भरतपुर का भुसावर कस्बा कागजी नींबू के उत्पादन में अपनी पहचान रखता है। यहां 700 हेक्टेयर पर किसानों ने नींबू के बगीचे लगा रखे हैं। आधे से ज्यादा किसान परंपरागत खेती के साथ नींबू की खेती करते हैं। इसके पीछे वजह देशभर में फेमस भुसावर का मशहूर अचार है। इलाके में अचार की कई फैक्ट्रियां हैं, जिसकी वजह से नींबू डिमांड में रहता है। यहां की मिट्टी-पानी और जलवायु नींबू की फसल के लिए बेहतरीन है। ऐसे में नींबू का बंपर उत्पादन होता है। नींबू का बगीचा लगाकर लखपति बने किसानों में से एक हैं भगवान सिंह। जिन्होंने 7 बीघा में कागजी किस्म के नींबू का बगीचा लगा रखा है। ये साल में 2 से 3 बार नींबू का उत्पादन लेकर अच्छी कमाई कर रहे हैं। म्हारे देस की खेती में इस बार बात भुसावर के किसान भगवान सिंह की…. आगरा से लाए कागजी किस्म के नींबू के पौधे
किसान भगवान सिंह ने बताया- मैंने खेती के लिए आगरा (उत्तर प्रदेश) से कागजी नींबू के पौधे खरीदे थे। एक पौधे की कीमत 16 से 20 रुपए थी। आगरा से पौधे लाकर नर्सरी में लगाए। एक साल बाद पौधों को बगीचे में 4 मीटर की दूरी पर लगाया। साल में 3 बार खाद डाली। 3 साल बाद पौधों से उपज मिलना शुरू हो गई। कागजी नींबू के अलावा इलाके के किसान विक्रम और पंजाबी नींबू का उत्पादन भी ले रहे हैं। अलवर में स्थित रामहंस नर्सरी से भी किसान नींबू के पौधे लाते हैं। एक पौधे से करीब 25 से 30 किलो नींबू प्राप्त होते हैं। गर्मी 4 बार, सर्दी में 2 बार सिंचाई
किसान ने बताया- गर्मी में नींबू के बगीचे में 4 बार सिंचाई करनी होती है, जबकि सर्दी में 2 बार सिंचाई की जाती है। बारिश के दिनों में नींबू के बगीचे में पानी की निकासी अच्छी होनी चाहिए। बारिश में नींबू के पौधे में चेपा रोग लगता है। उसके लिए दवा डाली जाती है। यह दवा हर बार जुलाई और फिर फरवरी में डाली जाती है। भगवान सिंह ने बताया- एक बीघा में नींबू की फसल से हर साल 80 हजार रुपए तक की कमाई होती है। परंपरागत खेती की तुलना में नींबू की खेती में ज्यादा मुनाफा है। इसीलिए इलाके के आधे से ज्यादा किसान नींबू की खेती कर रहे हैं। यहां का नींबू पड़ोसी राज्यों पंजाब-हरियाणा, दिल्ली और यूपी में भी जाता है। बेहतर क्वालिटी और डिमांड के कारण तुरंत बिकता है
किसान ने बताया- हम दिनभर नींबू की तुड़ाई करते हैं और शाम को भुसावर मंडी में नींबू लेकर जाते हैं। वहां दूसरे राज्यों से आए व्यापारी बल्क में नींबू की खरीद करते हैं। बेहतर क्वालिटी होने के कारण तुरंत माल बिक जाता है और अच्छा पैसा मिलता है। भुसावर नगरपालिका के पूर्व चेयरमैन अमर सिंह जाटव ने बताया- कई किसान बड़े पैमाने पर नींबू का उत्पादन कर रहे हैं। कई बार 1 बीघा की फसल में दो-तीन लाख रुपए तक की सेल हो जाती है। वैसे तो साल में नींबू की दो फसल होती हैं, लेकिन मौसम अनुकूल हो और सिंचाई ठीक हो जाए तो तीन फसल भी मिल जाती है। गर्मियों में नींबू का अच्छा रेट मिलता है। नींबू की ऑनलाइन बिक्री भी होने लगी है
किसान भगवान सिंह ने कहा- जब नींबू का रंग पीला-हरा हो जाए और रसदार हो जाए, तब उन्हें तोड़ना चाहिए। तोड़ते वक्त टहनी नहीं टूटनी चाहिए। समय-समय पर पौधे की छंटाई करें। कीटों और रोगों से बचाने के लिए नियमित रूप से निरीक्षण करें और जैविक दवा का प्रयोग करें। पौधों को पर्याप्त धूप और पानी दें। उन्होंने कहा- मंडी और अचार कंपनी के अलावा अब कुछ किसान ऑनलाइन भी नींबू बेच रहे हैं। कारोबारी बोले- अचार के लिए कागजी नींबू बेस्ट
भुसावर के अचार कारोबारी हिमांशु चौधरी ने बताया- भुसावर का अचार 70 साल से देशभर में प्रसिद्ध है। अचार के लिए यहां का कागजी नींबू मुख्य आधार है। यह अचार के लिए बेस्ट है। इसके साथ ही सरसों का तेल भी स्वाद को अलग बनाता है। भरतपुर में कागजी नींबू का बंपर उत्पादन होता है। इसलिए माल आसानी से उपलब्ध हो जाता है। यहां के नींबू से चार तरह का अचार डाला जाता है। इसमें शाही नींबू, खट्टा-मीठा, खट्टा नींबू और लाल मिर्च के साथ नींबू का अचार फेमस है। यहां से डिमांड पर अचार बनकर दूसरे राज्यों में जाता है। —————- खेती किसानी से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें… डॉक्टर की MBA बेटी ने फार्महाउस में उगाया खीरा:पहली ही फसल से मुनाफा, बोलीं- 3 सीजन में चुकाऊंगी 60 लाख का लोन भीलवाड़ा के डॉक्टर की 29 साल की बेटी ने एमबीए करने के बाद खेती-किसानी की राह चुनी। साल 2020 में कोरोना के कारण पिता की मौत ने बेटी को झकझोर दिया। बचपन से गार्डनिंग का शौक था, पिता के जाने के बाद मन की शांति के लिए उसने खेती का रास्ता चुना। डॉक्टर फैमिली बैकग्राउंड वाली हर्षिता शर्मा ने हेल्थ और हॉस्पिटल क्षेत्र में MBA की पढ़ाई की है। (पढ़ें पूरी खबर)
