अजमेर डिस्कॉम में पहला गैस इंसुलेटेड सब स्टेशन बनेगा। यह 132 केवी का होगा और इसके ऊपर दो मंजिला भवन बनेगा, जिसमें कई दफ्तर संचालित होंगे। इसके निर्माण से कंज्यूमर को भी राहत मिलेगी। जगह की कमी के चलते यह निर्णय किया गया है। इसमें जगह दस गुना कम चाहिए। सौ करोड़ की लागत आएगी और राजस्थान प्रसारण निगम ने इसकी तैयारी शुरू कर दी है। निगम के अधीक्षण अभियंता एम.के. जारवाल ने बताया कि इसके लिए सात किलोमीटर अंडर केबल भी डाली जाएगी। हाथीभाटा में वर्तमान भवन को तोड़कर नया भवन बनाया जाएगा। जगह की कमी के चलते किया निर्णय, लागत ज्यादा जारवाल ने बताया- सरकार ने अजमेर के हाथीभाटा में 132 केवी जीएसएस बनाने की घोषणा की। यहां पर जगह की कमी है और ऐसे में यहां 132 केवी जीआईएसएस ( गैस इंसुलेटेड सब स्टेशन) बनाने की प्लानिंग की गई है। जीएसएस के लिए करीब ढाई हैक्टेयर जमीन की जरूरत पड़ती है। इतनी जमीन यहां पर उपलब्ध नहीं है। इसके लिए जीआईएसएस बनाने की योजना तैयार की। इसके लिए केवल 0.25 हैक्टेयर जमीन की जरूरत ही होती है। साधारण जीएसएस में ब्रेकर, करंट ट्रांसफॉर्मर, प्रोटेंशियल ट्रांसफॉर्मर होता है। जो अलग अलग होते है। लेकिन जीआईएसएस में गैस चैम्बर बनता है। इसमें ब्रेकर, करंट ट्रांसफॉर्मर, प्रोटेंशियल ट्रांसफॉर्मर का कॉम्पैक्ट होता है। साधारण जीएसएस का खर्चा करीब पच्चीस करोड़ होता है लेकिन इसमें करीब 90 से 100 करोड़ रुपए खर्च होंगे। साधारण जीएसएस की वैलिडिटी की तरह इसकी वैलिडिटी 50 साल है। सात किलोमीटर अंडर केबल बिछेगी जारवाल ने बताया कि हाथीभाटा के इस गैस इंसुलेटेड सब स्टेशन के लिए अंडर केबल बिछाई जाएगी। घूघरा व मदार के बीच बने ग्रिड सब स्टेशन से हाथीभाटा तक सात किलोमीटर यह लाइन होगी। सुचारू होगी बिजली आपूर्ति, मिलेंगे नए कनेक्शन जारवाल ने बताया कि इसके निर्माण से बिजली आपूर्ति की व्यवस्था सुचारू होगी और नए कनेक्शन भी जारी किए जा सकेंगे। इसके बनने से लोड पर्याप्त मिल सकेगा। फाल्ट भी कम होंगे। अत्याधुनिक होता है जीएसएस, मेंटीनेंस मुक्त जीआईएस तकनीक आधारित ग्रिड सबस्टेशन में सल्फर हैक्साक्लोराइड (एसएफ-6) गैस का उपयोग होता है। इसी में इसे इंसुलेट किया जाता है। पावर ट्रांसफॉर्मर आउटडोर होता है। सभी उपकरण इनडोर एक मेटल बॉक्स में बंद रहते है। फेस में औसत प्रेशर के लिए गैस बेहतर होती है। सर्किट, ब्रेकर, बस बार, आइसोलेटर, लोक ब्रेक स्वीचेस, वोल्टेज ट्रांसफॉर्मर, अर्थिंग स्विचेस को मेटल हाउस में बंद कर सल्फर हैक्साक्लोराइड भरी दी जाती है। यह पूरी तरह से मेंटीनेंस मुक्त है। पढें ये खबर भी… डिस्कॉम कैशियर ने 1 करोड़ 61 लाख का किया गबन:आरोपी ढाई महीने से फरार, ऑडिट रिपोर्ट पुलिस को सौंपी उदयपुर जिले के मावली सहायक अभियंता ऑफिस में कैशियर ने 1 करोड़ 14 लाख 82 हजार रुपए का नहीं बल्कि 1 करोड़ 61 लाख का गबन किया था। इसका खुलासा डिस्कॉम की विभागीय जांच में हुआ है। मामला दिसम्बर 2024 का है। पूरी खबर पढ़ने के लिए करें क्लिक