सुजान गंगा नहर के जीर्णोद्धार की कोशिशों का इस बजट में जिक्र है, जिसमें सवाईमाधोपुर के डूंगरी बांध से पानी बयाना के बांध बारैठा में डालने और वहां से सुजान गंगा नहर में लाने की संभावनाओं का उल्लेख है। जलसंसाधन विभाग के अधीक्षण अभियंता देवीसिंह बेनीवाल का कहना है कि इसे ईआरसीपी के रिवाइज प्रोजेक्ट में शामिल किया गया है। क्या होगा और कैसे होगा इसकी अभी जानकारी नहीं आई है। इधर, इस प्लान पर सुजान गंगा नहर के लिए 28 साल से कोर्ट में लड़ रहे याचिकाकर्ता श्रीनाथ शर्मा एडवोकेट का कहना है कि 14 साल पहले डीपीआर बन चुकी है। सरकार को चाहिए कि वह इसी डीपीआर को रिवाइज कर काम शुरु कराए । राज्य सरकार की तकनीकी कमेटी और एमएनआईटी से भी अप्रूव्ड है। उन्होंने सीएम भजनलाल शर्मा ने सुजान गंगा नहर के लिए एकमुश्त 300 करोड़ का बजट दिए जाने की मांग की है। नहर लंबाई करीब 2.8 किलोमीटर है। इसमें अजान बांध से पानी आने का सिस्टम था। वर्ष 2011 में आरएसआरडीसी ने वोयांत सोल्युएशन प्राइवेट लिमिटेड से सुजान गंगा नहर में फ्रेश वाटर लाने के लिए 17.48 लाख रुपए में डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट तैयार कराई थी, जिसे 2012 में सरकार की तकनीकी कमेटी और एमएनआईटी ने अप्रूव्ड भी किया। लागत 149 करोड़ रुपए आंकी गई। बजट को देखते हुए सरकार ने राष्ट्रीय झील परियेाजना से मंजूरी के लिए भेजा, जिसमें 70 फीसदी पैसा मिलना था। लेकिन स्वीकृति नहीं मिली। वसुंधरा राजे सरकार में एक बार फिर प्रयास हुए। पुरातत्व विभाग ने काम कराने की मंजूरी दे दी। आठ करोड़ का बजट भी पास हुआ, लेकिन पुरानी डीपीआर को संज्ञान में नहीं लिया गया और प्रपोज्ड प्रोजेक्ट रिपोर्ट एएसआई को भेज दी, जिसे उन्होंने नकार दिया। नए सिरे से डीपीआर मांगी। बाद में सरकार ने पर्यटन विभाग को हैंड ओवर कर दिया। पिछले साल फरवरी में चेयरमैन ने मीटिंग ली, जिसमें 2011 में बनी डीपीआर को संज्ञान में लाया गया, जिसमें सरकार को बजट के लिए लिखने का निर्णय हुआ। 1 . रियासतकाल से नहर में फ्रेश वाटर अजान बांध से राम नगर दो मोरा होते हुए बिजली घर सिंचाई डेरा से अंडरग्राउंड नाले से मोरी चार बाग स्थित इंजन घाट के जरिए पानी गिरता था। यह सिस्टम अतिक्रमण और गंदगी के कारण चाक हो चुका है। वर्ष 2011 की डीपीआर में इस सिस्टम को सुचारू बनाने पर जोर दिया, जिसमें दो विकल्प सिंचाई डेरा से इंजन घाट तक पाइप लाइन और बीनारायण गेट से चौबुर्जा गढ़ी तक पानी लाना प्रस्तावित किया गया था। 2. सरकार के इस बजट में इसे ईआरसीपी में शामिल किया गया है। इसमें सवाई माधोपुर के डूंगरी बांध से बयाना के बांध बारैठा में पानी डाला जाएगा। वहां से सुजान गंगा नहर तक पानी आएगा। बांध बारैठा और भरतपुर की दूरी करीब 34 किलोमीटर है। बैड लेवल भरतपुर का नीचे होने के नेचुरल फ्लो है। बौरठा से भरतपुर में पीने का पानी प्रतिदिन 1.38 एमसीएफटी आता है। जानकारों का कहना है कि समानांतर पाइप लाइन से पानी लाया जाएगा।