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क्या एक घंटे में कोई अफसर 451 फाइलें निपटा सकता है? क्या ऐसा हो सकता है कि ऊर्जा जैसे विभाग के सबसे बड़े अधिकारी ने दो महीने में एक भी फाइल नहीं निकाली हो? दैनिक भास्कर ने अधिकारियों-कर्मचारियों के कामकाज के लिए तैयार किए गए ई-फाइलिंग सिस्टम का एनालिसिस किया। इसमें कई चौंकाने वाले सवाल सामने आए। इन प्रश्नों के जवाब जानने के लिए व्यवस्था की जड़ तक पहुंचने की कोशिश भी की। पढ़िए- मंडे स्पेशल स्टोरी में… राजकाज सॉफ्टवेयर की रिपोर्ट में खामियां
राजस्थान में सरकारी कामकाज में पारदर्शिता लाने के लिए सरकार ने ई-फाइलिंग सिस्टम भले ही लागू कर दिया हो, लेकिन राजकाज सॉफ्टवेयर पर तैयार मार्च-अप्रैल महीने की रिपोर्ट में कई खामियां देखने को मिली हैं। कलेक्टर से लेकर प्रमुख सचिव स्तर के अधिकारियों की एक रिपोर्ट राजकाज सॉफ्टवेयर पर तैयार की गई है। अधिकारियों के फाइल मूवमेंट की गति ने खुद उन अधिकारियों को भी चौंका दिया है, जिनकी परफॉर्मेंस आउटस्टैंडिंग है। वहीं, कुछ अधिकारियों के लिए परेशानी भी खड़ी हो गई है। सवाल- एवरेज फाइल डिस्पोजल सिस्टम सही नहीं
राजकाज सॉफ्टवेयर पर एक दर्जन से अधिक आईएएस अफसरों का एवरेज फाइल डिस्पोजल सिस्टम सही नहीं बताया है। यह पूरी तरह से अतार्किक है कि कोई अधिकारी एक मिनट में 81 फाइलों पर काम पूरा कर ले। इस रिपोर्ट पर आधा दर्जन से अधिक कलेक्टरों से लेकर प्रिंसिपल सेक्रेटरी स्तर के कई अधिकारियों ने आपत्ति जताई है। क्योंकि कई अफसर ऐसे हैं, जिनके पास 200 फाइलें आती हैं, जबकि कई जिलों में फाइलों की संख्या हजार के करीब भी होती है। सॉफ्टवेयर के अनुसार जयपुर कलेक्टर जितेंद्र कुमार सोनी ने मार्च में 4 फाइलों का मूवमेंट किया है, जबकि हकीकत में प्रदेश की राजधानी का दायरा भी बड़ा और फाइलों की संख्या इससे कहीं अधिक है। इसी तरह डिपार्टमेंट ऑफ इनफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी की रिपोर्ट में सीनियर आईएएस आरती डोगरा का फाइल सिस्टम भी सही नहीं बताया है। जबकि आरती डोगरा (चेयरमैन डिस्काॅम) बिजली विभाग जैसे अहम विभाग की जिम्मेदारी संभाल रही हैं। हालांकि, अधिकारियों का यह भी कहना है कि फाइलों में अब तेजी से काम हो रहा है। कलेक्टर से लेकर अन्य आईएएस की टेबल पर तेजी से फाइल मूवमेंट हो रहा है। क्यों लागू किया था सिस्टम : जनता के काम जल्दी हों और जिम्मेदारी तय हों
राजस्थान में गहलोत सरकार के समय एक जनवरी 2023 को सचिवालय में ई-फाइलिंग का सिस्टम लागू हुआ था। पारदर्शिता, जवाबदेही और लोगों के काम जल्द कराने के मकसद से ई-फाइलिंग सिस्टम लागू किया था। ई-फाइलिंग सिस्टम से आसानी से पता चल जाता है कि कि कौनसी फाइल का क्या स्टेटस है और कहां पेंडिंग है। सचिवालय और अन्य जिलों में कार्यरत आईएएस अफसरों के फाइल मूवमेंट की जानकारी मुख्य सचिव को आसानी से मिल जाती है। यह प्रणाली कानूनी कागजात को ऑनलाइन फाइल करने की सुविधा प्रदान करती है, जिससे समय और लागत की बचत होती है। पहले 36 घंटे तक अटकी रहती थी फाइलें
जनवरी 2025 तक जहां कलेक्टर के पास एक फाइल औसत 36 घंटे तक अटकी पड़ी रहती थी। अब यह मार्च-अप्रैल में घटकर औसत 2 घंटे के आसपास रह गया है। वहीं, अतिरिक्त मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव, सचिव के स्तर पर भी औसत घटा है। ई-फाइल के निष्पादन का समय औसतन 22 घंटे से घटकर औसत 6 घंटे ही रह गया है। मई में उसी फाइल के मूवमेंट में औसत डेढ़ घंटा लग रहा है। लेकिन ई-फाइलिंग सिस्टम में सही ढंग से ट्रैकिंग नहीं हो पा रही है कि कौन कितनी फाइलें निकाल रहा है। इससे अधिकारियों में अपने काम की परफॉर्मेंस को लेकर गफलत की स्थिति बनी हुई है। हर महीने रिव्यू : सरकार दे रही ई-फाइलिंग पर जोर, हर महीने समीक्षा
मुख्य सचिव सुधांश पंत हर महीने वीसी के जरिए जनसुनवाई करते हैं। इस दौरान सभी कलेक्टरों से महीने भर का ब्योरा लेते हैं। जिस कलेक्टर के यहां पेंडेंसी रहती है, उससे जवाब मांगा जाता है। मुख्य सचिव सुधांश पंत ने ई-फाइलिंग पर खास जोर देते हुए इसे निपटारे के औसत समय से जोड़ते हुए सभी अधिकारियों को इसे गति देने के निर्देश दिए थे। पहले आम तौर पर अधिकारी देर तक दफ्तर में बैठकर फाइल निपटारा सुनिश्चित करते थे। इस प्रक्रिया में जिस दिन वे कार्यालय समय से ज्यादा बैठकर निपटारा कर पाए उस दिन तो औसत सही रहता। बाद में व्यवस्था गड़बड़ा जाती थी। आईटी विभाग ने सॉफ्टवेयर में जरूरी सुधार करके जूम इन और जूम आउट फीचर जोड़ा, जिससे फाइल पढ़ना आसान हो गया। मुख्य सचिव के स्तर पर एप्लिकेशन के फाइल ट्रैकिंग मैनेजमेंट सिस्टम से पूरी प्रक्रिया की रियल टाइम मॉनिटरिंग की जाती है।
आइए, राजकाज सॉफ्टवेयर पर अपलोड कलेक्टरों की परफॉर्मेंस रिपोर्ट पर नजर डालते हैं, जिस पर सवाल उठ रहे हैं… पत्नी से 27 गुना तेजी से फाइल निपटा रहे भीलवाड़ा कलेक्टर
राजकाज सॉफ्टवेयर की रिपोर्ट बताती हैं कि बाड़मेर कलेक्टर टीना डाबी जहां एक मिनट में 1.2 फाइलों का मूवमेंट कर रही हैं। इनके पति जालोर कलेक्टर प्रदीप के गवांडे 2.5 फाइलें इधर-उधर कर रहे हैं। भीलवाड़ा कलेक्टर जसमीत सिंह अपनी पत्नी अलवर कलेक्टर अर्तिका शुक्ला से 27 गुना तेजी से काम कर रहे हैं। युवा कलेक्टरों के काम की रफ्तार तेज
पिछले दो महीने में फाइलों के निपटारे के जो आंकड़े राजकाज पर आए हैं, उससे साफ जाहिर है कि युवा कलेक्टरों ने काम करने में तेजी दिखाई है। टोंक, अजमेर, बांसवाड़ा, अलवर, दौसा और बांसवाड़ा कलेक्टर का फाइलों के मूवमेंट के हिसाब से परफॉर्मेंस अच्छा दिखा। राजकाज सॉफ्टवेयर के अनुसार राजस्थान की एसीएस स्तर के अधिकारियों की परफॉर्मेंस रिपोर्ट में भी गड़बड़ी है … बजट घोषणाओं से जुड़ी फाइलों का मूवमेंट ज्यादा
विभागीय सूत्रों का कहना है कि मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के निर्देश पर मुख्य सचिव ने बजट घोषणाओं से जुड़ी फाइलों के त्वरित निस्तारण के निर्देश दिए हैं, ताकि आम आदमी योजनाओं से लाभांवित हो सके। ऐसे में जिला कलेक्टरों के पास सरकारी नौकरियों की भर्ती से जुड़ी फाइलों और सामाजिक सुरक्षा से जुड़ी योजनाओं की पेंडेंसी बहुत कम है। कर्मचारियों के वेतन और प्रमोशन से जुड़ी फाइलों का मूवमेंट भी हर कलेक्टर और अन्य आईएएस अधिकारी कर रहे हैं। तकनीकी खामी की वजह से गड़बड़ी हुई
डीओआईटी के एक अधिकारी ने नाम नहीं छापने के शर्त पर बताया कि तकनीकी खामी की वजह से ऐसा हुआ है। कई बार डाटा गलत अंकित हो जाता है। इसे जल्द दी दूर कर लिया जाएगा।इसलिए आईएएस अफसरों के एवरेज फाइल डिस्पोजल सिस्टम सही नहीं है। उल्लेखनीय है कि राजस्थान में ई-फाइलिंग का यह सिस्टम शासन सचिवालय में 1 जनवरी 2023 से शुरू हुआ था। इसका सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि ई-फाइल मॉड्यूल के उपयोग से फाइलों की रियल टाइम ट्रैकिंग की जा सकेगी। साथ ही संबंधित अधिकारी रिर्माक के लिए नहीं होने पर भी समय पर वह काम पूरा हो सकेगा।

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