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उदयपुर में पुलिस कस्टडी में लिए गए युवक (19) की हालत गंभीर है। लूट की प्लानिंग के आरोप में हिरासत में लिए गए युवक को वेंटिलेटर सपोर्ट पर रखा गया है। डॉक्टरों के मुताबिक, युवक के सीने पर गंभीर चोट है और तीन दिन से उसे होश नहीं आया है। युवक की मां उदयपुर रोडवेज में कर्मचारी है। उन्होंने पुलिस पर अपने इकलौते बेटे के साथ बेरहमी से मारपीट का आरोप लगाया है। खेरवाड़ा थानाधिकारी दलपत सिंह राठौड़ का कहना है कि युवक की तबीयत गिरफ्तारी के डर से बिगड़ी है। राज्य मानवाधिकार आयोग ने मामले को गंभीरता से लेते हुए उदयपुर एसपी को जांच के निर्देश दिए हैं। आयोग ने इसे मानवाधिकारों का गंभीर उल्लंघन माना है। पुलिस हिरासत में मारपीट की बढ़ती घटनाओं पर चिंता जताते हुए आयोग ने उच्च स्तरीय जांच के आदेश दिए हैं। पुलिस कस्टडी में युवक की हालत बिगड़ी, मां ने लगाया मारपीट का आरोप मानवाधिकार आयोग ने लिया संज्ञान, एसपी को दिए जांच के निर्देश
राज्य मानवाधिकार आयोग ने पुलिस कस्टडी में युवक की हालत बिगड़ने के मामले को प्राथमिक तौर पर मानव अधिकारों का गंभीर माना है। आयोग सदस्य जस्टिस रामचंद्र सिंह झाला ने बुधवार को उदयपुर एसपी योगेश गोयल को आदेश जारी कर कहा कि मानवाधिकार आयोग के बाध्यकारी आदेश के 28 साल बाद भी पुलिस अभिरक्षा में प्रताड़ना और मारपीट की घटनाएं आ रही हैं, जो सभ्य समाज में बेहद कष्टप्रद हैं। जस्टिस झाला ने कहा- उच्चाधिकारियों की लापरवाही के कारण ही ऐसी घटनाएं हो रही हैं। उन्होंने एसपी को मामले को गंभीरता से लेते हुए खेरवाड़ा डिप्टी के अलावा जिले के अन्य डिप्टी स्तर के अधिकारी से जांच कराने के निर्देश दिए हैं और जांच रिपोर्ट मांगी है।

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