शहर में सूरजपोल स्थित राजकीय फतह उच्च माध्यमिक विद्यालय में संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) और राजस्थान लोक सेवा आयोग (आरपीएससी) की भर्ती परीक्षाओं में ड्यूटी लगाने के मामले में हुई जांच पर ही सवाल उठने लगे हैं। जांच रिपोर्ट के पेरा 3 में कहा गया है कि किसी भी चपरासी को परीक्षाओं के दौरान सुपरवाइजर की पोस्ट पर लगाया जाना कहीं नहीं पाया गया, जबकि परीक्षा की भुगतान शीट के क्रमांक 57 से 59 पर संतोष गुर्जर, सरोज आमेटा और तेजसिंह का मूल पद चपरासी दर्शाया गया है और उनकी परीक्षा के दौरान ड्यूटी वाले कॉलम में अंग्रेजी में SUP लिखा है। विशेषज्ञों के अनुसार इसका मतलब सुपरवाइजर ही होता है। इसी पदनाम पर इस ड्यूटी का भुगतान भी लिया गया है। आरपीएससी के नियमानुसार मूल पद को बदल नहीं सकते हैं, जबकि इससे साबित हो रहा है कि स्कूल प्रबंधन ने नियम के उलट काम किया है। इस बीच, इन परीक्षाओं में लगाए गए 11 चपरासियों का कोई भी रिकाॅर्ड स्कूल प्रशासन उपलब्ध नहीं करा पाया है। ऐसे में ये सवाल अब भी कायम है कि ये लोग कौन थे और कहां से लाए गए थे। चौंकाने वाली बात यह भी है कि इन्हें भुगतान भी निजी बैंक खाते से किया गया। प्रशासन के आदेश पर राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय भुवाणा के प्रधानाचार्य मनीष सोनी और मुख्य ब्लॉक शिक्षा अधिकारी कार्यालय गिर्वा के एसीबीईईओ विनोद कुमार ने जांच की है। इस मामले में जब जांच अधिकारियों से बात की गई तो वे बोले- हमने अपने स्तर पर पूरी पारदर्शिता के साथ रिपोर्ट सौंप दी है। इससे ज्यादा कुछ नहीं कह सकते। इसलिए भी गंभीर है, क्योंकि आरपीएससी और कर्मचारी चयन बोर्ड की कई भर्ती परीक्षाओं में पेपर लीक, नकल प्रकरण जैसे मामलों में एसओजी दर्जनों लोगों को गिरफ्तार कर चुका है। मामले में यूपीएससी की ओर से कलेक्टर अरविंद पोसवाल को जांच कराने के आदेश दिए गए थे। कलेक्टर की ओर से एडीएम सिटी दीपेंद्र सिंह ने डीईओ को निर्देश दिया और डीईओ ने एसीबीईईओ और भुवाणा स्कूल प्रिंसिपल से मामले की जांच कराई। इसकी जांच रिपोर्ट भास्कर के पास आने के बाद उसका मूल दस्तावेजों से मिलान किया गया तो कई तरह के सवाल जांच अधिकारियों और जांच रिपोर्ट पर ही उठने लगे। चौंकाने वाली बात…11 लोगों को निजी खाते से दिए पैसे तथ्यात्मक रिपोर्ट में दोनों जांच अधिकारियों ने कहा है कि स्कूल में 3 चपरासियों के अतिरिक्त 11 चपरासियों को परीक्षा के दौरान ड्यूटी किए जाने के लिए भुगतान किया गया। इसके लिए पूर्व सहायक प्रशासनिक अधिकारी अरुण दोसी के एसबीआई की बड़ी ब्रांच स्थित शाखा के व्यक्तिगत खाता नंबर 511015***** से भुगतान किया गया, जबकि 15 जनवरी को तीन चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों का भुगतान नियमानुसार पे मैनेजर के एफवीसी बिल नंबर 50074301 से 375 रुपए की दर से किया गया। ऐसी परीक्षाओं में कर्मचारियों के भुगतान के लिए पैसा स्कूल के खाते में भेजा जाता है। सवाल यह भी है कि क्या व्यक्तिगत खाते में ये पैसे स्कूल के खाते से ट्रांसफर हुए या फिर आरपीएससी ने डलवाए। उधर, इस परीक्षा में जिन वाइस प्रिंसिपलों ने क्लर्क बनकर ड्यूटी दी थी, उन्होंने जांच अधिकारियों के समक्ष स्पष्टीकरण दिया। इसमें उन्होंने कहा है कि केंद्राधीक्षक के आदेशानुसार ही लिपिक कार्य किया। 7 जनवरी – असिस्टेंट प्रोफेसर लाइब्रेरियन, पीटीआई परीक्षा
आरपीएससी की इस परीक्षा में फतह स्कूल के वाइस प्रिंसिपल सुनील कुमार गांग और आशा कुमारी जैन ने क्लर्क के तौर पर, जबकि चपरासी संतोष, सरोज आमेटा और तेजसिंह ने सुपरवाइजर के तौर पर ड्यूटी की। भुगतान पत्रक पर सभी ने हस्ताक्षर भी किए। रिकार्ड के अनुसार इस परीक्षा में 14 चपरासियों की ड्यूटी लगाई गई थी, जबकि स्कूल के पास चार ही चपरासी हैं। इनमें से दो सरकारी तो दो एसडीएमसी की ओर से नियुक्त हैं। 21 अप्रैल – यूपीएससी की एनडीए-सीडीएस भर्ती परीक्षा
यूपीएससी की इस परीक्षा में सुनील कुमार गांग और आशा कुमारी की ओर से एलडीसी के तौर पर ड्यूटी दी गई थी। स्कूल के चार नियमित सहित कुल 12 चपरासियों की ड्यूटी इस परीक्षा के दौरान लगाई गई। इनमें से 8 चपरासी वही थे, जिनकी ड्यूटी 7 जनवरी को आयोजित आरपीएससी की परीक्षा में भी लगाई गई थी। इन 8 चपरासियों के बारे में स्कूल प्रबंधन के पास कोई रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं होेने की जानकारी भी सामने आ रही है। आरपीएससी ने कहा- अराजकीय कर्मचारी की ड्यूटी लगाना गंभीर विषय
राजस्थान लोक सेवा आयोग (आरएसीएससी) के चीफ एग्जाम कंट्रोलर आशुतोष गुप्ता का कहना है कि हमने परीक्षा से पहले से ही कलेक्टर सहित एग्जाम करा रहे सभी केंद्राधीक्षकों को साफ निर्देश दिए थे कि कोई भी बाहरी या अराजकीय कर्मचारी किसी भी स्थिति में इस परीक्षा प्रक्रिया में शामिल नही होगा। इसके अलावा न ही मूल पद को बदला जाएगा। इस संबंध में सख्त निर्देश दिए थे। इसके बावजूद कहीं इन निर्देशों की अवहेलना की गई है तो यह गंभीर विषय है। हम इस पूरे मामले को दिखवाएंगे।
