अजमेर के जेएलएन अस्पताल में मुख्यमंत्री आरोग्य व फ्री दवा योजना में नियमों को दरकिनार कर लाइफ लाइन से मनमर्जी की दरों पर ठेकेदारों को फायदा पहुंचाने की नीयत से 14 महीने में 5 करोड़ 86 लाख 93 हजार 328 रुपए कीमत की दवाइयां खरीद की गई। राजस्थान मेडिकल रिलीफ सोसाइटी से इसका भुगतान किया गया है। जेएलएन में भर्ती 1500 से अधिक मरीजों को इतनी राशि में प्राइवेट हॉस्पिटल जैसी सुविधाएं सकती थी। जेएलएन अस्पताल के लाइफ लाइन स्टोर से 20 अप्रैल 24 से 12 जून 25 के बीच खरीद हुई। आरएमएससीएल की दर से भी तीन से चार गुना अधिक दर पर क्रय की गई। अस्पताल प्रशासन ने जीवन रक्षक दवाइयां व सूचना बिना ई-टेंडरिंग के ही मंगवा लिए। 85 का इंजेक्शन 185 रुपए में खरीदा लाइफ लाइन से दवाइयों की खरीद तय दर से भी कई गुना अधिक राशि से की गई है। मरीजों के ग्लूकोज व इंजेक्शन लगाने के काम आने वाला कैनुला की दर 5 रुपए है जिसे 11 रुपए में खरीदा गया। लेविटालोल इंजेक्शन 85 रुपए की बजाय 185 रुपए में लिया। खून पतला करने के काम आने वाला इंजेक्शन हिपेरीन 80 रुपए की बजाय 270 में लिया गया है। हाथों में पहनने वाले ग्लव्ज की दर 8 रुपए 9 पैसे हैं जिसे 10 रुपए की दर से लिया है। आईब्यूफीन टैबलेट 6 रुपए की बजाय 14 रुपए में ली गई। सबसे बड़ी खरीद सिलिकोन के एंबु बैग की है। एनएसी-एनओसी दोनों ही नहीं दवाओं की खरीद से जुड़े सूत्रों ने बताया कि नियमों के तहत दवाओं की लोकल पर्चेज करने से पहले आरएमएससीएल से एनओसी और एनएसी लेना पड़ता है। ये पेश किए हैं बिल वो सबकुछ जो आप जानना चाहते हैं नियम दरकिनार; 10 हजार से 2 लाख तक की है परचेजिंग पावर नियमों के तहत आरएमएससीएल से दवा नहीं आने पर 10 हजार से 2 लाख तक की ही दवा खरीदे जाने का प्रावधान है। यदि दवा की आरएमएससीएल से सप्लाई नहीं होती है। दवाओं के लिए 3 साल के लिए आरसी (रेट कॉन्ट्रेक्ट) करना पड़ता है। जिसमें उसी दर से दवा की सप्लाई एजेंसी से करवाई जाती है। नियमों के तहत लाइफ लाइन पर दवाओं की खरीद व दूसरे कार्यों के लिए संविदा पर किसी कार्मिक को नहीं लगा सकते। लेकिन यहां पर नियमों को दरकिनार करके कार्मिक को लगाया गया है। जिस पर दवाओं की खरीद की पूरी जवाबदेही है। जिम्मेदार ये बोले- ये है खरीद की गाइड लाइन सात साल से एक ही फार्मासिस्ट पर खरीद की जिम्मेदारी राज्य सरकार के नियमों के तहत जहां पर खरीद फरोख्त या लेनदेन का काम होता है। उस जगह पर दो साल से ज्यादा किसी भी कार्मिक को नहीं लगाया जा सकता है। लेकिन जेएलएन अस्पताल में लाइफ लाइन पर पिछले छह साल से एक ही फार्मासिस्ट को पूरी जिम्मेदारी दे रखी है। इसे लेकर सरकार को कई बार शिकायत तक की गई है। इन दिनों ये मामला जेएलएन में काफी चर्चा में है। (रिपोर्ट-मनीष कुमार सिंह, अजमेर)

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