नए सेशन में स्कूल खुल गए,लेकिन इनमें छात्र-छात्राओं केलिए सबसे बड़ी समस्या पेयजलकी है। स्कूलों में लगे हैंडपंप आैरबोरवेल का वाटर लेवल कम होगया है। भास्कर ने इस संबंध मेंस्थिति जांची तो पाया कि प्रारंभिकशिक्षा के 716 में से 21 स्कूलों मेंपेयजल सुविधा नहीं है। यहां छात्रोंको दूसरी जगह से पानी के लिएजाना पड़ता है। माध्यमिक स्कूलों मेंभी कमोबेश यही हालात है। 340स्कूलों में से 101 में नल कनेक्शनही नहीं है। अब इनमें जल जीवनमिशन योजना में उम्मीद बंधी है।शिक्षा विभाग स्कूली बच्चों केसहयोग से जिले में 7 लाख पौधेरोपेगा। यह स्कूल सहित अन्य सार्जनिक क्षेत्र में लगेंगे। इनके लिए भीपानी की जरूरत होगी। केस:1: राजकीय प्राथमिक संस्कृत विद्यालय शिवनगर, नई रोजड़ी : पेयजल की सुविधा नहींस्थिति : प्राइमरी संस्कृत स्कूल है। यहां पेयजल कीसुविधा नहीं है, क्योंकि नल कनेक्शन ही नहीं है। यहांवैकल्पिक रूप से पेयजल व्यवस्था करनी होती है।विद्यार्थी घरों से पीने का पानी लेकर आते हैं। केस: 2 राउप्रावि आंवली : हैंडपंप रीता, विद्यार्थी घरों सेलाते हैं पानी स्कूल में हैंडपंप रीत चुका है। वाटर लेवलडाउन होने से पानी नहीं आता। यहां एक किसान केबोरवेल से वैकल्पिक पेयजल की व्यवस्था की गई है।विद्यार्थी घरों से बोतलें भरकर लेकर आते हैं। यहां 200से अधिक स्टूडेंट्स हैं। ^स्कूलों में पानी की व्यवस्थाएं हैं। जलजीवन मिशन के तहत भी स्कूलों मेंपेयजल सुविधा के लिए निर्देश दिए हैं। नएसेशन में स्कूलों में पानी की समुचितव्यवस्थाएं करेंगे। – तेज कंवर, संयुक्तनिदेशक स्कूल शिक्षा ^स्कूलों में जल जीवन मिशन योजना में नल कनेक्शन लेने कीतैयारियां कर रहे हैं। जिला प्रशासन ने भी इस संबंध में रिपोर्ट मांगी है।यह सुविधा मिलने से स्कूलों में पेयजल में राहत मिल सकेगी। वहींहैंडपंप में मोटर की भी व्यवस्था के प्रयास किए जाएंगे।यतीश विजयवर्गीय, डीईआे प्रारंभिक मुख्यालय