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फतहलाल शर्मा | भीलवाड़ा मछली सालभर में सिर्फ एक बार अंडे देती है। ज्यादा अंडे कैसे लिए जाते है, इसका बड़ा ही अनूठा नजारा चित्तौड़गढ़ रोड स्थित गुवारड़ी फिश फार्म पर बने मत्स्य विभाग के प्रजनन केंद्र में देखने को मिला। बड़े पौंड में पल रही नर-मादा मछलियों को कुंडनुमा बड़ी हेचरी में लिए जाने के बाद उन पर ऊपर से फव्वारा चलाकर बारिश होने का अहसास कराते हैं। बारिश का एहसास इसलिए कराते हैं कि उनमें उत्तेजना हो और वे प्रजनन के लिए तैयार हो जाए। फिर घुमावदार पानी के कुंड में छोड़ा जाता है, जो पानी की धारा के विपरीत दिशा में दौड़ती है। फिर उन्हें बाहर निकाल ओरटाइड इंजेक्शन लगाते हैं। यह एक तरह का हारमोन इंजेक्शन है, जो नर व मादा दोनों तरह की मछलियों की ग्रंथी को सक्रिय करता है, जिससे ये अंडे छोड़ना शुरू करती है। करीब 72 घंटे बाद अंडों से बच्चे निकलना शुरू होते हैं। एक किलो की मछली एक बार में करीब 80 हजार से एक लाख तक अंडे देती है। जितना ज्यादा वजन उतने ज्यादा अंडे। पौंड पर 5 किलो तक की मछलियां है। अंडे से चार दिन बाद निकलने वाले बच्चे को स्पॉन कहते हैं, जिसके लिए एडवांस बुकिंग करनी पड़ती है। जिले के करीब 350 बांधों व तालाबों में मछली पालन के लिए 6 करोड़ से अधिक बीज की आवश्यकता है। गुवारडी से हर चौथे दिन करीब 25 लाख मत्स्य बीज उपलब्ध कराए जा रहे हैं। यह प्रदेश की 3 नर्सरियों में सबसे अधिक व अच्छी गुणवत्ता का है। गुवारड़ी फिश फार्म में 5 वैरायटी कटला, राहू, मृगिल, आईएमसी व ग्रासकॉर्प मछलियों के बीज तैयार हो रहे हैं। जिला मत्स्य अधिकारी मोहम्मद इरशाद खान के अनुसार गत 3 सालों से गुवारड़ी फिश फार्म पर प्रदेश में सबसे अधिक 400 से 500 लाख बच्चे तैयार हो रहे हैं, जो प्रदेश में अव्वल है। ठेकेदारों को यहां से करीब 16 रुपए प्रति हजार में सीड्स उपलब्ध कराया जा रहा है। 15 जून से 15 अगस्त तक मछलियों का प्रजनन काल होता है।

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