विभिन्न मांगों को लेकर शुक्रवार को सरपंच संघ के पदाधिकारियों ने जिलाध्यक्ष सरपंच हजारीलाल मीना के नेतृत्व में मुख्यमंत्री एवं पंचायती राज मंत्री के नाम कलेक्टर देवेंद्र कुमार को ज्ञापन सौंपा। उन्होंने मांग की है कि राज्य वित्त आयोग द्वारा कुल 6742 करोड़ रुपए, केन्द्रीय वित्त आयोग की कुल 2872.86 करोड़ रूपए और मनरेगा सामग्री का बकाया भुगतान वित्तीय वर्ष करीब 7 हजार करोड़ रुपए का बकाया भुगतान सभी जिलों में जारी करें। साथ ही मनरेगा में पक्के कामों पर लगने वाले मैट कारीगर का भुगतान लेबर पेमेंट के साथ ही करवाया जाए, नरेगा में लगने वाले मेट एवं कारीगर की मजदूरी 500 एवं 700 बाजार दर के बराबर दी जाए। इसके साथ ही मनरेगा योजनान्तर्गत ऑनलाइन हाज़री के माध्यम से श्रमिकों के नियोजन एवं उपस्थिति दर्ज करने में आ रही समस्याओं के समाधान के संबंध में ऑफलाइन उपस्थिति अनुमत की जाए एवं 20 कार्यों से अधिक कार्य स्वीकृति पर पाबंदी हटाकर पूर्ववत किया जाए। मनरेगा में ग्राम पंचायतों द्वारा किए गए कार्यों में जांच के नाम पर लेबर पेमेंट की भी वसूली सरपंच ग्राम सेवकों से निकाली जा रही है। जबकि लेबर का भुगतान सीधे मजदूरों के खाते में ट्रांसफर किया जाता है। इनकी वसूली रुकवाई जाए। पंचायती राज में रिक्त पड़े कनिष्ठ अभियंता के पदों को भरा जाए, पूर्व में सरपंच के चुनाव दो चरणों में हुए थे कि प्रथम चरण में हुए चुनावों की ग्राम पंचायतों का कार्यकाल बढ़ाते हुए चुनाव एक साथ कराए जाए। सरपंचों का मानदेय बढ़ाकर 20 हजार किया जाए और सरपंच पद का कार्यकाल पूर्ण होने पर अंतिम मानदेय की 50 प्रतिशत राशि पेंशन के रूप में भुगतान करने का प्रावधान किया जाए।। राष्ट्रीय राजमार्ग एवं राज्य मार्गों पर सरपंचों को टोल-फ्री पास जारी किए जाए। जिलाध्यक्ष ने कहा कि सरपंच संघ ग्रामीण विकास एवं पंचायतीराज विभाग द्वारा संचालित योजनाओं में आ रही समस्याओं को लेकर संघर्ष कर रहा है। वर्तमान समय में पंचायतों में आ रही वित्तीय एवं अन्य समस्याओं के बारें में अवगत कराया जा रहा है, जिसका तुरन्त समाधान किया जाए, जिससे ग्रामीण क्षेत्र में रुके हुए विकास कार्य सुचारु रूप से चल सकें एवं ग्रामीण जनता को राहत मिल सके। इस दौरान राजेंद्र बारवाल, भगवत बासड़ा, बनवारीलाल मीना, जितेंद्र नावरिया, रतिराम मीना, दिलखुश मीना, पुष्पेंद्र शर्मा समेत कई सरपंच मौजूद रहे।