अलवर के निकट तूलेड़ा गांव में गुरुवार को अंतिम संस्कार के लिए गांव वालों को अर्थी लेकर कीचड़ से निकलना पड़ा। पूरे श्मशान घाट परिसर में कचरा, कीचड़ व गंदगी जमा है। दो दिन पहले हुई बारिश से शहर का गंदा पानी तूलेड़ा होते हुए आया। यहां श्मशान परिसर में जमा हो गया। इस कारण आमजन को कीचड़ से निकलकर मुश्किल से अंतिम संस्कार किया गया। गांव वालों का कहना है कि जिम्मेदार प्रशासन चुप है। असल में तुलेडा निवासी 40 वर्षीय महेन्द्र जाटव का शव कानपुर से तुलेड़ा गांव लाया गया, तो उनके परिजनों को कीचड़ से सने हालातों में चिता जलानी पड़ी। स्थानीय निवासी सुबे सिंह यादव ने बताया कि यह श्मशान घाट लगभग 40-50 साल पुराना है। फिर भी यहां के हालत बहुत अधिक खराब है। जब तेज बारिश आती है तो शहर का गंदा पानी यहां भर जाता है। जिसके कारण कीचड़ होता है। अब कीचड़ के अंदर से अर्थी लेकर आनी पड़ी है। बरसात में घाट की बाउंड्री पूरी तरह टूट गई, जिससे गंदे नाले की गंदगी अंदर भर गई। अब पानी सूख गया है, लेकिन कीचड़ जस की तस है। जिला पार्षद जगदीश जाटव ने कहा कि श्मशान घाट की पांच साल पहले बाउंड्री कराई गई थी, लेकिन अब हालत बेहद दयनीय है। अधिकारी मौके का मुआयना कर लौट जाते हैं, पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं करते हैं। अब आमजन को सबसे अधिक परेशानी होती है। किसी की मौत पर अंतिम संस्कार में भी धक्के खाने पड़ते हैं। कई बार तो लोग फिसलकर गिर जाते हैं। गांव के सरंपच को भी पूरा पता है। लेकिन वे कुछ नहीं करा पा रहे हैं।
अर्थी लेकर कीचड़ से निकलना पड़ा:तूलेड़ा में श्मशान घाट पर गंदा पानी जमा, फिसलकर भी गिर रहे ग्रामीण
