राजस्थान सरकार की RGHS योजना में डॉक्टर और मेडिकल स्टोर वालों ने मिलकर करोड़ों रुपए का घोटाला किया है। विभागीय ऑडिट रिपोर्ट में चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं। बिना बीमारी के मरीजों को महंगी दवाएं लिखी गई। अकेले अलवर जिले में यह घोटाला 100 करोड़ रुपए से ज्यादा का है। जांच में सामने आया कि शिवाजी पार्क प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (PHC) में गर्भवती महिला को बांझपन की दवाएं दी गईं। पहाड़गंज PHC में स्वस्थ आंखों वाले मरीज को आई ड्रॉप लिखी गई। रामगढ़ सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (CHC) में पति-पत्नी को एक जैसी दवाएं दी गईं। गैर-डायबिटिक मरीजों को शुगर की दवाएं लिखी गईं। यहां तक कि स्वस्थ हार्ट वाले मरीजों को तीन-तीन ब्रांड की महंगी हार्ट मेडिसिन दी गईं। जयपुर क्वालिटी सेल की रिपोर्ट के बाद रामगढ़, राजगढ़ और अलवर के 11 डॉक्टरों को नोटिस जारी किए गए हैं। इन डॉक्टरों से रिकवरी की जाएगी और विभागीय कार्रवाई भी की जा सकती है। जांच में कई जगहों से डुप्लीकेट पर्चियां भी बरामद हुई हैं। एक-एक जगह से करीब 10 से 20 करोड़ रुपए के घोटाले का अनुमान है। अब जानिए, ऑडिट जांच में क्या खुलासा हुआ… 11 डॉक्टरों को कारण बताओ नोटिस
राजस्थान सरकार कार्यालय शासन सचिव, वित्त विभाग एवं महानिदेशक, राजस्थान सामाजिक एवं निष्पादन अंकेक्षण प्राधिकरण, जयपुर (RSPAAQCPA) सेल द्वारा की गई ऑडिट जांच में खुलासा हुआ है कि यहां के डॉक्टरों ने बिना किसी जांच के मरीजों को महंगी दवाएं दी। रिकॉर्ड में झूठी एंट्रियां की और फार्मेसी से तय मात्रा से ज्यादा दवा बंटवाई। रिपोर्ट के आधार पर अब तक 11 डॉक्टरों को कारण बताओ नोटिस जारी कर दिए गए हैं। अब मामला स्वास्थ्य विभाग के उच्चाधिकारियों तक पहुंच चुका है। पहाड़गंज PHC में पति-पत्नी को हूबहू दवाएं
ऑडिट जांच के मुताबिक, कुछ मरीजों को ऐसी दवाएं दी गईं जिस बीमारी के उनमें लक्षण नहीं थे। जैसे जो डायबिटिक नहीं है, उसे शुगर की दवाएं दी गईं। बिना 2D इको रिपोर्ट कराए हार्ट फेल्योर की दवाएं दी गईं। बिना आंख की कोई बीमारी के बावजूद आई ड्रॉप दी गई। गैस्ट्राइटिस, डिप्रेशन और फंगल इन्फेक्शन की बीमारियों का उपचार बिना एंडोस्कोपी कराए महंगी दवाओं से किया गया। बिना जांच के दवाएं भी दी गईं। कई पति-पत्नी को हूबहू दवाएं दी गईं। यह सब बिल बढ़ाने का खेल पकड़ा गया है। अलवर की शिवाजी पार्क PHC में बिना बीमारी के दवाएं दी
ऑडिट जांच के मुताबिक, यहां अधिकतर प्रिस्क्रिप्शन में रिकॉर्ड में एलर्जी के लक्षण नहीं थे। उसके बावजूद मनमर्जी से दवाएं लिखी गईं। HBA1C-आरएफटी जैसी आवश्यक जांच रिपोर्ट नहीं थी। कई बार डॉक्टर की जांच और सलाह के बिना इलाज किए जा रहे थे। इससे इलाज का औचित्य सिद्ध नहीं हो सका। गर्भवती महिला को बांझपन की दवा दी गई, जो क्लिनिकल मूल्यांकन की स्पष्ट कमी दर्शाता है। एक ही वर्ग की बीपी दवाएं जैसे एम्लोडिपाइन, मेटोप्रोलोल, सिलनिडिपाइन एक साथ लिखी गईं। बिना बीपी वाले मरीजों को तीन ब्रांड की महंगी दवाएं लिख दी गईं। इंसुलिन और एंटी डायबिटिक दवाओं का अत्यधिक और अनियंत्रित प्रयोग किया गया। कई बार मौखिक दवाओं से इलाज संभव होते हुए भी जानबूझकर इंसुलिन दिया गया, ताकि बिल बढ़े। यहां डायबिटीज और हाइपरटेंशन बीमारी का इलाज बिना जांच के मनमर्जी से दवाएं लिखकर किया गया। इससे सवाल खड़े हुए हैं। कई एंटीबायोटिक जैसे एजीथ्रोमाइसिन, फॉसिरोल बिना संक्रमण की पुष्टि या रेडियोलॉजिकल जांच के लंबे समय तक दिए गए। जो तर्कहीन इलाज दर्शाता है। पेंटोप्राजोल, डोमपेरिडोन, कॉम्बीनेशन एंटीडायबिटिक दवाएं जैसे TRIPIRIDE, AJADUO, GLUCORYL-MV आदि बिना ब्लड शुगर रिपोर्ट के दी गईं। राजगढ़ CHC में डुप्लीकेट डेटा तैयार किया
राजगढ़ CHC में जांच में पता चला कि यहां बड़े पैमाने पर डुप्लीकेट डेटा तैयार किया गया। डॉक्टरों और मेडिकल स्टोर संचालकों ने मिलकर फर्जी रिपोर्ट बनाईं और इसी के आधार पर मरीजों को दवाइयां वितरित की गईं। यह मामला RGHS योजना में हुए घोटाले की गंभीरता को दर्शाता है। अधिकांश केस में बिना रोग के दवाएं
अधिकांश केस में मरीजों की शिकायत व रोग का निदान ही दर्ज नहीं किया गया। बीपी, शुगर और RBS की जांच के बिना, डायबिटीज, हाइपरटेंशन की दवाएं दे दी गईं। महिलाओं की मेडिकल जानकारी जैसे एलएमपी तक दर्ज नहीं की गई। एक ही मरीज को दिन में दो बार दिखाने की डुप्लीकेट एंट्री की गई। फार्मेसी से कई मामलों में दो यूनिट दवा दे दी गई, जबकि एक यूनिट की दवा देने की ही अनुमति है। रिकॉर्ड में एक डॉक्टर के प्रिस्क्रिप्शन पर दूसरे डॉक्टर का नाम मेडिकल स्टोर में मिला है। आयुर्वेद दवाओं चतुर्मुख रस, ब्रह्मी वटी, स्वास्कास चिंतामणि रस, यकृत रसायन, अभ्रक भस्म की कीमत अधिक होती है। ये विशेष श्रेणी की दवाएं हैं, जो खास बीमारी में ही दी जाती है। लेकिन जांच में सामने आया कि इन्हें बिना जरूरत के अनुमान के आधार पर बांट दिया गया। इन डॉक्टरों को मिला कारण बताओ नोटिस
राजगढ़ क्षेत्र में डॉ. जितेंद्र मीना, डॉ. गोविंद सहाय, डॉ. दिनेश जैन, डॉ. एसपी मीना, डॉ. मीना, डॉ. सिद्धार्थ, डॉ. कमलेश को नोटिस जारी किए गए हैं। वहीं अलवर शहर में पहाड़गंज के डॉ. सुधांशु व शिवाजी पार्क PHC में डॉ. रतनलाल को नोटिस दिया गया है। रामगढ़ CHC में डॉ. विश्वेंद्र (जिनका ट्रांसफर हो गया) और डॉ. बाबूलाल को भी नोटिस जारी किए गए हैं। नोटिस भेजकर 7 दिन में जवाब मांगा है। संतोषजनक जवाब नहीं मिलने पर सस्पेंड करने के अलावा रिकवरी और विभागीय जांच की कार्रवाई की जा सकती है। CMHO डॉ. योगेंद्र ने कहा- जयपुर की क्वालिटी सेल से सूचना मिली थी। जिले में चार स्थानों रामगढ़, पहाड़गंज, शिवाजी पार्क और राजगढ़ में मरीजों को महंगी दवाएं अनावश्यक लिखी गईं। महंगी दवाओं के साथ बिना जांच कराए इलाज किया गया। जयपुर की जांच में यह पाया गया है। इसके बाद 11 डॉक्टरों को नोटिस देकर स्पष्टीकरण मांगा है। बिना बीमारी के उपचार देना सामने आया है। उसके बाद कार्रवाई की जाएगी। इसके साथ ही मेडिकल स्टोर से भी पूछताछ की जाएगी। प्राइवेट दुकानें हमारे अधीन नहीं, कुछ के लाइसेंस कैंसिल किए
सहकारी उपभोक्ता भंडार के महाप्रबंधक प्रकाश नारायण झा ने कहा- प्राइवेट दुकानें हमारे अधीन नहीं हैं। कुछ के लाइसेंस कैंसिल किए हैं, लेकिन भंडार की 2 दुकानों की जांच चल रही थी। दो नंबर और शिवाजी पार्क की दुकानों पर कोई कर्मी मिलता है तो कार्रवाई होगी। यहां का फर्जीवाड़ा सामने आया तो रिकवरी की जाएगी। उन्होंने कहा- हमारे यहां बिना एनओसी के दो-तीन लोगों ने जॉइन किया है। उनके खिलाफ एफआईआर कराएंगे। प्राइवेट दुकानों पर उनकी सेल और खरीद में अंतर है। यानी माल खरीदा 1 लाख रुपए का और बिक्री दिखा दी करीब 5 लाख रुपए की, लेकिन भंडार की दुकानों की सेल में अंतर नहीं है।
