देशभर के बैंक कर्मचारी और श्रम संगठनों की हड़ताल के चलते आज उदयपुर में भी विरोध-प्रदर्शन हुआ। केंद्र सरकार की नीतियों के विरोध समेत 17 मांगों को लेकर संगठनों ने शहर में एक रैली निकाली। इसके बाद कलेक्टरी पर पहुंचे। यहां भी प्रदर्शन कर रहे है। प्रदर्शन के दौरान डाकघरों में पूरी तरह से काम हुआ और कुछ बैंक भी चले। इस हड़ताल में सार्वजनिक, निजी, विदेशी, सहकारी और ग्रामीण बैंकों के कर्मचारी-अधिकारी शामिल हो रहे है। केंद्र सरकार के प्रमुख रूप से बीमा, आयकर, बीएसएनएल, आंगनबाड़ी, आशा, मिड-डे मील, मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव, खेत-मजदूर और फैक्ट्री कर्मचारियों सहित कई क्षेत्रों के कामगार इसमें शामिल हुए। केंद्रीय श्रमिक संगठनों की समन्वय समिति की और से टाउनहॉल से रैली रवाना हुई जो बापूबाजार, देहलीगेट होकर कलेक्टरी पहुंची। रैली में श्रम संगठनों ने केंद्र सरकार की नीतियों का विरोध किया। इसमें शामिल इंटक, सीटू, एटक, बैंक-बीमा यूनियन, कामगार और कर्मचारी यूनियन के प्रतिनिधि शामिल थे। रैली में शामिल लोगों ने कलेक्टरी के बाहर प्रदर्शन किया। नारेबाजी करते हुए सरकार की नीतियों का विरोध किया और कहा कि सरकार कर्मचारियों, बैंकों और बीमा संस्थानों को बर्बाद करने पर तुली है। संगठनों के पदाधिकारियों ने कहा कि सरकार को देश के आर्थिक विकास को लेकर सोचना चाहिए। इससे पहले टाउनहॉल रोड पर पंजाब नेशनल बैंक के बाहर बैंक कर्मियों ने प्रदर्शन किया। राजस्थान प्रदेश बैंक एम्पलाई यूनियन की उदयपुर इकाई के बैनर तले बैंक कर्मियों ने प्रदर्शन करते हुए नारेबाजी कर केंद्र सरकार को निशाने पर लिया। इंटक के प्रदेश अध्यक्ष जगदीश राज श्रीमाली ने कहा कि सरकार देश में मजदूरों और कर्मचारियों को लेकर जिस तरह के नियमों को ला रही है उसको लेकर जमीनी स्तर पर विरोध है। उन्होंने कहा कि यूनियनों को खत्म करने का खेल किया जा रहा है जो बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियंस (यूएफबीयू) के सह संयोजक पीएस खिंची ने कहा कि हमारी कई मांगे लम्बित है जिस पर सरकार ने विचार नहीं किया और मजबूरन हड़ताल पर उतरना पड़ा। सभी पदों पर भर्ती की जाए और 25 लाख ग्रेच्युटी की सीमा को बैंकों में तुरंत लागू की जाए। बैंकों के अंदर जो पद लंबे समय से खाली है उनको भरा जाए। आईडीबीआई बैंक जिसमें 51 प्रतिशत केंद्र सरकार की हिस्सेदारी है उसमें 51 प्रतिशत हिस्सेदारी कम नहीं की जाए और बैंक को सार्वजनिक क्षेत्र में ही रखा जाए। आने वाले समय के अंदर बैंकिंग बिल जो अटका हुआ है उसको संसद में नहीं लाया जाए नहीं तो देश के अंदर मात्र पांच बैंक सार्वजनिक क्षेत्र के रह जाएंगे। अखिल राजस्थान राज्य कर्मचारी संयुक्त महासंघ उदयपुर के जिलाध्यक्ष हेमन्त कुमार पालीवाल भाजपा सरकार की कर्मचारी, मजदूर और किसान विरोधी नीति का सब विरोध कर रहे है। कर्मचारियों का पैसा सरकार ने एनपीएस के जरिए शेयर बाजार में लगा रखा है। कर्मचारियों का भविष्य सुरक्षित नहीं है और ठेका प्रथा के जरिए नियुक्तियां कर रही है वह ठीक नहीं है। ओपीएस योजना को बहाल किया जाए। ट्रेड यूनियन कॉसिंल उदयपुर के सह समन्वयक एम.एल. सियाल ने कहा कि आज एलआईसी और साधारण बीमा क्षेत्र के अंदर 100 प्रतिशत एफडीआई लागू करने का निर्णय किया है जो देशहित और संस्थान के हित में नहीं है। एफडीआई लागू होगा तो देश का पैसा विदेशों में जाएगा और देश का आर्थिक विकास रुक जाएगा। एलआईसी संस्था अकेले ही देश की पंचवर्षीय योजना चला सकती है।