ई-मित्र कर्मचारी की गलती से अनुसूचित जाति के स्थान पर ओबीसी वर्ग में आवेदन कर देने से भर्ती प्रक्रिया में अपात्र करने के मामले में एक अभ्यर्थी को राजस्थान हाई कोर्ट ने अंतरिम राहत दी है। कोर्ट ने अपने आदेश में अपीलार्थी को भर्ती प्रक्रिया की दस्तावेज सत्यापन काउंसलिंग में शामिल करने के निर्देश देते हुए रजिस्ट्रार आयुर्वेद विश्वविद्यालय, सचिव आयुर्वेद विभाग और आयुर्वेद विभाग के निदेशक को नोटिस जारी किए हैं। मामले में अगली सुनवाई 18 मार्च को निर्धारित की गई है। मामला आयुर्वेद विभाग की ओर से कंपाउंडर/नर्स जूनियर ग्रेड भर्ती-2024 भर्ती परीक्षा का है। SC की जगह OBC लिखा दिया था वकील यशपाल खिलेरी ने झुंझुनूं के नवलगढ़ में हनुमानगढ़ की बगेची निवासी किशोर सबलानिया की ओर से हाईकोर्ट में रिट याचिका दायर की थी। इसमे बताया गया कि आयुर्वेद विभाग की ओर से गत 10 दिसंबर 2024 में जारी विज्ञप्ति में शिकायतकर्ता ने ई-मित्र से ऑनलाइन आवेदन किया था। वहां के कार्मिक ने अनजाने में याचिकाकर्ता के आवेदन में जाति वर्ग में अनुसूचित जाति (SC) के स्थान पर अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) लिख दिया गया। इसी वजह से उसे अपात्र कर दिया गया। विभाग के इसी निर्णय को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई। वकील ने तर्क में कहा कर्मचारी ने भूलवश ऐसा किया वकील खिलेरी ने कोर्ट में बताया कि याचिकाकर्ता ने आयुर्वेद नर्सिंग और फार्मेसी में 3 साल डिप्लोमा करने के बाद आयुर्वेद विभाग द्वारा 650 पदों के लिए निकाली आयुर्वेद नर्स भर्ती-2024 में अपना ऑनलाइन आवेदन किया। उसी में ई-मित्र के कम पढ़े लिखे संचालक ने जाति वर्ग के कॉलम में गलती से एससी की जगह ओबीसी लिख दिया। हालांकि, गलत जाति वर्ग भर देने से उसे कोई भी फायदा नहीं होना था। ऐसे में गलत जाति वर्ग लिख देने के पीछे याची का कोई भी अनुचित लाभ लेने का कोई उद्देश्य नहीं रहा है। न ही उसने कोई तथ्य ही छुपाए। महज ई-मित्र कार्मिक की जरा सी चूक की वजह से उसे भर्ती प्रक्रिया से ही बाहर कर दिया गया, जो उसके भविष्य के लिए बहुत ज्यादा नुकसानदेह हैं। कोर्ट ने सुनवाई की अगली तारीख दी खिलेरी ने बताया कि ऐसे ही एक अन्य मामले में हाल ही में सर्वोच्च न्यायालय ने स्पष्ट किया था कि आवेदन पत्र में संभावित त्रुटि से हुई मामूली चूक के कारण आवेदक को चयन प्रक्रिया से ही बाहर कर देना अन्यायपूर्ण है। ऐसे आवेदक को चयन प्रक्रिया में भाग लेने का पूर्ण मौका मिलना चाहिए। जस्टिस अरुण मोंगा की एकलपीठ ने याचिकाकर्ता को आयुर्वेद कंपाउण्डर/ नर्स भर्ती 2024 में चल रही दस्तावेज सत्यापन काउंसिलिंग में सम्मिलित करने के अंतरिम आदेश देते हुए मामले की अगली सुनवाई 18 मार्च 2025 को करने के आदेश कहे।