कृषि मंत्री डॉ. किरोड़ीलाल मीणा ने एक बार फिर पद छोड़ने के संकेत दिए हैं। किरोड़ी ने रविवार को दौसा जिले के लालसोट कस्बे में एक कार्यक्रम में मंच से ‘वैराग्य’ की बात कही। उन्होंने कहा- लालसोट क्षेत्र को एक अच्छा विधायक (रामबिलास मीणा) मिला है। मैं प्रार्थना कर रहा हूं, हे पपलाज माता, मेरे गले में जो घंटी (मंत्री पद) लटकी है। वह इनके (रामबिलास मीणा) गले में लटक जाए। किरोड़ी ने कहा- देखिए, ममता कुलकर्णी को भी वैराग्य हो गया है। वह महाकुंभ में जाकर महामंडलेश्वर बन गईं। मैं भी महाकुंभ में जा रहा हूं। अगर मुझे भी वैराग्य हो जाए तो रामबिलास मीणा के लिए रास्ता खुल जाएगा। लालसोट की पुरानी अनाज मंडी में व्यापार महासंघ के कार्यक्रम में उनका इशारा राजस्थान में मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर था। जब उन्होंने यह कहा तो मंच पर मौजूद विधायक रामबिलास मीणा हंसने लगे। यही नहीं, लोगों ने भी ठहाके लगाए। आजकल राजनीति में नेता नहीं, व्यापारी आते हैं
किरोड़ीलाल ने राजनीति की दुर्दशा होने की बात करते हुए कहा- मुझे चार सदनों में जाने का सौभाग्य मिला। मेरे अलावा यह सौभाग्य किसी नेता को नहीं मिला। मैं जिला प्रमुख रहा (गांव का सदन), विधायक रहा (विधानसभा सदन), लोकसभा और राज्यसभा में भी रहा। उन्होंने कहा- हमारे बड़े नेताओं ने कहा है कि बंटेंगे तो कटेंगे। लालसोट के लोगों को बंटना नहीं है, यही हमारे क्षेत्र के हित में है। किरोड़ी ने कहा- आजकल राजनीति भटक गई है। उसकी दुर्दशा हो गई है। राजनीति में अब सब व्यापारी आ रहे हैं। जो चुनाव में 5 करोड़ खर्च करेगा, वह लूट मचाएगा और 50 करोड़ कमाएगा। राजनीति में भारी भ्रष्टाचार हुआ है। यह देश के लोकतंत्र के लिए खतरा है। हमें यह विचार करना होगा कि जिसे हम वोट देने जा रहे हैं, वह व्यक्ति कैसा है। राहुल गांधी पर साधा निशाना
मंत्री किरोड़ी ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर भी इशारों में निशाना साधा। उन्होंने कहा- एक नेता (राहुल गांधी) को अडानी-अंबानी का नाम लेने की बीमारी लग गई है। अडानी-अंबानी ने व्यापार के क्षेत्र में देश का नाम ऊंचा किया है। विपक्षी नेता उन्हें गाली देकर देश की आर्थिक स्थिति को खराब करना चाहते हैं। लोकसभा चुनाव में दौसा सीट हारे तो मंत्री पद से दिया था इस्तीफा
डॉ. किरोड़ीलाल मीणा ने लोकसभा चुनाव से पहले कहा था कि अगर दौसा और टोंक सीट हारे तो वे पद छोड़ देंगे। चुनाव में दौसा और टोंक सीट पर भाजपा की हार के बाद किरोड़ीलाल ने इस्तीफा दे दिया था, लेकिन सरकार ने अभी तक इसे स्वीकार नहीं किया है।
