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बिजनेसमैन इलॉन मस्क की इलेक्ट्रिक कार टेस्ला को बीते कुछ महीनों में अमेरिका और यूरोप में कई जगहों पर जलाया गया है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक अब तक लगभग 100 टेस्ला कारों में आगजनी या तोड़फोड़ की गई है। यह सब घटनाएं ऐसे समय पर हो रही हैं, जब जल्द ही टेस्ला के इंडियन मार्केट में एंट्री की खबरें हैं। अमेरिका और यूरोप में टेस्ला कारों में आगजनी से मस्क और उनकी कंपनी को भारी भरकम नुकसान उठाना पड़ रहा है। अमेरिकी जांच एजेंसी FBI ने 25 मार्च को टेस्ला पर हमलों की जांच के लिए एक विशेष टास्क फोर्स की घोषणा की है। टेस्ला का बॉयकॉट क्यों कर रहे लोग 1. सरकारी कर्मचारियों की छंटनी से मस्क के खिलाफ नाराजगी
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने इलॉन मस्क को सरकारी विभाग में सुधार के लिए डिपार्टमेंट ऑफ गवर्नमेंट एफिशिएंसी (DoGE) का प्रमुख बनाया है। यह डिपार्टमेंट सरकारी खर्च में कटौती पर जोर दे रहा है। मस्क के डिपार्टमेंट ने खर्च में कटौती के लिए करीब 20 हजार लोगों को सरकारी नौकरियों से नौकरी से निकाल दिया है, जबकि 75 हजार लोगों ने बायआउट (मर्जी से नौकरी छोड़ना) का फैसला किया है। ट्रम्प ने मस्क के डिपार्टमेंट की सलाह पर दुनियाभर के गरीब और विकासशील देशों को अंतरराष्ट्रीय विकास एजेंसी (USAID) तहत दी जाने वाली मदद रोक दी थी। इन वजहों से मस्क और उनकी कंपनी के खिलाफ काफी ज्यादा रोष दिखाई दे रहा है। 2. मस्क पर दक्षिणपंथी पार्टियों को समर्थन देने का आरोप
मस्क ने बीते कुछ महीनों में यूरोप की कई दक्षिणपंथी पार्टियों को सपोर्ट दिया है। इसे लेकर उनके खिलाफ बड़े पैमाने पर नाराजगी दिखी है। ब्रिटेन- मस्क ने जनवरी ने ब्रिटिश किंग चार्ल्स से संसद को भंग करने की अपील की थी। उन्होंने ब्रिटेन के PM कीर स्टार्मर पर आरोप लगाया था कि 15 साल पहले जब वे पब्लिक प्रॉसिक्यूशन के डायरेक्टर थे, तब वे रेप पीड़िताओं को सजा दिलाने में नाकाम रहे थे। जर्मनी- मस्क ने जर्मन चुनाव में दक्षिणपंथी पार्टी अल्टरनेटिव फर ड्यूशलैंड (AFD) का समर्थन किया था। उन्होंने सोशल मीडिया X पर कहा था कि जर्मनी को केवल AFD ही बचा सकती है। AFD ही देश के लिए उम्मीद है। ये पार्टी देश को बेहतर भविष्य दे सकती है। फ्रांस- मस्क ने अभी तक खुलकर फ्रांस की किसी दक्षिणपंथी पार्टी का सपोर्ट नहीं किया है, लेकिन यूरोप के मामलों में दखल देने से फ्रांस में भी नाराजगी है। फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने कहा था कि 10 साल पहले किसने ये सोचा होगा कि दुनिया के सबसे बड़े सोशल नेटवर्कों में से एक के मालिक इंटरनेशनल रिएक्शनरी मूवमेंट का सपोर्ट करेंगे। इटली- इटली की प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी इलॉन मस्क को अपना दोस्त बता चुकी हैं। उन्होंने कहा था कि मैं मस्क की दोस्त और इटली की प्रधानमंत्री दोनों ही एक साथ हो सकती हूं। मेलोनी को दक्षिणपंथी नेता माना जाता है। 3. टेस्ला कंपनी में छंटनी से लोगों में नाराजगी
टेस्ला ने फरवरी में अपनी ऑटोनॉमस ड्राइविंग रिसर्च एजेंसी में 4% कर्मचारियों की छंटनी की है। यह वही एजेंसी है, जो टेस्ला की सेल्फ-ड्राइविंग तकनीक को बेहतर बनाने का काम कर रही थी। अचानक हुई छंटनी के कारण हजारों कर्मचारियों की नौकरियां चली गईं, जिससे उनकी नाराजगी बढ़ गई। कर्मचारियों और यूनियनों ने आरोप लगाया कि मस्क ने टेस्ला में बिना किसी पूर्व सूचना के बड़े पैमाने पर छंटनी कर दी। इससे वे सड़क पर आ गए। इसके चलते मस्क को भारी विरोध का सामना करना पड़ रहा है। नेशनल हाई-वे ट्रैफिक सेफ्टी एडमिनिस्ट्रेशन के मुताबिक सरकारी एजेंसियां इस छंटनी की जांच भी कर रही है। अमेरिका और यूरोप में कई जगहों पर कारें जलाई गईं टेस्ला के खिलाफ प्रदर्शन मुख्य रूप से यूरोप और अमेरिका में हो रहे हैं। तस्वीरों में देखिए टेस्ला व्हीकल जलाने की प्रमुख घटनाएं… अमेरिका- जर्मनी- फ्रांस- नीदरलैंड्स- मस्क को कितना नुकसान हुआ?
आर्थिक नुकसान- टेस्ला के बहिष्कार और कारों को जलाने से मस्क और उनकी कंपनी को बड़ा झटका लगा है। मार्च महीने में टेस्ला शेयरों में 15% की गिरावट आई थी, जो सितंबर 2020 के बाद से बाजार में उनका सबसे खराब दिन था। कंपनी के मार्केट कैप में करीब 800 अरब डॉलर की कमी आई थी। इसका असर मस्क की नेटवर्थ पर भी पड़ा था। जनवरी 2025 से मार्च तक मस्क के नेटवर्थ में 132 अरब डॉलर यानी करीब 11 लाख करोड़ रुपए की गिरावट आई। इसमें मार्च के एक ही दिन में आई 29 अरब डॉलर की गिरावट भी शामिल है। ब्रांड इमेज पर असर- विवादों की वजह से टेस्ला की विश्वसनीयता प्रभावित हो रही है, जिससे संभावित ग्राहक दूसरी कंपनियों की ओर रुख कर सकते हैं। न्यूयॉर्क के ब्रांड कंसल्टेंट रॉबर्ट पासिकॉफ का कहना है कि यह मार्केटिंग का 101वां नियम है कि खुद को राजनीति में शामिल न करें। लोग आपका प्रोडक्ट खरीदना बंद कर देंगे। कंपनी को बिक्री घटने का खतरा- अगर विरोध जारी रहा तो टेस्ला की बिक्री पर सीधा असर पड़ सकता है। इसके असर भी नजर आने लगे हैं, रिसर्च फर्म जेटो डायनामिक्स के मुताबिक जनवरी में यूरोप में टेस्ला की बिक्री में 45% की गिरावट आई, जबकि कुल मिलाकर इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री में वृद्धि हुई। ट्रम्प और नेतन्याहू ने मस्क का समर्थन किया मस्क और उनकी टीम ने इस संकट से निपटने के लिए कुछ जरूरी कदम उठाए हैं- टेस्ला भारत में क्यों एंट्री चाहती है
दुनिया भर में टेस्ला इलेक्ट्रिक व्हीकल सेक्टर की प्रमुख कंपनी है। कंपनी का मार्केट कैप 850 अरब डॉलर के करीब है। अमेरिका और यूरोप में बढ़ती नाराजगी और चीन की इलेक्ट्रिक व्हीकल (EV) कंपनी BYD (Build Your Dreams) के कॉम्पिटिशन की वजह से टेस्ला नए मार्केट तलाश रही है। दूसरी तरफ भारत में इलेक्ट्रिक व्हीकल की मांग तेजी से बढ़ रही है। भारत का इलेक्ट्रिक व्हीकल मार्केट 54.41 अरब डॉलर का है। इसके 2029 तक 110.7 अरब डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है। अनुमान के मुताबिक भारतीय मार्केट 2029 तक करीब 19% की रफ्तार से बढ़ेगा। अब तक भारत में एंट्री क्यों नहीं मिली थी
टेस्ला और भारत सरकार के बीच लंबे समय तक इंपोर्ट ड्यूटी की वजह से बात नहीं बन पा रही थी। कंपनी का मानना था कि भारत में बहुत ज्यादा इंपोर्ट ड्यूटी है। दूसरी तरफ सरकार का EV पर इंपोर्ट ड्यूटी माफ करने या कमी करने का कोई इरादा नहीं था। सरकार ने कहा था कि अगर टेस्ला भारत में मैन्युफैक्चरिंग प्लांट लगाने का कमिटमेंट करती है तो इंपोर्ट ड्यूटी पर रियायत देने पर विचार किया जाएगा। मस्क चाहते थे कि पहले भारत में कारों की बिक्री की जाए, इसके बाद मैन्युफैक्चरिंग प्लांट लगाने का विचार किया जाएगा। 27 मई 2022 को भी एक ट्वीट में रिप्लाई करते हुए मस्क ने कहा था कि टेस्ला ऐसी किसी लोकेशन पर मैन्युफैक्चरिंग प्लांट नहीं लगाएगी, जहां उसे पहले से कारों को बेचने और सर्विस की परमिशन नहीं है। अब भारत ने हाल फिलहाल में ही 40,000 डॉलर (करीब 35 लाख रुपए) से ज्यादा कीमत वाली कारों पर इंपोर्ट ड्यूटी 110% से घटाकर 70% कर दी। इस फैसले से टेस्ला के लिए परिस्थितियां अनुकूल बन गईं। इसके अलावा मस्क और मोदी की मुलाकात ने इसमें मदद की। अब टेस्ला भारत में अपना प्लांट भी लगाने की तैयारी कर रही है। कंपनी जमीन की तलाश में जुटी है। महाराष्ट्र, गुजरात, कर्नाटक और तमिलनाडु कंपनी की प्राथमिकता में हैं। कैसे टेस्ला ने इलॉन मस्क को इतना अमीर बनाया?
इलॉन मस्क की संपत्ति का मुख्य साधन टेस्ला है। इलॉन मस्क ने टेस्ला की स्थापना नहीं की थी, बल्कि 2004 में लगभग 54 करोड़ रुपए का निवेश कर इसे जॉइन किया। इस निवेश की वजह से वह सबसे बड़े शेयरहोल्डर बन गए और बाद में सीईओ और प्रोडक्ट आर्किटेक्ट भी बने। उन्होंने वर्षों तक अपनी मालिकाना हिस्सेदारी बनाए रखी, जिससे उनकी संपत्ति लगातार बढ़ती रही। टेस्ला ने 2010 में IPO लॉन्च किया था। तब इसके एक शेयर की कीमत 1400 रुपए थी। धीरे-धीरे टेस्ला कारों की बढ़ती मांग और शेयरों में भारी निवेश के चलते इसके शेयर की कीमत बढ़ती गई। 2021 में टेस्ला के एक शेयर की 1 लाख रुपए तक पहुंच गई। इससे मस्क की संपत्ति में जबर्दस्त उछाल आया। मस्क को कोई वेतन नहीं मिलता, बल्कि उन्हें परफॉर्मेंस-बेस्ड स्टॉक ऑप्शंस दिए जाते हैं। 2018 में टेस्ला के बोर्ड ने उन्हें 4.5 लाख करोड़ रुपए का पैकेज दिया, जो दुनिया की सबसे बड़ी CEO सैलरी डील बनी। ये स्टॉक ऑप्शंस उन्हें डिस्काउंटेड कीमत पर टेस्ला के शेयर खरीदने की अनुमति देते हैं, जिससे उनकी संपत्ति और बढ़ती जाती है। 2021 में टेस्ला का मार्केट कैप 1 ट्रिलियन डॉलर यानी 83 लाख करोड़ रुपए से ऊपर चला गया था। चूंकि मस्क के पास 15-25% टेस्ला शेयर थे, उनकी नेट वर्थ भी टेस्ला के साथ बढ़ती गई। जब भी टेस्ला के शेयर बढ़ते हैं, मस्क की संपत्ति अपने आप बढ़ जाती है। कंपनी ने 2021-2023 के दौरान सबसे ज्यादा मुनाफा कमाया और इलेक्ट्रिक व्हीकल मार्केट में नंबर 1 पोजिशन हासिल की। टेस्ला की सफलता के चलते मस्क की नेटवर्थ 250-300 अरब डॉलर तक पहुंच गई। टेस्ला की बाजार में गिरावट चीनी कंपनी BYD के लिए फायदेमंद
BYD (Build Your Dreams) चीन की सबसे बड़ी इलेक्ट्रिक व्हीकल (EV) निर्माता कंपनी है। यह कंपनी शुरुआत में बैटरी निर्माण में माहिर थी। बाद में इसने इलेक्ट्रिक और हाइब्रिड कारों के प्रोडक्शन में कदम रखा। आज BYD दुनिया की सबसे बड़ी EV निर्माता कंपनी बन चुकी है। यह सिर्फ कार ही नहीं, बल्कि इलेक्ट्रिक बस, ट्रक, और बैटरी टेक्नोलॉजी में भी लीडर है। BYD का सीगुल हैचबैक केवल 9900 डॉलर यानी लगभग 8.25 लाख रुपए में उपलब्ध है, जबकि टेस्ला का सबसे सस्ता मॉडल 33500 डॉलर यानी लगभग 28 लाख रुपए से शुरू होता है। BYD की सबसे बड़ी ताकत “Blade Battery” है, जो ज्यादा सुरक्षित और लंबी उम्र वाली होती है। BYD की बिक्री में लगातार बढ़ी है। 2023 की आखिरी तिमाही में BYD ने 52 लाख कारें बेची थीं, जबकि टेस्ला सिर्फ 48 लाख कार ही बेच पाई थी। BYD के नए चार्जिंग प्लेटफॉर्म से कारें 5 मिनट में 400 किमी तक चार्ज हो सकती हैं, जो टेस्ला से तेज है। चीन सरकार ने BYD को सब्सिडी दी है, जिससे यह कम कीमत में हाई-टेक कारें बना सकती है। कम कार्बन उत्सर्जन की वजह से यूरोप में BYD की ज्यादा मांग
BYD ने यूरोप में बजट-फ्रेंडली और हाई-परफॉर्मेंस EVs लॉन्च करके तेजी से अपनी पकड़ मजबूत की। BYD के लोकप्रिय मॉडल Atto 3, Dolphin और Seal कारें यूरोपीय बाजार में धूम मचा रही हैं। हंगरी और जर्मनी में BYD ने मैन्युफैक्चरिंग प्लांट खोले हैं, जिससे कारों की कीमत और कम हो गई। यूरोप में बैटरी टेक्नोलॉजी और कम कार्बन उत्सर्जन की वजह से BYD की डिमांड बढ़ रही है। दूसरी तरफ अमेरिकी सरकार BYD को अपने बाजार में बढ़ने से रोकने के लिए कई कदम उठा रही है। अमेरिका ने चीन से आयातित इलेक्ट्रिक कारों पर भारी टैक्स लगाया है, जिससे BYD की गाड़ियां महंगी हो जाती हैं। सरकार ने चीनी EV कंपनियों को सरकारी टेंडर से बाहर कर दिया है। अमेरिका का दावा है कि BYD की कारों और बैटरियों में चीन सरकार की स्पाई टेक्नोलॉजी हो सकती है।

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