आचार्य की उपाधि प्राप्त करने के 17 वर्षों बाद राष्ट्रीय संत आचार्य पुलकसागर महाराज का चातुर्मास के लिए उदयपुर से 67 किलोमीटर दूर ऋषभदेव नगर में प्रवेश हुआ। आचार्य के स्वागत के लिए जैन समाज के श्रद्धालुओं ने पलक-पावड़े बिछा दिए और उनका नगर में प्रवेश के दौरान भव्य स्वागत किया गया। यहां सकल दिगम्बर जैन समाज में उत्साह का वातावरण बना रहा। जैनाचार्य का नगर में मंगल प्रवेश नेशनल हाइवे 48 के गवरी चौराहा से हुआ। रविवार को आचार्य पुलक सागर महाराज का ससंघ स्थानीय सकल जैन समाज ने श्रीफल भेंट कर अगवानी की। इसके उपरांत आचार्य को शोभायात्रा के साथ लेकर रवाना हुए। शोभायात्रा गवरी चौराहे से नगर पालिका रोड, पुराना बस स्टैंड, धर्मशाला परिसर, सदर बाजार, जौहरी बाजार, ऋषभ चौक आदि मार्गों से होते हुए भगवान ऋषभदेव के निज मंदिर ले जाया गया। मंदिर में भगवान ऋषभदेव के दर्शन कर पूजा-अर्चना की और दुबारा उसी मार्ग से होते हुए नेहरू बाजार, पाटूना चौक, हॉस्पिटल रोड होते हुए विश्राम स्थल भट्टारक यश कीर्ति गुरुकुल मंदिर ले जाया गया, जहां शोभायात्रा धर्म सभा में परिवर्तित हो गई। शोभायात्रा के दौरान जगह-जगह आचार्य का पाद प्रक्षालन एवं पुष्पवर्षा की गई। इस दौरान राजस्थान महाराष्ट्र दिल्ली मध्यप्रदेश के श्रावकों ने भाग लिया। वहीं इस दौरान आचार्य से उदयपुर शहर के विधायक ताराचंद जैन एवं खेरवाड़ा के पूर्व विधायक नानालाल अहारी ने आशीर्वाद लिया। आचार्य पुलक सागर ने कहा कि आज भक्तों की नगरी में चातुर्मास हुए हैं। पहली बार भगवान की नगरी में चातुर्मास हो रहा है। इस गांव के नाम लेने से मोक्ष की व्यवस्था हो जाती है। मैं चार माह में भविष्य तो नहीं बदल सकता हूं पर सभी का नेचर बदल दूंगा। धर्मनगरी में आया हूं धर्म नगरी में ज्ञान की गंगा बहेगी। इनपुट : शैलेंद्र कुमार जैन, ऋषभदेव