हनुमानगढ़ एसपी हरी शंकर के निर्देशन में जंक्शन पुलिस ने साइबर अपराध के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की है। पुलिस ने हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी स्थित एक मकान में दबिश देकर दो व्यक्तियों को गिरफ्तार किया है, जो फर्जी बैंक खातों के माध्यम से करोड़ों रुपए की साइबर ठगी को अंजाम दे रहे थे। गिरोह का मास्टरमाइंड आसिफ अली फिलहाल फरार है, जिसकी तलाश जारी है। 24 घंटे संचालित हो रहा था साइबर ठगी सेंटर पुलिस थाना हनुमानगढ़ जंक्शन के उप निरीक्षक सुरेन्द्र कुमार को बुधवार रात गश्त के दौरान सूचना मिली कि डीटीओ कार्यालय के पीछे न्यू हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी स्थित एक मकान में दो युवक लोगों से धोखाधड़ी कर अर्जित राशि को अलग-अलग बैंक खातों में ट्रांसफर कर रहे हैं। सूचना पर तुरंत कार्रवाई करते हुए पुलिस टीम ने मकान पर दबिश दी। मौके से अंतरराज्यीय गिरोह के दो सदस्य गिरफ्तार जंक्शन पुलिस ने मौके से शिवचरण (42) पुत्र बाबूलाल निवासी वार्ड नं. 44, सुरेशिया और शुभम (20) पुत्र मदन निवासी भट्टा कॉलोनी, वार्ड नं. 15 को गिरफ्तार किया गया। दोनों आरोपी बिना सत्यापन के फर्जी दस्तावेजों से बैंक खातों की व्यवस्था कर साइबर ठगों को उपलब्ध करवाते थे। 20 मोबाइल, 30 सिम, पासबुक-चेकबुक और डेस्कटॉप बरामद गिरफ्तार आरोपियों के कब्जे से भारी मात्रा में साइबर ठगी से संबंधित उपकरण बरामद किए गए, जिनमें शामिल हैं: • 20 मोबाइल फोन (फर्जी खातों को चलाने हेतु)। • 30 सिम कार्ड। • 4 एलईडी स्क्रीन। • 2 डेस्कटॉप सीपीयू। • एयरटेल कंपनी का वाई-फाई राउटर। • विभिन्न बैंकों की पासबुक्स, चेक-बुक्स, डेबिट कार्ड। • मोबाइल फोन के पीछे कागज चिपकाए गए थे, जिन पर संबंधित फर्जी खाताधारकों के नाम, मोबाइल नंबर और बैंक विवरण दर्ज थे। वॉट्सऐप से निर्देश, दिन-रात की अलग-अलग शिफ्ट में होता था काम पुलिस की प्रारंभिक जांच में यह सामने आया है कि यह साइबर ठगी सेंटर 24 घंटे सक्रिय रहता था। अलग-अलग शिफ्ट में 3 से 4 लड़के यहां काम करते थे। सभी कर्मचारी कंप्यूटर स्क्रीन पर मिले निर्देशों के अनुसार कार्य करते थे। गिरोह के सदस्य एक-दूसरे से फोन पर बात नहीं करते थे, बल्कि वॉट्सऐप के माध्यम से केवल चैटिंग कर आपसी संपर्क बनाए रखते थे। यह पूरा ऑपरेशन एक फर्जी कंपनी की आड़ में संचालित हो रहा था।
प्रतिदिन 5 से 10 लाख रुपए का होता था लेनदेन गिरफ्तार आरोपियों से बरामद दस्तावेजों और डाटा के अनुसार, फर्जी खातों के जरिए प्रतिदिन लगभग 5 से 10 लाख रुपए की साइबर ठगी की जाती थी। ये खाते बेंगलुरु, महाराष्ट्र, जम्मू-कश्मीर, गुजरात, कर्नाटक सहित विभिन्न राज्यों के हैं। जांच में यह भी सामने आया है कि इन खातों में जो राशि ट्रांसफर की जाती थी, उसका उपयोग हवाला कारोबार, अवैध ऑनलाइन गेमिंग, और युएसटीडी फ्रॉड जैसे आपराधिक कार्यों में होता था। बैंक अधिकारियों की मिलीभगत की आशंका पुलिस को संदेह है कि फर्जी खातों के खुलवाने और संचालन में कुछ बैंक कर्मचारियों और अधिकारियों की संलिप्तता भी हो सकती है। इस दिशा में भी अनुसंधान जारी है। पुलिस बैंक रिकॉर्ड खंगाल रही है और संबंधित बैंकों से डेटा प्राप्त किया जा रहा है। मास्टरमाइंड आसिफ अली फरार, तलाश जारी पूरे गिरोह का संचालन आसिफ अली पुत्र इस्पाक अली, निवासी भट्टा कॉलोनी, हनुमानगढ़ जंक्शन द्वारा किया जा रहा था, जो पुलिस कार्रवाई के बाद से फरार है। पुलिस टीमें उसकी गिरफ्तारी के लिए गठित कर दी गई हैं।
आरोपियों के विरुद्ध यह धाराएं लगाई गईं गिरफ्तार आरोपियों के विरुद्ध थाना हनुमानगढ़ जंक्शन में एफआईआर संख्या 478/2025 के तहत भारतीय न्याय संहिता 2023 की धारा 111(2)(बी), 111(3), 318(2), 61(2)(ए) तथा आईटी एक्ट की धारा 66(C), 66(D) के तहत मामला दर्ज किया गया है। मामले की जांच पुलिस निरीक्षक लक्ष्मण सिंह द्वारा की जा रही है।
पुलिस टीम को सराहना इस सफलता में एसआई सुरेन्द्र कुमार सहित हैड कॉन्स्टेबल राकेश कुमार, कॉन्स्टेबल सुरेश कुमार, संदीप कुमार, हेमेन्द्र सिंह एवं जिला साइबर सेल हनुमानगढ़ की टीम ने सक्रिय भूमिका निभाई। एक अंतरराज्यीय साइबर गिरोह का खुलासा पुलिस थाना हनुमानगढ़ जंक्शन के उप निरीक्षक ने कहा कि प्रथम दृष्टया सामने आया है कि यह गिरोह देश के विभिन्न राज्यों में फैला हुआ है और यह एक राष्ट्रीय स्तर पर सक्रिय साइबर ठगी गिरोह है। पुलिस की कार्रवाई से करोड़ों रुपए के फर्जी लेनदेन का खुलासा हुआ है। अनुसंधान जारी है, जल्द ही और भी खुलासे होने की संभावना है।
