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उदयपुर में ईडाणा माता ने 1 साल बाद फिर अग्नि स्नान किया है। इसकी लपटें 12 से 13 फीट तक उठी। इसके बाद अपने आप अग्नि शांत हो जाती है। इसको देखने वाले हर व्यक्ति की इच्छा पूरी होती है। मान्यता है कि माता के प्रसन्न होने पर मंदिर में अग्नि प्रज्वलित होती है। पहले चार फोटोज में देखिए- माता का अग्नि स्नान…. 1.फोटो सुबह 11 बजे का है। जब माता के मंदिर में अचानक से अग्नि प्रज्वलित हुई। 2. धीरे-धीरे आग बढ़ती हुई, पूरे मंदिर में फैल गई, हालांकि मूर्ति को कोई नुकसान नहीं हुआ। 3. ट्रस्ट अध्यक्ष का दावा है कि मंदिर में अग्नि अपने आप ही जलती है और शांत भी अपने आप ही होती है। 4. जैसे ही लोगों को माता के अग्नि स्नान करने की जानकारी मिली मंदिर में भीड़ उमड़ पड़ी। अब 4 पॉइंट में पढ़िए- माता के अग्नि स्नान से जुड़ी जानकारी 1. कोई दिन समय तय नहीं
ईडाणा माता मंदिर ट्रस्ट अध्यक्ष गोपाल सिंह राठौड़ बताते हैं कि अग्नि स्नान को लेकर कोई दिन और समय तय नहीं है। यह माता की इच्छा से होने वाला चमत्कार है। मंदिर में अग्नि अपने आप ही जलती है और शांत भी अपने आप ही होती है। इस दौरान मंदिर में रखी माता की चुनरी, नारियल जल जाता है। माता रानी का यह अग्नि स्नान काफी बड़ा होता है, जिसके चलते कई बार नजदीक के पेड़ को भी नुकसान पहुंचता है। आज तक माता की मूर्ति पर इसका कोई असर नहीं हुआ। 2. फोन कर दर्शन को बुलाते रहे
गोपाल सिंह राठौड़ ने बताया- इससे पहले 9 अप्रैल 2024 को माता ने अग्नि स्नान किया था। चैत्र नवरात्रि से पहले शक्ति पीठ ईडाणा माता ने अग्नि स्नान किया तो भक्तों की भारी भीड़ उमड़ पड़ी थी। आज अग्नि स्नान के फोटो और वीडियो सोशल मीडिया पर चले तो आस-पास के गांवों से लोग सीधे मंदिर पहुंच गए और अग्नि स्नान के दर्शन किए। यहां पहुंचे भक्तों ने भी अपनों को यहीं से मोबाइल के जरिए वीडियो कॉल से अग्नि स्नान के दर्शन कराए। इस दौरान यहां पहुंचे भाजपा के पूर्व प्रदेश मंत्री कन्हैयालाल मीणा ने भी अग्नि स्नान के दर्शन किए। 3. घटना को चमत्कार मानते हैं श्रद्धालु
ईडाणा माता ट्रस्ट अध्यक्ष के अनुसार, बरगद के पेड़ के नीचे यहां माता विराजमान हैं और मान्यता है कि प्रसन्न होने पर वह खुद अग्नि स्नान करती हैं। इस दृश्य को देखने वाले हर किसी की इच्छा पूरी होती है। मेवल क्षेत्र में ईडाणा गांव सहित करीब 52 गांव आते हैं। 4. लकवा रोगी होते हैं ठीक
ईडाणा माता ट्रस्ट अध्यक्ष गोपाल सिंह राठौड़ के अनुसार- मान्यता है कि लकवा से ग्रसित रोगी मां के दरबार में आकर ठीक हो जाते हैं। प्रतिमा के पीछे त्रिशूल लगे हैं,भक्त अपनी मन्नत पूरी करवाने के लिए यहां त्रिशूल चढ़ाते हैं। संतान की मन्नत रखने वाले भक्त यहां झूले चढ़ाते हैं। इनपुट : करण औदिच्य, पाणुन्द

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