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यूरोपीय कमीशन ने एपल और मेटा के खिलाफ अनफेयर बिजनेस प्रैक्टिस मामले में कार्रवाई की है। डिजिटल मार्केट एक्ट (DMA) के तहत दोनों कंपनियों पर ₹6,783 करोड़ का जुर्माना लगाया गया है। इसमें एपल पर 500 मिलियन यूरो (4,868 करोड़ रुपए) और मेटा पर 200 मिलियन यूरो (1,947 करोड़ रुपए) का जुर्माना शामिल है। कमीशन ने बुधवार (23 अप्रैल) को एपल और मेटा को एंटी-कॉम्पिटिटिव प्रैक्टिस में दोषी पाया है। DMA के तहत एपल के ऐप स्टोर नियमों और मेटा के पे ऑर कंसेंट एड मॉडल को गलत बताया गया है। इन मामलों में दोषी पाए गए एपल और मेटा एपल को उसके ऐप स्टोर के नियमों के चलते निशाना बनाया गया। कमीशन का आरोप है कि एपल डेवलपर्स को ऐप स्टोर के बाहर पेमेंट ऑप्शन्स चुनने की इजाजत नहीं देता, जिससे प्रतिस्पर्धा खत्म होती है। वहीं मेटा पर यूरोपीय यूजर्स को फसेबुक और इंस्टाग्राम के एड-फ्री वर्जन के लिए पैसे मांगने का आरोप लगा है। कमीशन का कहना है कि एड देखो या पैसे दो वाला मॉडल यूजर्स की मजबूर बनाता है। ये यूजर्स को फ्री चॉइस देने के नियम का उलंघन है। एपल को प्रोडक्ट्स में बदलाव करने के आदेश दिए एपल को जून के अंत तक अपने प्रोडक्ट्स में बदलाव करने का आदेश दिया गया है। अगर कंपनी नहीं मानती, तो अतिरिक्त जुर्माना लगाया जा सकता है। वहीं मेटा के मामले में, कमीशन उसके 2023 में किए गए बदलावों की जांच कर रहा है। डिजिटल मार्केट एक्ट (DMA) क्या है? DMA को यूरोपीय कमीशन ने 2024 में लागू किया था। ये नियम यूरोपीय संघ (EU) के 27 देशों में लागू है। इसका मकसद बड़ी टेक कंपनियों (जैसे एपल ,गूगल और मेटा) पर नियंत्रण रखना है, ताकि छोटे व्यवसायों को बाजार में माहौल मिले। इससे यूजर्स को भी फ्री चॉइस मिलती है। एपल ने जानबूझकर टार्गेट करने का आरोप लगाया एपल ने यूरोपीय कमीशन पर जानबूझकर टार्गेट करने का आरोप लगाते हुए कहा कि उसने DMA को पूरा करने के लिए हजारों इंजीनियरिंग घंटे और दर्जनों बदलाव किए हैं। वहीं, मेटा के ग्लोबल अफेयर्स चीफ जोएल कपलान ने कहा कि यूरोपीय कमीशन ,अमेरिकी कंपनियों को निशाना बना रहा है, जबकि चीन और यूरोप की कंपनियों को अलग मानकों पर चलने दिया जाता है।

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