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आंगनबाड़ी सिस्टम की बड़ी लापरवाही उजागर:निरीक्षण में 8 में से 4 केंद्रों पर ताले, 3 में कार्मिक नदारद सिर्फ एक ही केंद्र संचालित; 11 को कारण‑बताओ नोटिस

भरतपुर शहर में गुरुवार को हुए बाल विकास परियोजना अधिकारी के औचक निरीक्षण ने एक बार फिर सरकारी योजनाओं के जमीनी हालात को उजागर कर दिया। जिन आंगनबाड़ी केंद्रों को पोषाहार, पूर्व-प्राथमिक शिक्षा और मातृ-शिशु देखभाल जैसी योजनाओं की रीढ़ माना जाता है, उनमें से 8 में से 7 केंद्रों में या तो ताले लटके मिले या फिर जिम्मेदार कर्मचारी अनुपस्थित पाए गए। जिस आंगनबाड़ी केंद्र से एक गर्भवती महिला को पोषण मिलना चाहिए, जहां एक 3 साल का बच्चा पहली बार किताब और चम्मच थामना सीखता है। वहीं केंद्र बंद होना या जिम्मेदारों का गायब मिलना केवल लापरवाही नहीं, बल्कि सरकारी सिस्टम की गंभीर कमजोरी है। सवाल यह भी है कि ये हालात सिर्फ निरीक्षण वाले दिन सामने आए या रोजमर्रा की हकीकत बन चुके हैं? बाल विकास परियोजना अधिकारी डॉ. कृष्ण कुमार शर्मा ने गुरुवार को शहर के जिन 8 आंगनबाड़ी केंद्रों का औचक निरीक्षण किया, उनमें जाटव बस्ती 2, बड़ा मोहल्ला 1, बड़ा मोहल्ला 2 और बुध की हाट 2 केंद्र पूरी तरह बंद मिले। इन केंद्रों पर ताले लगे थे और न तो कार्यकर्ता और न ही सहायिका मौजूद थी। वहीं कारीगर मोहल्ला, कच्चा कुण्डा, कमला रोड और बड़ा मोहल्ला 3 केंद्र खुले मिले, लेकिन इनमें से पहले तीन केंद्रों पर कार्यकर्ता अनुपस्थित थीं। औचक निरीक्षण में आंगनबाड़ी व्यवस्था की स्थिति चिंताजनक पाई गई। निरीक्षण के दौरान कुल आठ केंद्रों का जायजा लिया गया, जिनमें से चार केंद्र पूरी तरह बंद मिले। ये केंद्र जाटव बस्ती 2, बड़ा मोहल्ला 1, बड़ा मोहल्ला 2 और बुध की हाट 2 थे। इन केंद्रों की कार्यकर्ता व सहायिकाएं ड्यूटी से गैरहाजिर थीं। विभाग ने पिंकी, पूनम, आशा, रूमाली, गौरी, पुष्पलता, पिंकी (दूसरी) और चंद्रकांता के खिलाफ कारण बताओ नोटिस जारी किए हैं। वहीं कारीगर मोहल्ला, कच्चा कुण्डा, कमला रोड और बड़ा मोहल्ला 3 स्थित आंगनबाड़ी केंद्र खुले तो जरूर मिले, लेकिन इनमें से तीन केंद्रों कारीगर मोहल्ला, कच्चा कुण्डा और कमला रोड में कार्यकर्ता अनुपस्थित पाई गईं। इन केंद्रों की जिम्मेदार पुष्पा, रजनी और लक्ष्मी को भी विभागीय नोटिस दिया गया है। केवल बड़ा मोहल्ला 3 ऐसा केंद्र रहा, जहां कार्यकर्ता मौजूद मिली और गतिविधियां संचालित हो रही थीं।

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