भारत की राष्ट्रीय एकता को समर्पित संगठन भारत भारती जयपुर और राजस्थान विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में लौहपुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल सार्धशताब्दी के उपलक्ष्य में मानविकी पीठ सभागार में एक भारत-श्रेष्ठ भारत थीम पर सांस्कृतिक संध्या का आयोजन किया गया। राजस्थान दिवस समारोह की कड़ी में हुए इस भव्य सांस्कृतिक कार्यक्रम में भारत के 20 से अधिक राज्यों के निवासियों ने अपने-अपने प्रदेश की लोक संस्कृति की झलक प्रस्तुत कर एक ही मंच पर लघु भारत के दर्शन करवाए। गायन, वादन और नृत्य की विभिन्नताओं को एकाकार करते हुए दी गई इन प्रस्तुतियों में जहां भारत के अलग-अलग प्रान्तों की वेशभूषा, खान-पान, रीति-रिवाज और तीज त्यौहारों को जीवन्त किया गया, वहीं अखण्ड भारत की सांस्कृतिक विविधताओं का समावेश भी देखने को मिला। समारोह के मुख्य अतिथि राजस्थान के राज्यपाल हरिभाऊ बागड़े और विशिष्ट अतिथि भारत भारती के राष्ट्रीय अध्यक्ष विनय भाई पत्राले रहे। कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रो. के.बी. शर्मा ने की। इस अवसर पर राजस्थान विश्वविद्यालय की कुलपति अल्पना कटेजा, संयोजक अशोक मित्तल और सह संयोजक डॉ. कैलाश मोंढे भी उपस्थित रहे। कार्यक्रम संयोजक अशोक मित्तल ने बताया कि सर्वप्रथम गणेश वंदना से कार्यक्रम की शुरुआत हुई। इसके बाद संस्कार भारती राजस्थान की ओर से “पधारो म्हारे देश” के माध्यम से राजस्थान के लोक रंगों की छटा बिखेरी। इसके बाद उत्तर प्रदेश बिहार संयुक्त समाज की ओर से “अईसन आपन बिहार हा” गीत व नृत्य प्रस्तुति में यूपी व बिहार की संस्कृति के दर्शन हुए। कार्यक्रम को निरंतर आगे बढ़ाते हुए दक्षिण भारत समिति की ओर से क्रमशः केरल, आंध्रप्रदेश और तमिलनाडु के कलाकारों ने दक्षिण भारत की संस्कृति का परिचय दिया। केरल समाजन सोसायटी जयपुर की त्रिवादा प्रस्तुति के बाद गुजराती समाज द्वारा परम्परागत गरबा नृत्य पेश किया गया। सिंधी समाज के कलाकारों ने संगीत व नृत्य से सिंधु घाटी सभ्यता के दर्शन करवाए, वहीं जयपुर कालीबाड़ी सोसायटी की ओर से बांग्ला साहित्य से परिपूर्ण संगीत और नृत्य तथा जयपुर महाराष्ट्र मंडल की ओर से “ज्योस्तुते” रचना प्रस्तुत की गई। कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण सरदार वल्लभभाई पटेल के जीवन दर्शन पर आधारित नाटिका रही, जिसमें आजादी के बाद पटेल द्वारा भारतीय रियासतों के एकीकरण के कार्य को मंच पर साकार किया गया। राजस्थान विश्वविद्यालय की ओर से संपूर्ण भारत की विशेषताओं को समेटे रचना “मिले सुर मेरा तुम्हारा” की प्रस्तुति से समारोह का समापन हुआ। कार्यक्रम के दौरान लघु भारत दर्शन की सांस्कृतिक प्रस्तुतियों में राजस्थान के अलावा जम्मू-कश्मीर, पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, हिमाचल प्रदेश, बिहार, गुजरात, महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, तमिलनाडु, असम, कर्नाटक, तेलंगाना सहित 26 राज्यों के कलाकारों की क्षेत्रीय विविधताओं को दर्शाती गायन, वादन और नृत्य की प्रस्तुतियां दी गई।