प्रदेश में राइट टू एजुकेशन (आरटीई) यानी शिक्षा के अधिकार कानून के तहत प्राइवेट स्कूलों में होने वाले दाखिलों में लगातार गिरावट आ रही हैं। गरीब बच्चों के लिए सालों बाद वापस सरकारी स्कूलों का दौर लौट रहा है, क्योंकि यहां नामांकन बढ़ रहे हैं। आरटीई के तहत जरूरतमंद परिवारों के बच्चों को मिलने वाले 25% कोटे के तहत दाखिले लगातार कम हो रहे हैं।
वर्ष 2020-21 में 1953 बच्चों को दाखिला मिला था, जो 2025-26 में घटकर 992 रह गया। 2025-26 में कुल 15783 आवेदन पत्र ऑनलाइन भरे गए थे, जिसमें से 2973 बच्चों के डॉक्यूमेंट का वेरिफिकेशन किया गया है। उनमें से 992 विद्यार्थियों को दाखिला दिया गया है, 1981 बच्चे प्रवेश से वंचित रह गए। ऐसे में अभी तक 33.37% बच्चों को आरटीई में प्रवेश मिला है। पहले अभिभावक पसंदीदा स्कूल में करवा सकते थे एडमिशन, अब ऑनलाइन लॉटरी वर्ष 2020-21 में 1953 बच्चों को ही आरटीई के तहत दाखिला मिला। वर्ष 2021-22 में 1591 बच्चों, वर्ष 2022-23 में 4794 बच्चों, 2023-24 में 5392 बच्चों, वर्ष 2024-25 में 3791 बच्चों और वर्ष 2025-26 में अब तक 992 बच्चों को ही दाखिला मिल पाया है। पूर्व में आरटीई नियम के तहत अभिभावक अपनी पसंदीदा स्कूल में बच्चे का दाखिला करवाते थे। लेकिन अब पोर्टल में ऑनलाइन लॉटरी के आधार पर स्कूल का निर्धारण होता है। प्राइवेट स्कूलों में हर तीसरे बच्चे के बाद आरटीई विद्यार्थी का एडमिशन होता है। ऐसे में कक्षा में जितने बच्चों का प्रवेश होता है। उसमें 25 प्रतिशत बच्चे आरटीई के प्रवेश लिए जाते हैं। वहीं आरटीई पोर्टल पर आवेदन के बाद परिजन डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन के दौरान उपस्थित नहीं होने पर भी बच्चों के आवेदन खारिज हो जाते हैं। जिसके कारण उन्हें सरकारी स्कूलों की तरफ जाना पड़ रहा है। नियमों की सख्ती से कम होते गए एडमिशन पहले आरटीई की सीटें स्कूल की मान्यता में दर्ज आवेदन के आधार पर तय होती थी। अब यह पोर्टल पर दर्ज पहली कक्षा के नामांकन के आधार पर होती है। पहले स्कूल संचालक अपने वाहनों की पहुंच वाले गांवों को खुद पड़ोस की सीमा में शामिल कर लेते थे। अब यह अधिकार छीन लिया गया है। पहले ऑनलाइन लॉटरी में पैरेंट्स द्वारा दिए गए पहले और दूसरे विकल्पों में से ही किसी में एडमिशन होता था। अब यह तय नहीं कि कौन सा विकल्प चुना जाएगा। इससे पसंद का स्कूल मिलने की संभावना बेहद कम हो गई है। सरकार प्राइवेट स्कूलों को आरटीई के तहत एडमिशन लेने वाले छात्र के प्रति महीने की दर से भुगतान करती है। लेकिन समय पर नहीं मिलती। जिसके कारण छोटे स्कूलों को दिक्कत होने से सीटें घट रही है। “आरटीई के तहत बच्चों के आवेदन मिल गए हैं और अब पोर्टल पर आवेदन बंद हो गए हैं। इन आवेदनों में से डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन कर बच्चों को स्कूल आवंटित भी कर दी गई है।” – कृष्णसिंह, सीडीईओ ( प्रारंभिक), बाड़मेर।
