उदयपुर के कोडियात गांव के गूढ़िया बावड़ी गांव में एक दुर्लभ प्रजाति के बंदर का रेस्क्यू किया गया। दावा है कि ये उदयपुर में पहली बार रेस्क्यू किया गया। रेस्क्यू करने वाले धमेंद्र पनिगर ने बताया की उनके पास एक बंदर के रेस्क्यू का कॉल आया जिस पर वे मौके पर पहुंचे और बड़ी मशक्कत के बाद बंदर का रेस्क्यू किया। वे बताते है कि जब वे गए तब इसे नॉर्मल लाल मुंह का बंदर समझ रहे थे लेकिन बंदर उनको कुछ अलग लगा जिस पर उन्होंने प्रजाति की पहचान के लिए वन्यजीव विशेषज्ञ अनिल रोजर्स को फोटो भेजे। रोजर्स का दावा है कि ये बोनेट मैकाक है जो की दुर्लभ प्रजाति है। रोजर्स कहते है कि ये दक्षिण भारत की प्रजाति है, या फिर पश्चिम बंगाल के सुंदर बन के मैंनग्रोव के जंगलों में मिलती है। रोजर्स का कहना है कि उदयपुर में इसको पहली बार रेस्क्यू किया गया। इस पर पनीगर ने रिटायर्ड एसीएफ डॉ. सतीश कुमार शर्मा से बात की और पूरी स्थिति से बताया। डॉ. शर्मा ने उनको बताया की यह बंदर संभवत: दक्षिण भारत से आने वाले ट्रक ड्राइवर अपने साथ ले आते है और कभी-कभार तो बंदर स्वयं भाग जाते हैं और कभी वन विभाग और पुलिस के डर से, इनको पकड़ने वाले उन्हें छोड़ देते हैं। शर्मा का कहना है कि इस बंदर को लेकर भी संभवत: ऐसा ही लग रहा है। बाद में इसे सज्जनगढ़ बायोलोजिकल पार्क ले गए।