थे और ऐसी नौबत नहीं आई। पहली बार के विधायकों को जानकारी में नहीं था कि वेल में कहां तक जाना है? कब जाना है? मैंने उन्हें आभास करवाया है कि यह तुम्हारी भारी गलती है, वहां तक नहीं जाना चाहिए था, लेकिन सरकार का रुख देखिए। शिक्षा मंत्री दिलावर ने जो बयान दिया, सदन के अंदर उन्होंने मान लिया कि गलत कहा गया, लेकिन माफी नहीं मांगी। दिलावर के बयान पर बीजेपी या सीएम का कोई रिप्लाई ही नहीं आना एक प्रकार से मौन स्वीकृति है। भास्कर : आप शैडो कैबिनेट कब तक बना रहे हैं। कई मंत्री तंज कस रहे हैं कि कांग्रेस वालों से राज के बिना नहीं रहा जाता? टीकाराम जूली : शैडो कैबिनेट जल्द बना देंगे। उसमें बुजुर्ग और युवा नेताओं का कॉम्बिनेशन होगा। यहां कोई शैडो मंत्री के गाड़ी, बंगले थोड़े ही मिल रहे हैं, लेकिन यह बीजेपी और उनके मंत्रियों की घबराहट है। विभागों पर निगरानी रखने के लिए शैडो कैबिनेट के जिक्र मात्र से मंत्रियों के पेट में दर्द है। ये डर रहे हैं। इनमें घबराहट नजर आ रही है, क्योंकि काम कर नहीं पा रहे हैं। भास्कर : अब तो आपका नाम सीएम के दावेदारों में जोड़ ही सकते हैं? बीजेपी विधायक जसवंत यादव ने हाल ही सदन में आपकी तारीफ करते हुए कहा कि जूली अगले सीएम होंगे? टीकाराम जूली : वो उनके (जसवंत यादव) निजी विचार हैं। ऐसा कुछ नहीं है। जिंदगी में पद ही सब कुछ नहीं होता है। मैं आज इस पद पर भी आया हूं तो मैंने इसके बारे में नहीं सोचा था। मेरे पिताजी के दिए हुए संस्कार और उनका आशीर्वाद है। उसके हिसाब से समाज की सेवा करनी है, लोगों की मदद करनी है। हर आदमी सीएम बनने की सोचे, यह जरूरी नहीं। यह बहुत बड़ा पद होता है। इसके लिए बहुत-सी चीजें होती हैं। मैं जहां हूं, वहां संतुष्ट हूं। मैं चाहता हूं कि जो काम मुझे मिला, जिस पद पर मैं हूं, उसमें मैं सफल होकर काम कर सकूं। यह लक्ष्य है। भास्कर : आपके विरोधी कहते हैं कि जूली साहब का पावर सेंटर तो राष्ट्रीय महासचिव भंवर जितेंद्र सिंह के यहां है? टीकाराम जूली : किसी का सम्मान कर लो तो उनके इशारे पर चलने का आरोप लगा दिया, गजब के तर्क हैं। ये सारी बनावटी बातें हैं। भंवर जितेंद्र सिंह हमारे जिले के हैं। पूर्व राज परिवार के सदस्य हैं। पार्टी के जनरल सेक्रेटरी हैं और हमेशा उन्होंने मेरा सहयोग किया। मैं तो राजनीति में जब आया, तब से भंवर साहब का सान्निध्य प्राप्त हुआ है। इसको अदरवाइज लेना उचित नहीं है। भास्कर : आपकी पार्टी में कोई जगह छोड़ने को तैयार नहीं है, युवा कैसे आगे बढ़ेंगे? टीकाराम जूली : हम तो 50% पद युवाओं को दे रहे हैं, मैं आपके सामने बैठा हूं। भास्कर : तो अगला सीएम उम्मीदवार युवा कोटे से होगा या बुजुर्ग कोटे से? टीकाराम जूली : मैं इस पर पर कुछ नहीं कहूंगा। आप मुझे जबरदस्ती मुख्यमंत्री पद का दावेदार मत दिखाओ। ये सारी चीज तो हमारे सीनियर्स और हाईकमान ही तय करते हैं। भास्कर : लोकसभा चुनाव में जहां हारे, कई जगह से भितरघात की शिकायतें मिली हैं, क्या बड़े नेता भी शामिल हैं? कुछ सीटें कम अंतराल से हारे, हार के क्या कारण रहे? टीकाराम जूली : कुछ जगह संसाधन की कमी रही, हमारे खाते सीज कर दिए गए। हमारे नेताओं के यहां गलत तरीके से छापे पड़े, डराया-धमकाया। लेकिन, जनता ने आशीर्वाद देने में कोई कमी नहीं रखी। हमारे नेताओं ने मजबूती से चुनाव लड़े। कुछ जगह हम थोड़े-थोड़े मार्जिन से हार गए। कोटा, बीकानेर, विशेष रूप से जयपुर ग्रामीण। जयपुर ग्रामीण में तो सत्ता का दुरुपयोग हुआ। हमारे कैंडिडेट अब कोर्ट में याचिका भी लगा रहे हैं। भास्कर : पांच सीटों पर होने वाले उपचुनाव में इंडिया गठबंधन लड़ेगा या कांग्रेस अकेले? टीकाराम जूली : मैं समझता हूं अभी तो हमारा इंडिया गठबंधन है। बाकी गठबंधन को लेकर भी हमारी कमेटी बनी हुई है वही तय करेगी कौन कहां से लड़ेगा। भास्कर : पिछले दिनों जयपुर में कांग्रेस ने जो सांसद सम्मान समारोह रखा, उसमें राजकुमार रोत और हनुमान बेनीवाल नहीं आए, इसके क्या मायने हैं? टीकाराम जूली : इंडिया गठबंधन एकजुट है, कोई दूर नहीं जा रहा। जिस दिन सांसद सम्मान समारोह था, उस दिन राजकुमार रोत साहब के चचेरे भाई की शादी थी। हनुमान बेनीवाल किसी जरूरी काम से बाहर गए हुए थे, इसलिए नहीं आ पाए। हम सब साथ हैं। इंडिया गठबंधन एकजुट है। आगे क्या होगा वह वक्त बताएगा।