राजस्थान गर्वमेंट हेल्थ स्कीम (आरजीएचएस) में फर्जीवाड़े को लेकर उदयपुर के तीन बड़े प्राइवेट अस्पताल व फार्मेसी रडार पर आ गए हैं। शोभागपुरा स्थित एक हॉस्पिटल में तो 2 महीने पहले ही आरजीएचएस की सेवा बंद कर दी गई। अहमदाबाद रोड स्थित एक हॉस्पिटल की फार्मेसी पर भी योजना का लाभ रोक दिया गया। मधुबन स्थित एक हॉस्पिटल को नोटिस जारी किया गया है। इन अस्पतालों में रोज 250-300 से भी ज्यादा आरजीएचएस कार्ड धारक मरीज पहुंचते हैं। दरअसल, राज्य सरकार ने फर्जीवाड़े को रोकने के लिए बड़ा कदम उठाया है। अब एआई की मदद से फर्जीवाड़े को पकड़ा जा रहा है। डॉक्टर की ओर से लिखी जा रही पर्ची की हैंडराइटिंग, उस पर लिखी दवाओं और जांच रिपोर्ट तक को स्कैन किया जा रहा है। इसी का नतीजा है कि आरजीएचएस के तहत प्रदेशभर में फर्जी मरीज व दवाएं लिखकर लाखों का भुगतान उठाने के कई मामले उजागर हुए हैं। बता दें कि राज्य सरकार की ओर से 2021 के बजट में आरजीएचएस की घोषणा की गई थी। इसकी 14 श्रेणियों में सभी सरकारी कर्मचारी, सेवानिवृत्त सरकारी कर्मचारी, पूर्व अधिकारी, मंत्री-विधायक, पूर्व विधायक आदि को शामिल किया गया था। पंजीकृत परिवारों के लिए अस्पताल में भर्ती, डे-केयर, मातृत्व चिकित्सा आदि सुविधा कैशलेस है। जटिल स्वास्थ्य उपचारों के लिए अधिकतम 15 लाख और वार्षिक 20,000 रुपए की राशि का आवंटन होता है। लाभार्थी योजना में अधिकृत निजी अस्पतालाें में भी उपचार करवा सकते हैं। लाइव फोटो सहित कई बदलावों से धरपकड़ आरजीएचएस में हाल ही हुए बदलाव के तहत अब डॉक्टर को पर्ची पर मरीज की बीमारी, दवाअों की जानकारी, जांच और रिपोर्ट तक दर्ज करनी होती है। पर्ची पर मरीज को कब-कब दवा लेनी है, यह भी स्पष्ट रूप से लिखना होता है। डेटा एंट्री ऑपरेटर को ये सभी जानकारी ऑनलाइन पोर्टल पर डालनी होती है। इससे बीमारी और मरीज की शिकायत के अनुरूप दवाइयां लिखी गई हैं या नहीं, इसकी एआई की मदद से बारीकी से जांच कराई जा रही है। आरजीएचएस में मरीजों की लाइव फोटो अनिवार्य कर दी है। इस तरह से हो रही धांधली केस 1 : एक ही मरीज की अलग-अलग बीमारी बताई
एक ही आरजीएचएस आईडी से मरीज की बार-बार फर्जी बीमारी बनाकर हजारों की दवाएं लिखीं। इसका भुगतान भी उठा लिया गया। जरूरत नहीं होने के बाद भी अनावश्यक जांचें करवाई गईं। एआई ने पर्ची और एंट्री स्कैन कर बीमारी और दवा अलग-अलग होना पकड़ लिया। केस 2: किडनी में दिक्कत बता कर हजारों रु. का बिल उठाया
उदयपुर के एक हॉस्पिटल ने फर्जी मरीज गढ़ा और उसकी किडनी में दिक्कत बता दी। इसके बाद किडनी डायलिसिस का हजारों रुपए का बिल बना दिया। इसी तरह कार्डधारक को अलग-अलग बीमारी बताकर इलाज शुरू किया जाता है और दवा आदि का बिल उठा लिया जाता है। केस 3 : जेनेरिक दवाएं देकर पैसे ब्रांडेड के ले रहे फार्मासिस्ट के साथ मिलकर निजी अस्पतालों के डॉक्टर जेनेरिक की जगह महंगी ब्रांडेड दवाएं लिखते हैं। इसकी जगह फार्मासिस्ट की ओर से मरीजों को जेनेरिक दवाएं ही दी जाती हैं, लेकिन भुगतान ब्रांडेड का उठाया जा रहा है।
