भारत की बैडमिंटन स्टार साइना नेहवाल को लगता है कि अगर उन्होंने बैडमिंटन की बजाय टेनिस खेला होता तो वे बतौर खिलाड़ी और बेहतरीन प्रदर्शन कर सकती थीं। यह बात साइना ने गुरुवार को राष्ट्रपति भवन में ‘हर स्टोरी–माई स्टोरी’ सीरीज के दौरान आयोजित व्याख्यान में लोगों से बात करते हुए कहीं। साइना ने कहा- ‘कभी कभार मुझे लगता है कि अगर मेरे माता पिता ने मुझे टेनिस में डाला होता तो अच्छा होता। इसमें ज्यादा पैसा है और मुझे लगता है कि मैं ज्यादा ताकतवर थी। मैं टेनिस में बैडमिंटन से बेहतर कर सकती थी।’ 34 साल की साइना का करियर बतौर बैडमिंटन खिलाड़ी शानदार रहा है। वे नंबर-1 रैंकिंग हासिल करने वाली पहली भारतीय महिला खिलाड़ी हैं और इस खेल में ओलिंपिक मेडल जीतने वाली देश की पहली महिला बैडमिंटन खिलाड़ी भी हैं। वे एक दिन पहले राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के साथ बैडमिंटन खेलती नजर आई थीं। राष्ट्रपति ने खुद इस मैच के कुछ फोटो पोस्ट किए। 8 साल की उम्र में थामा था रैकिट
साइना नेहवाल ने 8 साल की उम्र में बैडमिंटन खेलना शुरू किया था। उन्होंने कईयों को बैडमिंटन में आने के लिए प्रेरित किया है। लेकिन जब उन्होंने बैडमिंटन खेलना शुरू किया था, तो उनके लिए कोई आदर्श नहीं था।
साइना ने कहा- ‘जब मैंने शुरुआत की थी तो मेरे लिए यह कहने के लिए कोई नहीं था- ‘मैं दुनिया की नंबर एक खिलाड़ी बनना चाहती हूं या ओलंपिक पदक विजेता बनना चाहती हूं।’ मैंने किसी को बैडमिंटन में ऐसा करते नहीं देखा था। चीन 60-70 मेडल जीतता है, हमें सिर्फ 3-4 मिलते हैं
साइना ने कहा- ‘मैं हमेशा बच्चों को खेलों पर ध्यान लगाने के लिए कहती हूं। चीन 60-70 पदक जीतता है और हमें सिर्फ तीन चार पदक मिलते हैं। इतने सारे डॉक्टर और इंजीनियर होते हैं और उनके नाम अखबारों में नहीं आते।’
साइना ने कहा, ‘मैं विशेषकर लड़कियों से आगे आने के लिए कहूंगी कि वे फिट होना शुरू करें और खेलों में आयें। अब हम बच्चों के लिए मौजूद हैं, उनके लिए प्रेरणा के लिए दुनिया की नंबर एक, ओलंपिक चैम्पियन और इतनी सारी पदक विजेता हैं।’ उन्होंने अपने करियर के बारे में बात करते हुए कहा कि उनकी कड़ी मेहनत ने प्रतिभा की कमी की भरपाई की। मैं इतनी प्रतिभाशाली खिलाड़ी नहीं, कड़ी मेहनत करना पसंद
साइना ने कहा- ‘मुझे कड़ी मेहनत करना पसंद है, मैं इतनी प्रतिभाशाली खिलाड़ी नहीं थी। मुझे काफी मेहनत करनी पड़ती थी। अगर कोई प्रतिभाशाली खिलाड़ी कोई चीज 100 बार करता था तो मुझे इसे 1000 दफा करना पड़ता था। लेकिन मुझे कड़ी मेहनत करना पसंद है। मेरे कोचों को मेरा कभी हार नहीं मानने वाला जज्बा पसंद है।’