इंग्लैंड ने जर्मनी के डॉर्टमुंड के बीवीबी स्टेडियम में यूरो कप के खेले गए दूसरे सेमीफाइनल में नीदरलैंड को 2-1 से हराया। लगातार दूसरी बार वह टूर्नामेंट के फाइनल में पहुंचा। वहीं, इंग्लैंड पहली बार देश के बाहर हुए किसी बड़े टूर्नामेंट के फाइनल में पहुंचा है। इससे पहले1966 में इंग्लैंड में ही हुए वर्ल्ड कप और 2020 में इंग्लैंड में ही खेले गए यूरो कप के फाइनल में पहुंचा था। 1966 वर्ल्ड कप के बाद इंग्लैंड कोई बड़ा टूर्नामेंट नहीं जीता है
इंग्लैंड रविवार को फाइनल में स्पेन के साथ भिड़ेगा। इंग्लैंड के पास 58 साल बाद किसी बड़े टूर्नामेंट का खिताब जीतने का मौका है। इससे पहले इंग्लैंड ने 1966 में वर्ल्ड कप खिताब जीता था। हालांकि, 2020 में यूरो कप के फाइनल में पहुंचा, पर वह खिताब से वंचित रहा। ओली वॉटकिंस के आखिरी समय में किए गए गोल से जीता इंग्लैंड
मैच समाप्त होने से पहले दोनों टीमें 1-1 गोल कर बराबरी पर थीं, ऐसा लग रहा था कि मैच का फैसला पेनाल्टी शूट आउट से ही होगा। पर इंग्लैंड के ओली वॉटकिंस ने मैच में जोड़े गए अतिरिक्त मिनट में गोल कर इंग्लैंड को 2-1 से आगे करने के साथ ही फाइनल में पहुंचा दिया। हाफ टाइम तक दोनों टीमों की ओर से 1-1 गोल
हाफ टाइम तक दोनों टीमों की ओर से 1-1 गोल किए गए। मैच के 10वें मिनट में ही नीदरलैंड के जेवी सिमंस ने इंग्लिश बॉक्स के बाहर से गेंद को गोल पोस्ट में पहुंचा कर डच टीम को 1-0 से आगे कर दिया। नीदरलैंड टीम और उसके फैंस की यह खुशी ज्यादा देर तक बरकरार नहीं रही और 8 मिनट बाद ही यानी 18वें मिनट में हैरी केन ने गोल कर इंग्लैंड टीम और फैंस के गम को खुशी में तब्दील कर दिया। इस गोल के बाद इंग्लैंड की टीम के अंदर एक अलग एनर्जी का संचार हो गया और हाफ टाइम का खेल समाप्त होने तक उन्होंने गोल करने के कई मौके बनाए। मैच के 25वें मिनट तक इंग्लैंड टीम ने चार मौके बनाएं और 65.8 प्रतिशत तक गेंद अपने पास रखा। वहीं 38वें मिनट में फिर से गोल करने के करीब पहुंच गए। इंग्लैंड के युवा खिलाड़ी फिल फोडेन ने बाईं से एक तेज शॉट लगाया, पर नीदरलैंड के गोलकीपर ने गेंद रोकने के साथ ही इंग्लैंड को बढ़त लेने से भी रोक दिया। दूसरे हाफ में दोनों टीमों ने किए बदलाव
दूसरे हाफ की शुरुआत में दोनों टीमों की ओर से बदलाव किए गए। नीदरलैंड ने डोनियल मालेन को बाहर कर दिया और उनकी जगह वॉथ वेघोर्स्ट को शामिल किया, जबकि इंग्लैंड की ओर से ल्यूक शॉ ने कीरन ट्रिपियर की जगह ली। वहीं दूसरे हाफ के खत्म होने से 20 मिनट पहले इंग्लैंड ने पहले हाफ के स्टार हैरी केन और फिल फोडेन को बाहर बुला लिया और उनकी जगह ओली वॉटकिंस और कोल पामर ने लिया। इंग्लैंड का यह फैसला सही साबित हुआ, जब मैच में जोड़े गए समय में ओली वॉटकिंस ने गोल कर टीम को 2-1 की बढ़त दिलाने के साथ ही फाइनल में पहुंचा दिया।