मेवाड़ का वाटर मैनेजमेंट सिस्टम देश-दुनिया में मशहूर है। हाल ही जल संसाधन मंत्रालय के राष्ट्रीय अधिवेशन का आयाेजन भी इसीलिए यहां किया गया था। इस अधिवेशन और मेहमानाें काे झीलें लबालब दिखाने के लिए आकाेदड़ा बांध से पानी लाकर पिछाेला और फतहसागर झील काे भरा गया था, लेकिन खुद आकाेदड़ा की हालात काे देखने वाला काेई नहीं है। इस बांध के जरिये पिछाेला और फतहसागर में पानी लाने के लिए लगाए गए गेट काे दाे फीट तक खोला जा सकता है, लेकिन पिछले दो साल से इसे 8 इंच से ज्यादा नहीं खोल पा रहे। गेट की रॉड टेढ़ी हाेने से गेट जाम हाे गया है। इसके अलावा बांध की दीवार से निकलने वाली सीपेज का पानी गैलेरी से पानी निकालने के लिए लगाया गया पाइप भी जाम है इससे पानी गैलेरी में ही जमा हाेने से बांध की दीवार कमजाेर हाे रही है। इससे सुरक्षा को भी खतरा हो सकता है। अभी गेट को 8 इंच तक ही खोले जाने से नहर में सिर्फ 250 क्यूसिक तक पानी निकाला जा सकता है, जबकि इसकी क्षमता 554 क्यूसिक है। जल संसाधन विभाग ने 50 लाख रुपए का प्रस्ताव बनाकर पीएचईडी काे भेज रखा है, लेकिन अभी तक काेई बजट जारी नहीं किया गया है। इस राशि से बांध के गेट, गैलेरी की सफाई और गैलेरी से पानी निकालने के लिए माेटर लगाने जैसे काम होंगे। पिछाेला और फतहसागर काे भरने वाले बांधाें में आकाेदड़ा सबसे बड़ा बांध है। इसकी क्षमता 302 एमसीएफटी है। 50 लाख के लिए पीएचईडी काे कई बार पत्र लिख चुके हैं पत्रवर्ष 2012 में इस बांध का निर्माण हुआ था। पीएचईडी के बजट से पेयजल के लिए इस बांध को बनाया गया। तभी से झीलाें काे भरने के लिए पानी लाया जा रहा है। जल संसाधन विभाग के कोटड़ा उपखंड के सहायक अभियंता दिलीप सिंह देवड़ा ने कहा कि 50 लाख रु. का बजट देने को लेकर पीएचईडी काे कई बार पत्र लिख चुके हैं, लेकिन राशि नहीं मिली। अभी मानसी वाकल बांध पीएचईडी के पास है। वे अपने स्तर पर बांध की मरम्मत करवा रहे है। इस बांध की काेई सुध नहीं ली जा रही। बता दें कि केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय की ओर से 17 फरवरी से तीन दिवसीय राष्ट्रीय काॅन्फ्रेंस का आयाेजन हुआ था। यह काॅन्फ्रेंस वाटर विजन-2047 विषय पर थी। इस बैठक में केंद्रीय जलशक्ति मंत्री सीआर पाटील, सीएम भजनलाल शर्मा, जल संसाधन मंत्री सुरेंद्र सिंह रावत के अलावा देशभर के जल संसाधन मंत्री और अफसर पहुंचे थे।