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बहरोड़ के गांव कारोड़ा में कंपाउंडर पिता की यादगार में पहली पुण्यतिथि पर बेटों ने गांव के श्मशान घाट में लाखों रुपए खर्च कर हॉल बनाया और अब 10 सीमेंट की कुर्सी लगाने के साथ पीपल और बरगद के पौधे लगाए। ताकि अंतिम संस्कार करते समय लोग यहां आराम से बैठ सकें। क्योंकि बारिश के मौसम और गर्मी से लोगों को अंतिम संस्कार के समय बैठने में परेशानी होती थी। उन्होंने गांव के श्मशान घाट की सूरत ही संवार दी। गांव कारोड़ा के रहने वाले टीचर राजकुमार मीणा (50) बताया कि उनके पिता चन्द्र भान मीणा हेल्थ विभाग में कंपाउंडर थे। लेकिन गांव में लोग उन्हें डॉक्टर कहा करते थे। पिता का निधन 19 जुलाई 2023 को हो गया था। उनका निधन होने के बाद परिवार ने फैसला लिया कि वो मृत्युभोज नहीं करेंगे। जो पैसा मृत्यु भोज करने में खर्च होगा। उससे शमशान घाट या कहीं और लगा देगें। मैं खुद मृत्युभोज के खिलाफ हूं। ये समाज में कुरिती है। जिसे सभी को एकसाथ मिलकर खत्म करना होगा। गांव के श्मशान घाट में 25×30 साइज का हॉल बनाया। जिसकी अनुमानित कीमत करीब तीन लाख रुपए के आसपास होगी। जिसके बाद श्मशान को डेवलप करने का मन बनाया। यहां बरगद के पौधे लगाए हैं। उनकी ऊंचाई करीब सात फिट है। जिससे की बकरी- भेड़ या दूसरे पशुओं के हाथ नहीं आए ओर उन्हें कोई नुकसान नहीं हो। बड़े भाई सुबेसिंह (56) गांव में रहकर खेती-बाड़ी के साथ श्मशान के डेवलपमेंट में समय-समय पर सहयोग करते हैं। गांव के दिनेश मिस्त्री का हॉल बनाने में भरपूर सहयेाग रहा।

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