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उखड़ी सड़कें, उफनते सीवरेज, जगह-जगह कूड़े के ढेर बनते जा रहे बीकानेर की पहचान

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नगर निगम एरिया इन दिनों पूरी तरह छलनी है। धंसी सड़कें, गली-गली उफनते सीवरेज, घरों से कचरा ना उठने जैसी समस्याएं हैं। आम आदमी तो आंखों से देख ही रहा है। निगम में भी इसकी पुष्टि हो रही है। निगम ने जनता की शिकायत करने के लिए जो कॉल सेंटर बनाया है उनमें बीते एक महीने से हर क्षेत्र की समस्याएं दो से चार गुनी हो गईं। कुछ समय बाद ही निकाय चुनाव है और शहर के हालात देख भाजपा के भीतर हलचल मची हुई है। इधर निगम कर्मियों द्वारा समस्याओं की अनदेखी का आलम ये कि अब संभागीय आयुक्त और कलेक्टर की भी नहीं सुनता निगम। अधिकारियों को भेज दी जा रहीं झूठी रिपोर्ट। शहर की सारी समस्याओं को मिलाकर करीब 400 शिकायतें प्रतिदिन पहुंच रही हैं। सबसे ज्यादा शिकायतें सीवरेज की दर्ज हो रही हैं। रोज लगभग 80 शिकायतें आ रही हैं। जबकि एक महीने पहले तक यही शिकायतें 30 से 35 तक थीं। मानसून सीजन और अमृत-2 के तहत हो रहे सीवरेज के काम के कारण सीवरेज जाम की शिकायतें अचानक बढ़ गईं। उसकी वजह कि जो कंपनी सीवरेज का काम अमृत-2 में कर रही उससे घोर लापरवाही हो रही। सीवरेज सफाई और दूसरों कामों के लिए पुरानी सीवरेज में बंधा लगा देते लेकिन बंद सीवरेज के पानी को निकालने के लिए मोटर से पानी दूसरी जगह शिफ्ट करना होता वो नहीं करते। कई बार तो सीवरेज का बंधा खोले बिना ही उसे ढक देते हैं। नई सीवरेज बिछाने के कारण पुरानी सीवरेज शहर में हर जगह जाम हैं। दूसरे नंबर पर शिकायतें टूटी सड़क, नाली और जगह-जगह जानलेवा गड्ढों की है। इसकी भी करीब 50 से 60 शिकायतें रोज आ रही हैं। इन शिकायतों को निर्माण शाखा भेजकर ही निस्तारित मान ली जा रही। तीसरे नंबर पर सफाई की परेशानी है। हैरानी की बात ये है कि सफाई के लिए कलेक्टर लगातार पीछा कर रहीं। एरियावार निगम अधिकारियों को भी अधिकृत किया। मगर इसमें कोई सुधार नहीं हो रहा। कलेक्टर नम्रता वृष्णि ने कहा कि मैने समीक्षा में निगम अधिकारियों को हिदायत दी है। शिकायत आई तो शिथिलता बरतने वाले कार्मिकों के खिलाफ कार्रवाई होगी। खरीद के बाद भी नहीं लगवाई गईं 3000 लाइटें : 3000 लाइटों की खरीद होने के बाद भी उनको ना लगवाना हैरान कर रहा है। तीन दिन पहले कलेक्टर ने इस पर जमकर अधिकारियों को लताड़ लगाई थी। पुरानी जो लाइटें खराब हैं उनको भी ठीक करने की 15 से 20 शिकायतें रोज दर्ज हो रहीं हैं। सीवरेज की कहीं नई लाइन बिछाई जा रही, कहीं सफाई हो रही। कहीं पुरानी लाइन की मरम्मत की जा रही। पुरानी लाइनों को रोककर हो रहे कामों से ज्यादा समस्या बढ़ी। हनुमानहत्था, धोबीधारा, बसपा के इकलौते वार्ड, जोशीवाड़ा, कोटगेट, केईएम रोड समेत गंगाशहर के कुछ इलाकों में ये समस्या बड़ी है। 24 से 36 घंटे में समस्या को ठीक करने का दावा किया जा रहा पर ठीक होने के 24 घंटे बाद वापस सीवरेज चोक हो जा रहे हैं। पूरे शहर की सड़कें उखड़ी हैं और टेंडर एक नहीं : नए वित्तीय वर्ष में नगर निगम ने एक मामला छोड़ कोई टेंडर मंजूर नहीं किया। जबकि पूरे शहर की सड़कें उखड़ी पड़ी हैं। पिछले मानसून सीजन तक की सड़कें ठीक नहीं हुईं। हैरानी ये कि जिन पर निगम की पूरी जिम्मेवारी है उनके घर के आसपास सड़कें चमाचम हैं। पुरानी गिन्नाणी हो या इंदिरा कॉलोनी, सुभाष पुरा हो तो मुक्ताप्रसाद। गंगाशहर हो तो कोई कॉलोनी। इसीलिए 60 के करीब शिकायतें आ रही हैं। बारिश में गडढ्े हो रहे हैं। सीवरेज पड़ने के बाद जो जगह खोदी गई वहां मिट्टी बैठ गई। उन गडढो को भी नहीं भरा गया। शहर की सफाई व्यवस्था पूरी तरह चौपट : मानसून में सफाई पूरी तरह चौपट है। बारिश होने के दो दिन बाद तक सड़कों पर गंदगी पसरी रहती है। बारिश न हो तो भी नियमित सफाई नहीं होती। मोहल्लों से रोज कचरा नहीं उठता। तीन से चार दिन में एक ट्रैक्टर कचरा उठाने आता है। टिपर का हाल यह है कि जिस दिन से टेंडर उठा उस दिन से एक भी दिन पूरे के पूरे टिपर शहर में नहीं चले। हर महीने एक से सवा करोड़ का भुगतान हो रहा है। कचरे का वजन बढ़ाकर सिर्फ पैसे बनाने का काम किया जा रहा है। गलियों से मिट्टी युक्त कचरा तुलाया जाता है।इसी वजह से टिपर के ना आने की शिकायतें भी कॉल सेंटर में दर्ज हो रही हैं।

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