केंद्र सरकार ने 2020 में ऐलान किया था कि युवाओं के लिए एक देश-एक परीक्षा की व्यवस्था होगी। इसके तहत वे कई परीक्षाओं में बैठने के बजाय एक कॉमन एलिजिबिलिटी टेस्ट पास करके सरकारी नौकरी के लिए पात्र बन जाएंगे। नेशनल रिक्रूटमेंट एजेंसी (NRA) यानी राष्ट्रीय भर्ती एजेंसी को इसकी जिम्मेदारी सौंपी गई।
भास्कर ने जब इसकी पड़ताल की तो पता चला, यह एजेंसी पिछले 4 साल में करीब 58 करोड़ खर्च करने के बावजूद अभी तक एक भी परीक्षा नहीं करा पाई है। इससे उन ढाई करोड़ बेरोजगारों की उम्मीदों को झटका लगा है, जो हर साल 1.25 लाख सरकारी नौकरियों के लिए भटकते हैं।
नेशनल रिक्रूटमेंट एजेंसी की परिकल्पना एक स्वतंत्र, पेशेवर और विशेषज्ञ संगठन के तौर पर की गई थी। इसे कंप्यूटर बेस्ड ऑनलाइन कॉमन एलिजिबिलिटी टेस्ट का जिम्मा दिया गया ताकि नॉन गजैटिड पोस्ट पर भर्ती की जा सके। इसमें रेलवे, वित्त मंत्रालय, स्टाफ सलेक्शन कमिशन यानी SSC, रेलवे रिक्रूटमेंट बोर्ड्स यानी RRB और इंस्टीट्यूट ऑफ बैंकिंग पर्सनल सेलेक्शन यानी IBPS के प्रतिनिधि शामिल करने थे।
अब तक पहली परीक्षा कराने की तारीख का ऐलान नहीं कर पाई एजेंसी
संसदीय समिति की फटकार, विशेषज्ञ समितियों के मैराथन विचार-विमर्श और साल-दर-साल संसदीय आश्वासनों के बावजूद यह एजेंसी पहली परीक्षा कराने के बारे में भी कोई तारीख घोषित नहीं कर पाई है। सूत्रों के मानें तो नौकरी देने वाली तीनों सरकारी एजेंसियों (SSC, RRB और IBPS) ने हाथ खड़े कर दिए हैं।
इन एजेंसियों ने कहा कि कॉमन टेस्ट के बावजूद वे अपनी परीक्षाएं अलग से कराना जारी रखेंगे। यानी तीन परीक्षाओं को हटाकर एक परीक्षा कराने की योजना एक और नई परीक्षा जुड़ने के रूप में सामने आएगी।
वादा था- पहला कॉमन टेस्ट 2021 में होगा
- फरवरी 2020 में केंद्र ने नॉन-गजैटिड सरकारी नौकरियों के लिए देश में साझा परीक्षा का वादा किया।
- अगस्त 2020 में राष्ट्रीय भर्ती एजेंसी (NRA) का गठन करने की अधिसूचना जारी की गई।
- 10 फरवरी 21 को केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने वादा किया, पहला कॉमन टेस्ट 2021 में करवाया जाएगा।
- 22 मई 2022 को जितेंद्र सिंह ने संसद में फिर एक वादा किया कि कॉमन टेस्ट इसी साल कराएंगे।
- 10 अगस्त 2023 को सरकार ने संसद को सूचित किया कि सूचना टेक्नोलॉजी और अन्य ढांचा तैयार होने और विभिन्न चरणों के बारे में मानक और दिशा निर्देश तय होने पर ही कॉमन योग्यता टेस्ट हो पाएगा।
हकीकत- बार-बार फटकार, पर सुधार नहीं
- 2020 की बजट घोषणा में कहा गया कि NRA पर तीन साल में 1,517 करोड रुपए खर्च किए जाएंगे।
- 2021-22 में इस पर 13 करोड़ और दिसंबर 22 तक 20.50 करोड़ रुपए खर्च भी किए जा चुके थे।
- दिसंबर 2023 में पेश संसदीय समिति की रिपोर्ट में कहा गया कि NRA 58.32 करोड़ रुपए खर्च कर चुकी।
- समिति ने पूछा कि NRA की परीक्षा दिन का उजाला कब देखेगी? एक्शन रिपोर्ट में सरकार ने जवाब में कहा, NRA की सूचना के अनुसार भर्ती एजेंसियों के सामने आने वाली समस्याओं का विस्तार से अध्ययन कराया जा रहा है। हम विभिन्न राज्यों और संगठनों में परीक्षा प्रथाओं की स्टडी जारी रखेंगे।
दावा था- साल में 2 बार टेस्ट कराया जाएगा
- साल में दो बार कॉमन एलिजिबिलिटी टेस्ट (CET) होगा। परीक्षा देश की 12 भाषाओं में होगी।
- देश के हर जिले में परीक्षा का सेंटर होगा। एक हजार सेंटरों पर CET कराएंगे। देश के 117 आकांक्षी जिलों के उम्मीदवारों पर विशेष फोकस रहेगा।
छात्रों का परीक्षा का खर्च, समय और पैसा बच जाता
- अगर कॉमन एलिबिलिटी टेस्ट से सरकारी नौकरियों की पात्रता तय होती है, तो करोड़ों बेरोजगारों को सालभर अलग-अलग परीक्षाओं में नहीं बैठना पड़ेगा।
- एक परीक्षा होने से उसकी फीस भी कम होगी। हर जिले में सेंटर रखा जाएगा, तो परीक्षाओं के लिए दूर-दराज इलाकों में उनके आने-जाने का खर्च भी बचेगा।
- यदि अपने जिले में परीक्षा होगी, तो ज्यादा से ज्यादा महिलाएं हिस्सा ले सकेंगी।
- आवेदकों को एक ही रजिस्ट्रेशन पोर्टल पर पंजीकरण करने की जरूरत होगी।
- परीक्षा की तारीखें टकराने का खतरा खत्म हो जाएगा। एक ही पर फोकस रहेगा।
संस्था की करीब 600 करोड़ रु. की बचत हो जाती
- संस्थाओं को अभ्यर्थियों का प्री/स्कैनिंग टेस्ट लेने के झंझट से मुक्त मिल जाएगी।
- इससे भर्ती प्रक्रिया का समय अपेक्षाकृत काफी हद तक कम होने की उम्मीद है।
- अलग-अलग भर्ती एजेंसियों का खर्च घट जाएगा। करीब 600 करोड़ रु. बचेंगे।