सिटी रिपोर्टर | जयपुर सीबीएसई की ओर साल में दो बार बोर्ड एग्जाम कराए जाने की चर्चा इन दिनों स्कूल से लेकर घरों में चल रही है। वैसे स्कूल के प्रिंसिपल्स का यह भी कहना है कि अभी यह निर्णय प्रारंभिक अवस्था में है। आने वाले समय में अगर निर्णय लागू होता है तो इसके कुछ फायदे और कुछ नुकसान भी होंगे। इधर पैरेंट्स और स्टूडेंट्स में भ्रम की स्थिति है। ऐसे में सिटी भास्कर ने तीनों पक्षों को अपने ऑफिस में इनवाइट कर उनके विचार जाने। स्टूडेंट और पैरेंट्स ने प्रिंसिपल डॉ. सुनीता वशिष्ठ, नीलम भारद्वाज, उर्वशी वर्मन से बात की और सभी सवालों के उत्तर जानें। मिली जानकारी के मुताबिक बोर्ड 2025-26 एकेडमिक ईयर में इस योजना को लागू करने की तैयारी कर रहा है। इसमें दोनों एग्जाम में शामिल होने का विकल्प होगा। स्टूडेंट्स चाहें तो दोनों या किसी एक एग्जाम में सुविधानुसार बैठ सकेंगे। स्टूडेंट्स का स्ट्रेस और एग्जाम प्रेशर कम करने के लिए नेशनल करिकुलम फ्रेमवर्क (एनसीएफ) के तहत यह निर्णय लिया गया है। एनआईओएस की तर्ज पर नीड बेस्ड यानि स्टूडेंट्स की जरूरत और तैयारी के हिसाब से एग्जाम देने के सिस्टम पर विचार किया जा रहा है। कम्पार्टमेंट और इम्प्रूवमेंट एग्जाम को ही बोर्ड 2 में कन्वर्ट करना चाहिए। दोनों बोर्ड एग्जाम में सब्जेक्ट्स को स्पिलिट करना चाहिए। एकेडमिक कैलेंडर इस तरह से तैयार हो ताकि टीचर टाइम पर कोर्स पूरा कर सके और बोर्ड एग्जाम के साथ कॉम्पीटिटिव एग्जाम की तारीख क्लैश न करे। सरकार 12वीं के बाद कॉम्पीटिटिव एग्जाम के लिए एक साल का ब्रेक लेना अनिवार्य करे। इस एक साल में इंडस्ट्री इंटर्नशिप या स्किल कोर्स हो। कॉम्पीटिटिव एग्जाम और कॉलेजों को बोर्ड परीक्षा के रिजल्ट को वेटेज देना चाहिए। टॉक शो के दौरान प्रिंसिपल डॉ. सुनीता वशिष्ठ, नीलम भारद्वाज, उर्वशी वर्मन, पैरेंट्स में जितेंद्र गुप्ता, ज्योति गुप्ता, सुनीता सिंह, लक्ष्मण सिंह, रेखा सोनकिया, सीमा सोनकेह्या, प्रियंका माथुर, स्टूडेंट्स में ऊर्जा, हृदान , मेधावी, जयवर्धन, वंशिका, ऋषिता शामिल रहे। साल में दो बार बोर्ड एग्जाम कराने की योजना को लेकर स्कूलों को अभी किसी भी तरह की कोई आधिकारिक जानकारी नहीं दी गई है। टॉक शो में शामिल प्रिंसिपल्स ने कहा कि इस योजना से स्टूडेंट्स को अपनी एकेडमिक परफॉर्मेंस सुधारने का मौका मिलेगा, लेकिन स्कूलों के लिए यह थोड़ा चुनौतीपूर्ण रहेगा। 10वीं और 12वीं बोर्ड एग्जाम करवाने के लिए 150 से ज्यादा स्टेप्स फॉलो करने होते हैं, जिसमें कैंडिडेट्स की लिस्ट तैयार करने, सेंटर नोटिफिकेशन, रोल नंबर जारी करने, प्रैक्टिकल, थ्योरी एग्जाम, रिजल्ट घोषित, वेरिफिकेशन और रिवेल्युएशन करने में करीब 310 दिन लगते हैं। ऐसे में साल में दो बार बोर्ड परीक्षा करवाना मुश्किल होगा। साथ ही जिन टीचर्स की वेरिफिकेशन और कॉपी वेल्युएशन करने में ड्यूटी लगती है वे अभी लगभग 15 दिन के लिए स्कूल से बाहर रहते हैं। अगर यह दो बार हुआ तो वे करीब 30 दिन बाहर रहेंगे, जिससे बच्चों की पढ़ाई प्रभावित होगी। वहीं 12वीं के स्टूडेंट्स के दूसरे बोर्ड एग्जाम के दौरान कॉम्पीटिटिव एग्जाम की तारीख क्लैश करेगी। बोर्ड ‘2025-26’ सेशन से योजना लागू करने की तैयारी कर रहा है स्टूडेंट्स और पैरेंट्स बोले- बोर्ड परीक्षा का रिजल्ट देर से आने पर नया सेशन शुरू होने में भी देरी होगी अगले साल बोर्ड एग्जाम देने वाले स्टूडेंट्स ने कहा कि यह हमारे लिए एक अच्छा विकल्प है, इससे हमें ग्रेड्स इम्प्रूव करने का मौका मिलेगा। लेकिन पढ़ने का बर्डन ज्यादा होगा। बोर्ड क्लास में स्टूडेंट्स को हाफ ईयरली परीक्षा के साथ 1 या 2 प्री-बोर्ड एग्जाम, प्रैक्टिकल के साथ 2 बोर्ड एग्जाम के लिए पढ़ना होगा। इससे उनका बर्डन बढ़ेगा। वहीं कई स्टूडेंट्स का कहना था कि पहले बोर्ड एग्जाम का रिजल्ट देरी से आया तो तय नहीं कर पाएंगे कि दूसरा एग्जाम दें या नहीं। दूसरे बोर्ड एग्जाम का रिजल्ट जारी होने में अगर देरी हुई तो कॉलेज एडमिशन और नया सेशन शुरू होने में भी लेट हो जाएगा। वहीं पैरेंट्स ने कहा कि सीबीएसई ने सब्जेक्ट की संख्या बढ़ा दी है, जिससे दो बार एग्जाम देने पर बच्चों में स्ट्रेस बढ़ेगा। ऐसे होगा समाधान प्रिंसिपल्स बोलीं- 12वीं के बाद कॉम्पीटिटिव एग्जाम के लिए एक साल का ब्रेक जरूरी
एकेडमिक कैलेंडर ऐसा हो कि समय पर कोर्स पूरा हो सके औरबोर्ड के साथ कॉम्पीटिटिव एग्जाम की तारीख भी क्लैश न हो
