अजमेर दरगाह के नीचे गर्भ गृह में शिव मंदिर के दावे को लेकर शनिवार को सुनवाई टल गई। कोर्ट ने अगली सुनवाई की तारीख 31 मई दी है। वहीं पहले सरकारी विभागों की ओर से दरगाह में चादर नहीं पेश की जाए। इसे लेकर वादी विष्णु गुप्ता ने एक स्थगन प्रार्थना-पत्र प्रस्तुत किया गया था। जिस पर आज कोर्ट में अल्पसंख्यक मंत्रालय और एएसआई ने अपना जवाब प्रस्तुत किया। एक प्रार्थना पत्र प्रतिवादी संख्या 2 और 3 के द्वारा प्रस्तुत किया गया। उपरोक्त प्रार्थना-पत्र में भारत संघ नाम से प्रार्थना-पत्र प्रस्तुत नहीं किया गया है, इसलिए खारिज किया जाए। जिसको लेकर वादी विष्णु गुप्ता जवाब प्रस्तुत करेगा। एडवोकेट योगेंद्र ओझा ने बताया- शनिवार को दरगाह मामले को लेकर सुनवाई होनी थी। प्रार्थना-पत्र और जिला न्यायालय की नई बिल्डिंग का उद्घाटन के कारण वह सुप्रीम कोर्ट के वकील के नहीं आने के कारण और नए प्रार्थना पत्र प्रस्तुत करने के कारण जवाब के लिए सुनवाई को टाल दिया गया। बता दे कि इससे पहले सुनवाई 19 अप्रैल को होनी थी। लेकिन बिजयनगर कांड को लेकर अजमेर बंद का जिला बार एसोसिएशन ने समर्थन दिया था। इस कारण सुनवाई टल गई थी। बता दे कि हिंदू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता ने दरगाह में मंदिर के दावे को लेकर याचिका लगाई थी। इसके बाद दरगाह कमेटी ने इस याचिका को खारिज करने की मांग करते हुए कोर्ट में एप्लीकेशन लगाई थी। वहीं दूसरी तरफ अजमेर दरगाह से जुड़ी अंजुमन कमेटी ने भी हाईकोर्ट में एक याचिका लगाई है। हिंदू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता के दावे के तीन आधार… संस्कृत किताब का अनुवाद पेश करने का दावा विष्णु गुप्ता ने दावा किया कि मेरे पास 1250 ईस्वी की लिखी किताब पृथ्वीराज विजय है। यह पूरी किताब संस्कृत में लिखी हुई है। इस किताब को भी हिंदी ट्रांसलेशन के साथ कोर्ट में पेश करेंगे। इसमें भी अजमेर की हिस्ट्री लिखी हुई है। गुप्ता ने कहा- वर्शिप एक्ट पूजा अधिनियम कानून है। सुप्रीम कोर्ट में इस विषय पर वकील वरुण कुमार सेना ने बहस की है। वह कोर्ट में सबूत और दलीलें पेश करेंगे। पूजा अधिनियम कानून मस्जिद, मंदिर, गिरजाघर और गुरुद्वारे पर लगता है। अजमेर दरगाह वर्शिप एक्ट के दायरे में नहीं आती। यह धार्मिक स्थल है। इन्हें कानून की नजर में ऑथराइज्ड धार्मिक स्थल कहा जाता है। गुप्ता को एसपी वंदिता राणा के निर्देश पर सुरक्षा मुहैया करवाई गई। कौन है विष्णु गप्ता? हिंदू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता ने सिविल कोर्ट में अजमेर दरगाह में संकट मोचन महादेव मंदिर होने का दावा करते हुए याचिका लगाई थी। इसे 27 नवंबर 2024 को इस याचिका को सिविल कोर्ट ने स्वीकार कर ली थी। मामले में अजमेर सिविल कोर्ट ने अल्पसंख्यक मंत्रालय, दरगाह कमेटी अजमेर और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (ASI) को नोटिस भेजा था। इसके बाद अंजुमन कमेटी, दरगाह दीवान, गुलाम दस्तगीर अजमेर, ए इमरान बैंगलोर और राज जैन होशियारपुर पंजाब ने अपने आप को पक्षकार बनाने की अर्जी लगाई थी। इस मामले में 24 जनवरी तक दो सुनवाई हो चुकी है। याचिका में रिटायर्ड जज हरबिलास सारदा की 1911 में लिखी किताब अजमेर: हिस्टॉरिकल एंड डिस्क्रिप्टिव का हवाला देते हुए दरगाह के निर्माण में मंदिर का मलबा होने का दावा किया गया है। साथ ही गर्भगृह और परिसर में एक जैन मंदिर होने की बात कही गई।