मैं बकुल महेश माथुर। यादगार महिला सलाह एवं सुरक्षा केंद्र में दोपहर 12 बजे तलाक के एक मामले को लेकर दंपती के बीच काउंसलिंग होने जा रही है। मैं काउंसलर के साथ बैठी हूं। इसी दौरान एक ऐसा युगल आया, जो पिछले 20 वर्षों से शादीशुदा है, लेकिन बीते कुछ दिनों से अलग रह रहा है। यह दंपती तलाक लेने का फैसला कर चुका है। प्रक्रिया के तहत यह एकसाथ उनका तीसरा काउंसलिंग सेशन है। काउंसलर ने बताया कि पिछले सेशन में पति और पत्नी का पक्ष अलग अलग सुना था। अब वे दोनों काउंसलर्स के साथ आमने-सामने बैठे हैं। मैं सब सुन समझ रही हूं। दंपती के बीच बात की शुरुआत ही असहमति और शिकायतों के साथ हुई। सुनना दोनों ही नहीं चाहते थे। काउंसलर्स ने कहा- बात के बजाय बहस हो रही है, यही समस्या है। काउंसलर्स ने कहने के बजाय एक-दूसरे की 10 खूबियां लिखने को कहा। और जब लिखा गया तो दोनों का फैसला बदल गया। {पत्नी को सलाह; खुद से प्यार करो, तभी दूसरे अहमियत देंगे। शिकायतें कम करो, परवाह ज्यादा। खुद की परवाह सबसे ज्यादा करो। {पति को समझाया; पत्नी को अकेला महसूस मत होने दीजिए, उन्हें थोड़ा वक्त दीजिए। छुट्टी वाले दिन आसपास में ही कहीं घुमाने ले जाएं। काउंसलर ने दंपती को एक-दूसरे की 10 अच्छी आदतें-जिम्मेदारियां लिखने को कहा, जो रोज निभाई जाती हैं। चौथे पॉइंट तक पहुंचते ही पति ने लिखा- सब ठीक है, कोई दिक्कत नहीं। पत्नी ने लिखा- ‘आदतें सही हैं, जिम्मेदार हैं। बच्चों से प्यार करते हैं, परिवार को संभालते हैं। मुझे पति के साथ ही रहना है। 3 घंटे की बातचीत के बाद काउंसलर ने रिश्ता निभाने के आसान नियम बताए- दोनों रोजाना एक घंटे ईवनिंग वॉक पर जाएंगे। हफ्ते का एक दिन बिना बहस बिताएंगे। एक-दूसरे की प्रशंसा करेंगे। हफ्ते में एक दिन घूमने जाएंगे। एक-दूसरे की पसंद-नापसंद का खयाल रखते हुए एक हॉबी को नियम से शुरू करेंगे। {पत्नी की शिकायत; महीनों से कहीं घूमने नहीं गए। दोस्त-ऑफिस-टीवी-मोबाइल के लिए वक्त है, मेरे लिए नहीं। बच्चों के साथ अच्छे हैं, मुझसे ही परहेज है। मैं इतनी उदास रहने लगी हूं कि सजने संवरने का मन नहीं करता। {पति का स्पष्टीकरण; मैं रात 11 बजे घर आता हूं। हर बात सुनता हूं। तनख्वाह भी पत्नी को देता हूं, खुद उन्हीं से पैसा मांगता हूं। घर के सब काम वही देखती है। सब ठीक है, फिर भी उदास रहती है, घर में खुशी के माहौल की कमी दिखती है, बच्चों पर इसका फर्क पड़ता है।
यादगार के महिला सुरक्षा केंद्र में पति-पत्नी की काउंसलिंग चल रही है, 3 घंटे बाद बोले-हमें तलाक नहीं चाहिए…महिला ही नहीं, ये परिवार सुरक्षा केंद्र हैंकाउंसलर ने बताए रिश्ता निभाने के आसान नियम 100% निस्तारण में बारा, बांसवाड़ा, दौसा आगे पत्नी ने लिखा- मैं पति के साथ आराम से रह रही हूं। पति ने लिखा- “इसने जो लिखा है, वही सही है।” दैनिक भास्कर शुरू कर रहा है खबर का चश्मदीद गवाह! रिपोर्टर मौके से लाएंगे सच्ची बात-बेधड़क। आज महिला सुरक्षा सलाह केंद्र की भूमिका… दोनों से एक-दूसरे की जिम्मेदारियां और खूबियां लिखने को कहा गया- पति-पत्नी को कोई दिक्कत मिली ही नहीं… प्रदेश के 246 केंद्रों पर 29,250 केस निस्तारित मैं इस खबर की चश्मदीद गवाह हूं {एक्टिविस्ट मनु कंबोज ने बताया कि प्रदेशभर में करीब 80 फीसदी रिश्ते बचाने में कामयाब रहे हैं।{यादगार केंद्र पर 221 मामलों में से 1 को छोड़ सभी में सुलह हुई है। {30,681 केस आए मार्च 2025 तक राज्य में। { 29,250 मामले निस्तारित {4938 केस सबसे ज्यादा जयपुर में। (महिला और परिवार संबंधित सभी केस शामिल।)
काउंसलर ने बताए रिश्ता निभाने के आसान नियम
