राजस्थान के ठेकेदारों की लगातार बढ़ती समस्याओं को लेकर संघर्ष समिति ने सरकार और विभागीय अधिकारियों की नीतियों पर गंभीर सवाल उठाते हुए जोधपुर में धरना दे दिया है। संघर्ष समिति संयुक्त ठेकेदार महासंघ राजस्थान प्रदेश के बैनर तले पीडब्ल्यूडी ऑफिस के बाहर आंदोलन कर रहे ठेकेदार लंबे समय से बकाया भुगतान नहीं मिलने से हो रही परेशानी के साथ ही विभागों में शोषण और नियमों की अनदेखी सहित 14 सूत्री मांगों को पूरा नहीं होने तक आंदोलन तेज करने की चेतावनी भी दी है। संघर्ष समिति के किरोड़ीमल मोदी ने बताया कि प्रदेश में ठेकेदारों को समय पर भुगतान नहीं मिल रहा है। कई विभागों में 30 से 90 दिन तक का विलंब हो जाता है, जिससे ठेकेदारों को आर्थिक संकट का सामना करना पड़ता है। समिति के बीएस राव ने कहा कि विभागीय स्तर पर बार-बार फाइलें अटकाई जाती हैं और भुगतान में अनावश्यक देरी की जाती है। संघर्ष समिति के नरेंद्र सोलंकी ने कहा कि विभागीय अधिकारियों की मनमानी और पारदर्शिता की कमी के कारण ठेकेदारों को बार-बार कार्यालयों के चक्कर लगाने पड़ते हैं। सोलंकी ने बताया कि कई बार जीएसटी की राशि का भुगतान अलग से नहीं किया जाता, जिससे ठेकेदारों को नुकसान उठाना पड़ता है। यहां तक कि फाइलों की स्वीकृति के बाद भी विभागीय स्तर पर अनावश्यक आपत्तियां लगाकर भुगतान रोका जाता है। मीडिया प्रभारी सुनील गर्ग ने बताया कि कई बार बिना किसी कारण के ठेकेदारों की सुरक्षा राशि वर्षों तक अटकी रहती है, जिससे उनके व्यवसाय पर सीधा असर पड़ता है। अन्य प्रमुख समस्याएं और मांगें संघर्ष समिति का अल्टीमेटम संघर्ष समिति ने चेतावनी दी है कि यदि सरकार और विभागों ने 30 दिनों के भीतर ठेकेदारों की समस्याओं का समाधान नहीं किया, तो प्रदेशभर के ठेकेदार सामूहिक रूप से कार्य बहिष्कार और आंदोलन के लिए बाध्य होंगे। सभी पदाधिकारियों ने एक स्वर में कहा कि ठेकेदारों के साथ हो रहे शोषण और आर्थिक नुकसान को अब बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। सरकार को चाहिए कि वह समय पर भुगतान, नियमों की पारदर्शिता और ठेकेदारों के अधिकारों की रक्षा सुनिश्चित करे। मंत्रियों व विभागीय अफसरों से सिर्फ आश्वासन मिल रहा “हम बार-बार अपनी समस्याएं सरकार और विभागों के सामने रख चुके हैं, लेकिन ठोस समाधान नहीं निकल रहा। अगर जल्द ही हमारी मांगें नहीं मानी गईं, तो पूरे प्रदेश में ठेकेदार आंदोलन करेंगे।” — नरेंद्र सोलंकी, संघर्ष समिति सदस्य