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एक जुलाई से बदल जाएगा पोषाहार लेने का तरीका:आंगनबाड़ी केंद्रों पर लाभार्थी की फोटो से पहचान के बाद ही मिलेंगे दलिया-खिचड़ी के पैकेट

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राजस्थान के आंगनबाड़ी केंद्रों पर एक जुलाई से 5.50 लाख गर्भवती व धात्री महिलाओं (ऐसी महिलाएं जो बच्चों को स्तनपान कराती हैं) को पोषाहार नहीं मिलेगा। इसके साथ ही आंगनबाड़ी केंद्रों पर आने वाले 6 महीने से 3 साल तक ऐसे बच्चे भी इस सुविधा से वंचित होंगे, जो Facial Recognition System (चेहरे की पहचान प्रणाली) से नहीं जुड़े हैं। केंद्र सरकार के महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने एक जुलाई से FRS (Facial Recognition System) से पोषाहार वितरण करने के निर्देश दिए हैं। इसके तहत FRS पर जिन महिलाओं व बच्चों का ई-केवाईसी व फोटो अपडेट नहीं है। उन्हें पोषाहार व अन्य लाभकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिल सकेगा। भास्कर ने उन सभी सवालों के जवाब जानने की कोशिश की, जो योजना से जुड़े लोग जानना चाहते हैं… क्या अब भी FRS से जुड़ सकते हैं? FRS क्या है? इसे लागू करने की जरूरत क्यों है? इससे आमजन को क्या फायदा होगा? पढ़िए पूरी रिपोर्ट… साढ़े पांच लाख महिलाओं को क्यों नहीं मिलेगा पोषाहार
महिला एवं बाल विकास विभाग की अतिरिक्त निदेशक (पोषाहार) डॉ. अनुपमा टेलर ने बताया कि महिला एवं बाल विकास विभाग के प्रयासों के बावजूद राज्य में FRS के लक्ष्य का 77 प्रतिशत कार्य ही पूर्ण हो सका है। FRS को लागू करने में राजस्थान देश में 9वें स्थान पर है। राज्य में कुल 23 लाख 56 हजार 82 लाभार्थी FRS के अन्तर्गत हैं। इनमें 26 जून तक 18 लाख 15 हजार 774 लाभार्थियों को FRS से जोड़ा गया। केवल 14 लाख 37 हजार 954 लाभार्थी का ई–केवाईसी और 11 लाख 85 हजार 807 लाभार्थी का आधार कार्ड से मैच हो सका। किसी लाभार्थी का ई–केवाईसी, आधार कार्ड से मैच और फोटो मिलान होने पर ही वह FRS से जुड़ सकता है। ऐसे में अभी भी राज्य में 5 लाख 40 हजार 308 गर्भवती महिलाएं FRS से नहीं जुड़ी हैं। विभाग के अधिकारियों की मानें तो तकनीकी परेशानी के कारण शत–प्रतिशत लक्ष्य हासिल नहीं किया जा सका। क्यों जरूरी किया गया FRS
केंद्र सरकार की लाभकारी योजनाओं का लाभ सही लाभार्थी को ही मिले, इसके लिए महिला एवं बाल विकास मंत्रालय FRS लागू कर रहा है। FRS का मतलब फेस रिकॉग्निशन सिस्टम है। आसान भाषा में कहें तो लाभार्थी की फोटो से उसकी पहचान करने के बाद ही उसे आंगनबाड़ी केंद्रों पर पोषाहार मिल सकेगा। इससे पोषाहार वितरण में होने वाला फर्जीवाड़ा रुकेगा। आंगनबाड़ी केंद्रों पर ही हर योजना व वितरण की रियल टाइम मॉनिटरिंग हो सकेगी। इसको लेकर इस साल जनवरी से ही सभी राज्यों के लाभार्थियों को FRS से जोड़ने का कार्य चल रहा था। एक जुलाई से ऐसे मिलेगा आंगनबाड़ी से पोषाहार
पंजीकरण और ई-केवाईसी : लाभार्थियों (गर्भवती, धात्री और बच्चों) का पंजीकरण ई-केवाईसी होगा। आधार कार्ड और चेहरे का सत्यापन होगा। गर्भवती, धात्री और किशोरियों के लिए आधार कार्ड होना अनिवार्य है। पोषण ट्रैकर ऐप में चेहरा पहचान : आंगनबाड़ी कार्यकर्ता पोषण ट्रैकर ऐप से लाभार्थियों को पोषाहार देने से पहले उनका फोटो लेंगी। ओटीपी सत्यापन: लाभार्थी के फोटो का मिलान होने के बाद, उसके मोबाइल नंबर पर ओटीपी आएगा। पोषाहार वितरण: आंगनबाड़ी कार्यकर्ता को ओटीपी बताने के बाद ही लाभार्थी को टेक होम राशन (THR) या पोषाहार दिया जाएगा। लाभार्थी को जाना होगा आंगनबाड़ी केंद्र : अब लाभार्थियों को खुद आंगनबाड़ी केंद्र पर जाकर ही पोषाहार लेना होगा। इससे फर्जीवाड़ा रोकने में मदद मिलेगी। एफआरएस से मिलेगा टेक होम राशन
महिलाओं एवं बच्चों के स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए आंगनबाड़ी केंद्रों पर कई योजनाएं चलाई जाती हैं। FRS को फिलहाल टेक होम राशन (पोषाहार) पर ही लागू किया गया है। भविष्य में अन्य योजनाओं का लाभ भी इसी सिस्टम से दिया जाएगा। टेक होम राशन में गर्भवती और धात्री महिलाओं को सादा दलिया, मीठा दलिया, फोर्टिफाइड न्यूट्री, मसाला खिचड़ी के पैकेट दिए जाते हैं। गर्भवती महिलाओं को नौ माह तक और धात्रियों को छह महीने तक हर महीने पैकेट दिए जाते हैं। वहीं बच्चों को पूरक पोषाहार (स्तनपान के साथ-साथ बच्चे को ठोस आहार देना शुरू करना, जो 6 महीने की उम्र से शुरू होता है) दिया जाता है। केंद्र के निर्देश के पालन में जुटा विभाग
महिला एवं बाल विकास मंत्रालय की ओर से 19 जून को भेजे पत्र में एक जुलाई से पोषाहार वितरण FRS के माध्यम से किया जाना अनिवार्य करने के निर्देश दिए। महिला एवं बाल विकास विभाग की ओर से जून महीने में एक बार फिर सभी जिलों के अधिकारियों को FRS के लक्ष्य हासिल करने को कहा गया। इससे सभी लाभार्थी को पोषाहार का लाभ मिलता रहे। आंगनबाड़ी केंद्रों पर आने वाली महिलाओं व बच्चों के प्रतिदिन ई–केवाईसी व फोटो अपलोड करने की प्रक्रिया के बावजूद 23 लाख 56 हजार 82 लाभार्थी ही FRS से जुड़ सके। इससे पहले तक विभाग पोषण ट्रैकर ऐप के जरिए मॉनिटरिंग कर रहा था। एक जुलाई से गर्भवती, धात्री महिलाओं को FRS से पोषाहार मिलेगा। इसके साथ ही छह माह से 3 साल के बच्चों और पांच जिलों की किशोरी बालिकाओं को FRS से जोड़ा गया है। इन पांच जिलों में बारां, धौलपुर, जैसलमेर, करौली और सिरोही शामिल हैं। पोषाहार के लिए कैसे कराएं FRS
अगर आप आंगनबाड़ी केंद्र से पोषाहार या अन्य योजना का लाभ ले रही हैं तो आप अब भी FRS से जुड़ सकती हैं। इसके लिए आपको आंगनबाड़ी केंद्र जाकर अपने आधार कार्ड से ई–केवाईसी कराना होगा। इसके बाद आंगनबाड़ी कार्यकर्ता अपने मोबाइल से FRS के लिए फोटो लेगी। इसका ओटीपी आपके आधार कार्ड में रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर पर आएगा। इस ओटीपी को महिला कार्यकर्ता को बताकर आप FRS से जुड़ सकती हैं। दो दिन में 5 लाख नाम जुड़ना मुश्किल
राज्य में 63 हजार 71 आंगनबाड़ी हैं। विभाग के अनुसार, 26 जून तक 5 लाख 40 हजार से अधिक लाभार्थियों को FRS से जोड़ा नहीं जा सका है। अभी भी 9 लाख 18 हजार 128 लाभार्थी का ई–केवाईसी और 11 लाख 70 हजार 275 लाभार्थी का आधार कार्ड से मैच होना शेष है। विभाग के अधिकारियों की माने तो तकनीकी परेशानी के कारण शत–प्रतिशत लक्ष्य हासिल नहीं किया जा सका। ऑल इंडिया आंगनबाड़ी एंप्लाइज फेडरेशन के राष्ट्रीय संयोजक छोटेलाल बुनकर का कहना है कि सभी आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के पास स्मार्ट फोन नहीं है। जिन आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के पास मोबाइल फोन हैं, वो भी पुराने हो चुके हैं। इंटरनेट की व्यवस्था व अन्य तकनीकी कारणों के कारण इसे लागू करने में परेशानी हो रही है। गर्भवती महिला अगर बेड रेस्ट पर हैं, तो उसे FRS से पोषाहार कैसे मिलेगा?

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