आनासागर के आस पास वेटलैंड व ग्रीन बेल्ट में हुए निर्माण कार्यों को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई कल यानी 7 अप्रैल को होगी। कल आजाद पार्क व पटेल स्टेडियम में हुए निर्माण को लेकर कोर्ट अपना फैसला सुना सकता है। शुक्रवार को जिला कलेक्टर की ओर से पेश किए गए 31 पेज के एडिशनल एफिडेविट पर याचिकाकर्ता अशोक मलिक ने भी शनिवार देर रात 38 पेज का काउंटर एफिडेविट पेश किया है। उन्होंने दावा किया है कि कलेक्टर ने कोर्ट को गलत जानकारी दी है। याचिकाकर्ता ने काउंटर एफिडेविट में दावा किया कि जिसे सरकार ने आजाद पार्क को पोलो ग्राउंड बताया उससे संबंधित दस्तावेज ही पेश नहीं किए। याचिकाकर्ता ने दावा किया कि पार्क बनाने के दौरान नक्शा मंजूरी और लेआउट प्रक्रिया को पूरी तरह दरकिनार कर दिया गया है। इसके अलावा अदालतों के पिछले फैसलों का भी हवाला दिया है। वहीं, कलेक्टर लोकबंधु ने कहा कि जो भी तथ्य पेश किए गए हैं, वे रिकॉर्ड के अनुसार हैं। सुप्रीम कोर्ट के समक्ष जवाब पेश किया है और कोर्ट की ओर से जो आदेश दिए जाएंगे, उसकी पालना की जाएगी। बता दें कि पहले हो चुकी सुनवाई में कोर्ट ने फूड कोर्ट को ध्वस्त करने व नष्ट किए गए वेटलैंड के दोगुने क्षेत्र में वेटलैंड विकसित करने की प्लानिंग देने के आदेश की प्रशासन ने पालना कर दी है। पूर्व की सुनवाई में सेवन वंडर को 6 माह में शिफ्ट करने का आश्वासन प्रशासन ने दिया था। अब 4 पॉइंट्स में समझिए याचिकाकर्ता ने क्या दावे किए 1. पोलो ग्राउंड के दावे को बताया गलत- राज्य सरकार ने अपने एडिशनल एफिडेविट में यह दावा किया है कि आजाद पार्क असल में ‘पोलो ग्राउंड’ है। इसलिए उस पर पार्क संबंधी कानूनी प्रतिबंध लागू नहीं होते। लेकिन, इस दावे का समर्थन करने वाला एक भी राजस्व दस्तावेज या आधिकारिक रिकॉर्ड राज्य द्वारा प्रस्तुत नहीं किया गया है। इसके विपरीत, अशोक मलिक ने अपने उत्तर में अजमेर मास्टर प्लान 2033 के पृष्ठ 21 का उल्लेख किया है, जिसमें स्पष्ट रूप से आजाद पार्क को ‘उद्यान’ के रूप में दर्शाया गया है। यह योजना सरकार द्वारा ही अधिसूचित की गई है, और इसके अनुसार इस भूमि पर स्थायी निर्माण पूर्णतः प्रतिबंधित है। 2. नक्शा मंजूरी और लेआउट की प्रक्रिया पूरी तरह दरकिनार- काउंटर एफिडेविट में कहा गया है कि राज्य की एजेंसियों ने न तो कोई नक्शा स्वीकृत करवाया। न ही ले-आउट प्लान पास कराया और न ही भूमि उपयोग परिवर्तन की कोई प्रक्रिया अपनाई। इसके बावजूद पार्क और ग्रीन बेल्ट में व्यवसायिक भवन, ऑडिटोरियम और अन्य संरचनाएं बना दी गईं। 3. न्याय का मापदंड सब पर बराबर लागू हो- अशोक मलिक ने सुप्रीम कोर्ट से मांग की है कि यदि यह न्यायालय राज्य सरकार की इन अवैध निर्माणों को वैधता देता है, तो फिर देश भर के आम नागरिकों को भी वही स्वतंत्रता दी जानी चाहिए। अन्यथा, यह अनुच्छेद 14 के समानता सिद्धांत और अनुच्छेद 21 के जीवन के अधिकार का खुला उल्लंघन होगा। 4. न्यायिक मिसालों का हवाला- काउंटर एफिडेविट में सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसलों का उल्लेख किया है। काउंटर एफिडेविट में कहा गया कि इन सभी में एक बात समान है कि अवैध निर्माणों को किसी भी स्थिति में कोर्ट की सहमति नहीं मिल सकती। चाहे करने वाला व्यक्ति हो या सरकार। सेवन वंडर्स पार्क से जुड़ी ये खबरें भी पढ़ें- 1. वेटलैंड मामले में सरकार का पक्ष,कलेक्टर ने एडिशनल एफिडेविट दिया:लिखा- फॉयसागर झील और तबीजी गांव में वेटलैंड का होगा निर्माण, ग्रीन बेल्ट में बने पार्क जनहित में अजमेर में आनासागर के आस-पास वेटलैंड में हुए निर्माण को लेकर 7 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई है। पिछली सुनवाई में कोर्ट ने कहा था- जितना एरिया वेटलैंड का नष्ट किया गया है। उससे डबल सिटी एरिया में वेटलैंड बनाना होगा। इसका प्रपोजल देना होगा। अब राज्य सरकार की ओर से अजमेर कलेक्टर लोकबंधु ने 31 पेज का एक अतिरिक्त हलफनामा कोर्ट में दायर किया है। (पूरी खबर पढें) 2. अजमेर के सेवन वंडर को 6 महीने में तोड़ना होगा:गांधी स्मृति उद्यान और आजाद पार्क कॉम्पलेक्स पर 7 अप्रैल को होगा फैसला अजमेर में आनासागर के आस-पास वेटलैंड और ग्रीन बैल्ट में हुए निर्माण कार्यों को लेकर अब तक की गई कार्रवाई को लेकर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। कोर्ट ने कहा- सेवन वंडर को 6 महीने में तोड़ना होगा। इसके साथ ही जितना एरिया वेटलैंड का नष्ट किया गया है। उतना ही सिटी एरिया में वेटलैंड बनाना होगा। अब अगली सुनवाई 7 अप्रैल को होगी। (पूरी खबर पढे़ं)