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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के दवाओं पर टैरिफ लगाने वाले बयान के कारण आज यानी मंगलवार, 17 जून को भारत के फार्मा कंपनियों के शेयर्स 4% तक गिर गए। ट्रंप ने कहा है कि वे जल्द ही दवाओं के आयात पर भारी-भरकम टैरिफ लगाने जा रहे हैं। इस बयान के बाद निफ्टी फार्मा इंडेक्स 2% टूटकर 21,600 के स्तर पर आ गया। एयर फोर्स वन में पत्रकारों से बात करते हुए अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा, फार्मा टैरिफ बहुत जल्द शुरू होने वाले हैं, वो भी ऐसे स्तर पर जो पहले कभी नहीं देखा गया। ग्रैन्यूल्स इंडिया-लूपिन के शेयर 4% तक गिरे ग्रैन्यूल्स इंडिया, लूपिन, नेटकोफार्म और औरोबिंदो फार्मा के शेयर सबसे ज्यादा 4% तक गिरे। लॉरस लैब्स और डॉ. रेड्डीज लैबोरेट्रीज के शेयर भी 3% से ज्यादा लुढ़के। सन फार्मा, सिप्ला, ग्लेनमार्क और नटको फार्मा जैसे बड़े नाम भी 2-2.6% तक नीचे आ गए। भारत से हर साल ₹86,200 करोड़ के दवाओं का निर्यात भारत से अमेरिका को हर साल 10 बिलियन डॉलर (करीब ₹86,200 करोड़) की दवाओं का निर्यात होता है, जो अमेरिका के कुल फार्मा आयात का 6% है। ऐसे में टैरिफ की खबर ने निवेशकों को डरा दिया। पहले भी अप्रैल में ट्रम्प ने फार्मा टैरिफ की बात कही थी, लेकिन बाद में 90 दिनों के लिए इसे टाल दिया था। अब दोबारा इस बयान ने बाजार में अनिश्चितता बढ़ा दी है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि अगर टैरिफ लगे तो भारतीय फार्मा कंपनियों की कमाई पर बड़ा असर पड़ सकता है, क्योंकि उनकी आय का बड़ा हिस्सा अमेरिका से आता है। ———- 28 मई को कोर्ट ऑफ इंटरनेशनल ट्रेड ने टैरिफ पर रोक लगा लगाई, हायर कोर्ट ने फिर बहाल किया… बुधवार, 28 मई को मैनहट्टन की फेडरल कोर्ट ऑफ इंटरनेशनल ट्रेड के तीन जजों की बेंच ने टैरिफ पर रोक लगाते हुए कहा था कि ट्रम्प ने अपनी शक्तियों का दुरुपयोग किया और संविधान के दायरे से बाहर जाकर ये टैरिफ ये टैरिफ लगाया। कोर्ट ने कहा था कि ट्रम्प ने इंटरनेशनल इमरजेंसी इकोनॉमिक पावर्स एक्ट (IEEPA) का गलत इस्तेमाल किया। ये कानून राष्ट्रपति को आपातकाल में कुछ निर्णय लेने का विशेष अधिकार देता है। लेकिन, ट्रम्प ने बिना ठोस कारण के इन पावर्स का इस्तेमाल किया। हालांकि ट्रेड कोर्ट के इस फैसले को अमेरिका की फेडरल अपील कोर्ट ने पलट दिया था। कोर्ट ने ये भी कहा था, राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर ट्रेड पार्टनर्स पर भारी भरकम टैरिफ लगाया। अमेरिकी संविधान दूसरे देशों के साथ व्यापार को रेगुलेट करने का अधिकार संसद को देता है। लेकिन ट्रम्प ने अपने विशेष अधिकारों को संविधान से ऊपर रखकर टैरिफ पर फैसला लिया। राष्ट्रपति के स्पेशल पावर्स का मतलब यह नहीं कि किसी भी हालात को इमरजेंसी का नाम देकर कुछ भी करें। दो मुकदमों के आधार पर टैरिफ रोका गया था: इन दोनों ने तर्क दिया कि टैरिफ से छोटे व्यवसायों को भारी नुकसान हो रहा है, क्योंकि आयातित सामान की कीमत बढ़ने से उनकी लागत बढ़ रही थी। कोर्ट ने इन दलीलों को सही माना और कहा कि राष्ट्रपति के पास इतने बड़े पैमाने पर टैरिफ लगाने का संवैधानिक अधिकार नहीं है। भास्कर कार्टूनिस्ट की नजर से अमेरिकी कोर्ट का फैसला 2 अप्रैल को ट्रम्प ने दुनियाभर के कई देशों पर टैरिफ लगाया था 2 अप्रैल 2025 को ट्रम्प ने ‘लिबरेशन डे’ का नाम देते हुए दुनिया भर के 100 से ज्यादा देशों से आने वाले सामान पर नए टैरिफ लगाने की घोषणा की थी। उनका दावा था कि ये टैरिफ अमेरिकी अर्थव्यवस्था को मजबूत करेंगे और उन देशों को सबक सिखाएंगे जो अमेरिका से कम सामान खरीदते हैं और ज्यादा बेचते हैं। हालांकि बाद में चीन को छोड़कर बाकी देशों पर टैरिफ पर 90 दिनों के लिए रोक लगा दी थी। ट्रम्प के टैरिफ के जवाब में चीन ने भी टैरिफ लगाया था। इसी वजह से चीन को टैरिफ से राहत नहीं दी गई थी। चीन का टैरिफ बढ़ाकर 145% कर दिया गया था। बातचीत के बाद चीन पर से भी टैरिफ को कम कर दिया गया। भारत पर टैरिफ को लेकर ट्रम्प ने कहा था, भारत अमेरिका पर 52% तक टैरिफ लगाता है, इसलिए अमेरिका भारत पर 26% टैरिफ लगाएगा। अन्य देश हमसे जितना टैरिफ वसूल रहे, हम उनसे लगभग आधे टैरिफ लेंगे। इसलिए टैरिफ पूरी तरह से रेसिप्रोकल नहीं होंगे। मैं ऐसा कर सकता था, लेकिन यह बहुत से देशों के लिए कठिन होता। हम ऐसा नहीं करना चाहते थे। टैरिफ क्या होता है? टैरिफ दूसरे देश से आने वाले सामान पर लगाया जाने वाला टैक्स है। जो कंपनियां विदेशी सामान देश में लाती हैं, वे सरकार को ये टैक्स देती हैं। इसे एक उदाहरण से समझिए… रेसिप्रोकल टैरिफ का मतलब क्या है? रेसिप्रोकल का मतलब होता है- तराजू के दोनों पलड़े को बराबर कर देना। यानी एक तरफ 1 किलो भार है तो दूसरी तरफ भी एक किलो वजन रख कर बराबर कर देना। ट्रम्प इसे ही बढ़ाने की बात कर रहे हैं। यानी भारत अगर कुछ चुनिंदा वस्तुओं पर 100% टैरिफ लगाता है, तो अमेरिका भी उस तरह के प्रोडक्ट्स पर 100% टैरिफ लगाएगा। इंटरनेशनल ट्रेड से जुड़े मामलों को देखता है मैनहट्टन का फेडरल कोर्ट मैनहट्टन का फेडरल कोर्ट ऑफ इंटरनेशनल ट्रेड (CIT) अंतरराष्ट्रीय व्यापार और कस्टम्स कानूनों से जुड़े मामलों को देखता है। यह कोर्ट अमेरिका की अर्थव्यवस्था, व्यापार नीतियों और वैश्विक व्यापार को सुचारू रूप से चलाने में अहम भूमिका निभाता है। इसका अधिकार क्षेत्र पूरे अमेरिका में है और यह विदेशों में भी मामले सुन सकता है। यह खासतौर पर उन मामलों को देखता है जो अमेरिकी कस्टम्स सर्विस, व्यापार समायोजन सहायता, या एंटी-डंपिंग और काउंटरवेलिंग ड्यूटीज से जुड़े हों। ———————— ट्रम्प के टैरिफ से जुड़ी ये खबरें भी पढ़ें… 1. ट्रम्प की यूरोपीय यूनियन पर 50% टैरिफ लगाने की धमकी:1 जून से लागू होगा; कहा- EU से कोई समझौता नहीं कराना चाहते 2. अमेरिका-चीन में हुई ट्रेड डील:दोनों ने 115% टैरिफ घटाया; अब US 30% और चीन 10% टैरिफ एक दूसरे पर लगाएंगे 3. चीन पर टैरिफ को लेकर ट्रम्प का यू-टर्न:कहा- उसकी अर्थव्यवस्था संकट में; 20 दिन पहले US ने 145%, चीन ने 125% टैरिफ लगाया था 4. 7 दिन में ही बैकफुट पर ट्रम्प:90 दिनों के लिए टैरिफ रोका, चीन पर बढ़ाकर 125% किया 5. अमेरिका ने भारत पर 26% टैरिफ लगाया:ट्रम्प बोले- मोदी अच्छे दोस्त, लेकिन टैरिफ पर व्यवहार ठीक नहीं; भारत बोला- बातचीत से हल निकालेंगे 6. डोनाल्ड ट्रम्प ने दवाओं पर टैरिफ लगाने का ऐलान किया:कहा- इससे फार्मा कंपनियां वापस अमेरिका आएंगी, भारतीय कंपनियों को हो सकता है नुकसान 7. ट्रम्प ने एपल से कहा- भारत में आईफोन मत बनाओ:ऐसा किया तो 25% टैरिफ लगाएंगे; जो फोन अमेरिका में बेचे जाएंगे, वे यहीं बनेंगे

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