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ऑपरेशन सिन्दूर-बॉर्डर पर तनोट मंदिर में हुई विशेष आरती:तनोट नाका पर की जा रही चेकिंग हटी, श्रद्धालुओं की आवक हुई शुरू

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पिछले दिनों भारत-पाक के बीच तनाव की स्थिति को लेकर सीमावर्ती क्षेत्र रामगढ़ की तरफ सैलानियों के आवाजाही पर रोक लगा दी गई थी। सुरक्षा एजेंसियों व पुलिस द्वारा तनोट पर नाका लगाकर संयुक्त रूप से जांच की जा रही थी। जिससे सैलानी व अन्य लोग तनोट मंदिर नहीं जा पा रहे थे और आरती में हिस्सा नहीं ले पा रहे थे। अब सीजफायर के बाद हालात सामान्य होने बाद अस्थाई चौकी को हटा दिया गया है। जिसके बाद अब पहले की तरह ही सैलानियों की आवाजाही शुरू कर दी गई है। इसके तहत बीएसएफ ने तनोट माता मंदिर में विशेष पूजा-अर्चना एवं आरती की। मंदिर में विशेष पूजा अर्चना की गई
तनोट राय माता मंदिर में क्षेत्रीय मुख्यालय जैसलमेर (उत्तर) के DIG योगेन्द्र सिंह राठौड़ की मौजूदगी में तनोट माता मन्दिर में विशेष पुजा अर्चना और आरती का आयोजन किया गया । इस दौरान DIG राठौड़ ने मातेश्वरी तनोट राय से देश मे सुख शान्ति, समृद्धि और अमन चैन बनाएं रखने की कामना की। आरती मे उपमहानिरीक्षक के साथ वाहिनी के सभी अधिकारी और जवान उपस्थित रहे।सभी ने तनोट मां से आर्शीर्वाद लिया और सबकी सलामती की कामना की। तनाव के चलते लगाया था नाका
गौरतलब है कि भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव को देखते हुए रामगढ़ से तनोट जाने वाले रास्ते को बंद कर दिया गया था। इस दौरान केवल उसी इलाके के लोकल को ही वहां जाने की अनुमति थी। अन्य सैलानियों व श्रद्धालुओं को को तनोट माता मंदिर भी जाने की अनुमति नहीं थी। लेकिन हाल ही के दिनों में सीजफायर होने के बाद स्थिति सामान्य होने के चलते चेकिंग नाकों को हटाया गया। इसके बाद गुरुवार तनोट मंदिर में भव्य आरती व विशेष पूजा अर्चना का आयोजन किया गया। इस दौरान BSF DIG योगेंद्र सिंह राठौड़ समेत कई अधिकारी व जवान मौजूद रहे। अब श्रद्धालु व सैलानी तनोट मंदिर जा सकेंगे। युद्ध वाली देवी के नाम से विख्यात है तनोट माता
तनोट माता मंदिर भारत-पाक बॉर्डर के जैसलमेर जिले में स्थित है। ये मंदिर पाकिस्तान की सीमा के पास स्थित है, जहां 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान लोंगेवाला युद्ध हुआ था। समकालीन लोककथाओं में युद्ध के विजयी परिणाम का श्रेय मंदिर को दिया जाता है। कहा जाता है कि पाकिस्तान द्वारा गिराए गए 3 हजार बम में से एक भी बम माता की कृपा के कारण नहीं फटा। मंदिर में आज भी बम रखे गए हैं। 1971 के युद्ध के बाद से सीमा सुरक्षा बल इस मंदिर की देखरेख व आरती समेत सभी काम देखती है। सभी माता को युद्ध वाली देवी व बमों वाली देवी समेत कई नामों से पुकारते हैं।

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