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राजस्थान के शेखावाटी में बसा है एक गांव, जिसकी पहचान बन गई है प्याज। रसीदपुरा- जिसे लोग प्यार से ‘प्याज वाला गांव’ कहते हैं। सीकर जिला मुख्यालय से 20 किलोमीटर दूर रसीदपुरा गांव प्याज के लिए फेमस है। इस गांव में प्याज का सालाना कारोबार 200 करोड़ रुपए है। रसीदपुरा में 400 परिवार रहते हैं, इनमें से 350 परिवार पीढ़ियों से प्याज की खेती कर रहे हैं। गांव के किसानों के लिए प्याज की खेती पुश्तैनी काम है। प्याज की खेती ने यहां के किसानों की दिशा एवं दशा दोनों बदल दी है। दिल्ली से लेकर पंजाब, हिमाचल प्रदेश और हरियाणा तक, हर जगह रसीदपुरा के प्याज की मांग है। शेखावाटी बेल्ट में प्याज की बंपर खुदाई शुरू हो चुकी है। म्हारे देस की खेती में इस बार बात सीकर के गांव रसीदपुरा की… बीज-पौधे की भी अच्छी डिमांड
सीकर का रसीदपुरा गांव मीठे प्याज के उत्पादन के लिए जाना जाता है। प्याज का सालाना 200 करोड़ का बिजनेस करने वाले इस गांव का लगभग हर किसान परिवार प्याज की खेती से जुड़ा है। रबी के सीजन में इस बार प्याज की बंपर पैदावार से किसानों के चेहरे खिले हुए हैं। गांव में कुछ किसान प्याज का बीज और पौधे भी तैयार करते हैं। बीज-पौधे की भी अच्छी डिमांड है। खलिहान में इस वक्त प्याज के ढेर लगे हैं। यहां से प्याज की छंटाई कर बोरियों में पैक कर मंडियों में भेजा जा रहा है। 30 लाख की कमाई, बेटी पढ़ रही डॉक्टरी
प्याज की खेती ने इलाके के किसानों की तकदीर बदल दी है। ऐसे ही एक किसान हैं दुर्गा प्रसाद ओला। रसीदपुरा गांव के किसान दुर्गा प्रसाद ने बताया- प्याज के भाव में उतार चढ़ाव होता है तो प्रति बीघा 50-55 हजार रुपए का अंतर आ जाता है। सीजन में सारा खर्चा निकाल कर 25 से 30 लाख की कमाई होती है। मेरी बड़ी बेटी MBBS कर रही है। 2 बच्चे छोटे हैं वे स्कूल में बढ़ रहे हैं। मैं प्याज की ही खेती करता हूं। रबी और खरीफ दोनों सीजन में प्याज उगाता हूं। अगर सीकर की बात करें तो प्याज की यह खेती रसीदपुरा गांव से ही शुरू हुई थी। अब तो सारे किसान प्याज की खेती कर रहे हैं। यहां तक कि आस-पास के जिलों के किसान भी आते हैं और बीज और पौधे लेकर जाते हैं। यहां के मीठे प्याज की उत्तर भारत के कई राज्यों में डिमांड है। मेरे पास 55 बीघा में प्याज की खेती है। मैं 15 साल से प्याज की खेती से जुड़ा हूं। रसीदपुरा गांव के आसपास मुनाफा देख दूसरे किसानों ने भी प्याज का रकबा बढ़ा दिया है। हालांकि पिछले साल मौसम और कम दाम के कारण मुनाफा भी घटा था और रकबा भी, लेकिन इस बार अच्छा उत्पादन है और मार्केट में भाव भी अच्छे मिल रहे हैं। बाकी नफा हो या नुकसान, मैं हर साल प्याज की खेती करता हूं। अब यह भाव पर निर्भर करता है कि किसान के हाथ में कितना पैसा आता है। 1971 में बिजली आई तभी से प्याज उगा रहे
रसीदपुरा के पास भूकरान का बास निवासी किसान रामनिवास भूकर ने बताया- हमारे इलाके की हवा-मिट्‌टी प्याज के अनुकूल है। हमारे पूर्वज भी प्याज की खेती करते थे। 1971 में जब गांव में बिजली आई, तभी से हमारे दादा-पिता प्याज की खेती से जुड़ गए थे। मैं 1999 से प्याज की खेती कर रहा हूं। यह खेती करते 26 साल हो गए। इस बार का सीजन पिछले दो सीजन (2022-23 और 2023-24) से अच्छा है। बल्कि डबल है। पिछले साल हिसाब-किताब बराबर रहा था। मेरे पास 25 बीघा की खेती है। अभी सीजन चल रहा है। ढाई से 3 लाख मुनाफा हो जाएगा। व्यापारी खुद आते हैं और सौदा तय कर ले जाते हैं
भूकरान के बास निवासी किसान अशोक कुमार ने बताया-15 साल से प्याज की खेती कर रहा हूं। मेरे पास 50 बीघा की खेती है। प्रति बीघा 50-60 हजार रुपए तक मुनाफा हो जाता है। प्रति बीघा 50 से 60 क्विंटल तक उत्पादन हो जाता है। प्रति बीघा लागत 10 से 12 हजार रुपए आती है। इस बार उत्पादन ज्यादा है। मौसम भी अनुकूल रहा। मार्केट में प्याज के भाव भी अच्छे मिल रहे हैं। दिल्ली, पंजाब-हरियाणा, हिमाचल प्रदेश और राजस्थान में अलग-अलग शहरों से व्यापारी यहां आते हैं और मोल-भाव कर माल ले जाते हैं। माल लोकल मंडी में भी जाता है। इस वक्त मंडी में प्याज का थोक भाव 18 से 20 रुपए प्रति किलो चल रहा है। प्याज उत्पादन में सीकर का राज्य में दूसरा स्थान
सीकर के कृषि सुधार सलाह सलाहकार समिति के कोऑर्डिनेटर दिनेश सिंह जाखड़ ने बताया- सीकर जिले के मीठे प्याज की डिमांड देशभर में है। जिले के रसीदपुरा, खूड़ी और सांवलोदा गांवों में मीठे प्याज की खेती हो रही है। हालांकि पानी की कमी के कारण कुछ गांवों में प्याज की खेती पर असर भी पड़ा। लेकिन अब किसान स्मार्ट खेती कर रहे हैं। सीकर के अलावा झुंझुनूं और चूरू के किसान भी प्याज की खेती कर रहे हैं। सीकर में प्रति एकड़ 10 से 12 टन प्याज का उत्पादन हो रहा है। एक एकड़ की बात करें तो यह साढ़े तीन कच्ची बीघा होती है। यानी प्रति बीघा प्याज का उत्पादन 3 हजार से 4 हजार किलो तक हो रहा है। पिछले साल प्याज के थोक भाव 10 से 16 रुपए प्रति किलो तक रहे थे। भाव 16 से 18 रुपए तक मिल रहे
रबी की फसल के लिए किसानों ने दीपावली के बाद रोपाई की थी। भाद्रपद महीने में बीज को पौध के लिए डाला जाता है। 15 फरवरी से अप्रैल तक प्याज की खुदाई का काम चलेगा। अभी प्याज के भाव 16 से 18 रुपए तक मिल रहे हैं। वैसे प्याज के भाव किसानों को 10-12 रुपए तक भी मिलें तो उन्हें नुकसान नहीं जाता। हां 10 रुपए प्रति किलो से नीचे भाव जाता है तो किसानों को नुकसान उठाना पड़ता है। 2022-23 में भाव 5-6 रुपए प्रति किलो मिले थे। ऐसे में प्याज का रकबा घट गया। इस बार सब कुछ ठीक है। प्याज का भाव और उत्पादन दोनों अच्छा है। जो किसान प्याज की खरीफ की फसल लेते हैं उन्हें दीपावली के आसपास 22 से 30 रुपए प्रति किलो तक भाव मिले हैं। सीकर की बात करें तो प्याज उत्पादन में जिले का स्थान राजस्थान में दूसरा है। भारत में पांचवां-छठा स्थान है। अकेले सीकर जिला प्याज का 700 करोड़ का कारोबार करता है। इसमें रसीदपुरा गांव का टर्नओवर 200 करोड़ रुपए है। गौरतलब है कि सीकर जिले में 2023 में शेखावाटी महोत्सव में आए बॉलीवुड गायक कैलाश खेर ने यहां के प्याज की जमकर तारीफ की थी। कहा था- सीकर का प्याज गजब है। इसका स्वाद संतुलित है। तीखा नहीं लगता। यह वैसा ही है जैसा आराम से खाने लायक प्याज होता है। ————————-
राजस्थान की खेती बाड़ी से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें- मिर्च ने गांव से रोका पलायन, किसान लखपति:ईगल किस्म का हर साल 2 करोड़ से ज्यादा का उत्पादन, दिल्ली-आगरा तक डिमांड भरतपुर के छोटे से गांव के किसानों ने हरी मिर्च से अपनी तकदीर लिखी है। इस गांव के पुरखे कभी खेती-बाड़ी छोड़कर मजदूरी के लिए दूसरे शहरों में पलायन किया करते थे। खेती में ज्यादा बचत नहीं होती थी। इलाके में गेहूं-सरसों की परंपरागत फसलें होती थीं। करीब 10 साल पहले एक किसान ने हरी मिर्च का प्रोडक्शन किया। प्रति बीघा अच्छा मुनाफा हुआ तो बाकी किसानों ने भी प्रेरणा ली। (पढ़ें पूरी खबर)

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