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चिड़ावा पंचायत समिति प्रधान के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव चर्चा के बाद सिर्फ एक वोट से गिर गया। ऐसे में इंद्रा डूडी प्रधान पद पर कायम रहेंगी। उन्हें पद से हटाने के लिए 16 पंचायत समिति सदस्यों की 13 दिन तक गुजरात में बाड़ाबंदी की गई। लेकिन अनुपस्थित रहने वाले 5 सदस्यों की बदौलत डूडी की प्रधानी बच गई। बता दें, गुरुवार को झुंझुनूं के चिड़ावा पंचायत समिति परिसर में कड़ी सुरक्षा के बीच वोटिंग हुई। प्रधान समेत 16 सदस्य वोट करने पहुंचे थे। ऐसे में 15 सदस्यों ने प्रस्ताव के पक्ष में वोट दिया। वहीं खुद प्रधान का वोट प्रस्ताव के खिलाफ में रहा। विपक्षी खेमे की बाड़ेबंदी में 16 सदस्य थे, लेकिन एक सदस्य मां की तबीयत खराब होने का बहाना बनाकर वहां से निकल गया और प्रधान के खेमे में शामिल हो गया। चिड़ावा SDM बृजेश कुमार ने बताया- पंचायत समिति में कुल 21 सदस्य हैं। जिनमें से केवल 16 ही वोटिंग के लिए पहुंचे थे। अविश्वास प्रस्ताव पारित करने के लिए 16 सदस्यों की मौजूदगी आवश्यक थी। ऐसे में 15 सदस्यों ने ही अविश्वास प्रस्ताव का समर्थन किया। एक सदस्य प्रस्ताव के खिलाफ रहने से अविश्वास प्रस्ताव गिर गया। उप प्रधान बोले- IAS पुत्र और IPS बहू का फायदा उठाया
उप प्रधान विपिन नूनिया ने कहा- अविश्वास प्रस्ताव के दौरान धनबल-बाहुबल का यूज किया गया। प्रधान के पुत्र आईएएस, बहू आईपीएस है। इसी का फायदा उठाया गया और दबाव बनाकर हमारी लोकेशन ट्रेस की गई। हॉर्स ट्रेडिंग कर प्रधान अपनी कुर्सी पर बनी रही। हालांकि उन्होंने कहा- यह भ्रष्टाचार की लड़ाई है। हमारी कांग्रेस से कोई लड़ाई नहीं है। हम कांग्रेस के साथ है। उन्होंने कहा- विधायक के चुनावों में ये पितराम काला के साथ नहीं थे। इनके मकान पर मीटिंग हुई, जिसमें 9 सरपंच और सात पंचायत समिति सदस्य और एक जिला परिषद सदस्य था। जिसमें मैं भी था। उस दौरान उन्होंने सीधे तौर पर भाजपा प्रत्याशी को वोट देने की बात कही थी। इन्होंने (प्रधान) ने कहा कि हमारी तो मजबूरी है। पंचायत समिति सदस्य जो कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़े, उन्हें बाद में दबाव में लेकर भाजपा की सदस्यता दिलाई। प्रधान बोलीं-देवी देवताओं ने बचाया, मैंने बाड़ेबंदी नहीं की
प्रधान डूडी ने कहा- जिस दिन अविश्वास प्रस्ताव आया, उसी दिन मैं मां पीतांबरा देवी (मध्यप्रदेश) चली गई थी। मुझे माता और पित्रेश्वरो और अन्य देवी देवताओं पर पूरा भरोसा था। मेरी ईमानदारी पर ही मुझे सदस्यों और जनता ने आशीर्वाद दिया। जिन्होंने मेरे खिलाफ वोट दिया है, उनको भी मैं दोषी नहीं मानती हूं। उन्होंने ऐसा किसी मजबूरी या दबाव के कारण किया होगा। ऐसे बच गई डूडी की प्रधान की कुर्सी
प्रस्ताव के दौरान प्रधान इंद्रा डूडी पंचायत समिति सभागार में मौजूद रही। इस दौरान वार्ड 10 से बनारसी देवी, वार्ड 12 से मधु, वार्ड 13 से भरत सिंह, वार्ड 14 से अमित ओला और वार्ड 18 से प्रमोद अनुपस्थित रहे। वहीं एक अन्य सदस्य भी गैर-मौजूद रहे, जो बाड़ेबंदी से मां की तबीयत का बहाना कर निकल आए थे। यह सदस्य थे प्रस्ताव के पक्ष में
वार्ड 2 से अनिल रणवा, वार्ड 3 से रोहिताश्व सिंह, वार्ड 4 से उम्मेद सिंह, वार्ड 5 से सुधा, वार्ड 6 से अनिता, वार्ड 7 से विपिन नूनिया, वार्ड 8 से रामोतार गुरावा, वार्ड 9 से ख्यालीराम सैनी, वार्ड 11 से बसेसरी देवी, वार्ड 15 से अंजू देवी, वार्ड 16 से उम्मेद धनखड़, वार्ड 17 से शिला देवी, वार्ड 19 से विजय कुमार, वार्ड 20 से सुमन और वार्ड 21 से पिंकी ने अविश्वास प्रस्ताव के पक्ष में वोट दिया। भाजपा प्रत्याशी रहे निषित चौधरी बबलू की पत्नी भी नहीं आई
अविश्वास प्रस्ताव गिराने में अहम भूमिका अनुपस्थित रहे सदस्यों की रही। इनमें भाजपा के टिकट पर झुंझुनूं से विधानसभा प्रत्याशी रहे निषित चौधरी बबलू की पत्नी और वार्ड 12 से निर्विरोध पंचायत समिति सदस्य चुनकर आई मधु चौधरी का नाम प्रमुख रहा। बाड़ाबंदी में अहम भूमिका निभाने वाले रोहिताश्व सिंह ने आरोप लगाया कि जब भाजपा वाले ही कांग्रेसी प्रधान को बचाएंगे तो फिर कैसे चलेगा। उन्होंने कहा कि इस मामले से भाजपा शीर्ष नेतृत्व को अवगत करवाया जाएगा। ऐसे चला अविश्वास प्रस्ताव का पूरा घटनाक्रम
प्रधान के खिलाफ काम नहीं करने और भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए पंचायत समिति के 16 सदस्य 7 जुलाई को बाड़ाबंदी में चले गए। इसके बाद 9 जुलाई को सात सदस्य जिला परिषद सीईओ के सामने पेश हुए और अविश्वास प्रस्ताव पेश किया। जिस पर सीईओ ने 18 जुलाई को अविश्वास प्रस्ताव पर बैठक की। आज बैठक हुई और प्रस्ताव गिर गया। घटनाक्रम के तहत 16 सदस्यों को बाड़ाबंदी में सीकर होते हुए जयपुर ले जाया गया। वहां से उनको उदयपुर भेजा गया। इसके बाद गुजरात के अहमदाबाद भेज दिया गया। वहां से फिर उदयपुर लाया गया। कुछ सदस्य बीच में जयपुर में भाजपा नेतृत्व से मिलने भी आए थे। इसके बाद बाद बुधवार रात को सभी उदयपुर से जयपुर आए। वहां से पांच गाड़ियों से गुरुवार सुबह सभी को पंचायत समिति लाया गया। पति का हंगामा, वोट डालते ही शीला का बीपी हुआ लो
इधर, किशोरपुरा के वार्ड से पंचायत समिति सदस्य शीला बाड़ाबंदी में थी। आज जब पंचायत समिति सदस्य शीला अन्य सदस्यों के साथ पंचायत समिति पहुंची तो इसी दौरान दीवार फांदकर शीला का पति राजेश डारा पंचायत समिति सभागार के पास पहुंच गया और अपनी पत्नी से मिलने की गुहार लगाने लगा। सुरक्षा कर्मियों ने उसे पकड़ा और गाड़ी में बैठाकर थाने ले गए। इसके बाद वोटिंग और प्रस्ताव गिरने के बाद शीला की तबीयत खराब हो गई। उसे एंबुलेंस से सरकारी अस्पताल ले जाया गया। जहां पर शीला का बीपी लो होने की बात सामने आई है। फिलहाल तबीयत में सुधार है। हालांकि प्रस्ताव के दौरान डीएसपी विकास और सीआई विनोद सामरिया के नेतृत्व में भारी पुलिस बल तैनात रहा और तलाशी के बाद ही सभागार में प्रवेश दिया गया। ये भी पढ़ें…
पत्नियां बाड़ेबंदी में, पतियों ने कहा- किडनैप किया:पता नहीं जिंदा भी है या नहीं; तस्वीर में रिसॉर्ट में नजर आए 17 सदस्य झुंझुनूं की चिड़ावा प्रधान इंद्रा डूडी के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया गया है। 18 जुलाई को बैठक में फ्लोर टेस्ट होगा। इससे पहले उठा-पटक तेज हो गई है। पंचायत समिति सदस्य रोहिताश धांगड़ ने अपने खेमे के 17 पंचायत समिति सदस्यों को बाड़ेबंदी में ले गए हैं।(पूरी खबर पढ़िए)

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